कानूनदां स्त्री पति से कहने लगे–सुनिए जनाब, मेरे और आपके अधिकार बराबर हैं–मैं भी स्वाधीन, आप भी स्वाधीन। एक दिन मैं चूल्हा-चौका और झाड़-बुहार करूं, एक दिन आप। एक दिन मैं आपकी सेवा करूं, एक दिन आप मेरी सेवा करें। अथवा यदि वह यह कह बैठे कि मुझे संतान उत्पन्न करने से इंकार है, तो बताइए ऐसी स्वाधीनता का क्या नतीजा होगा? …स्त्रियां स्वभाव से ही सुकुमार होती हैं।… इस दशा में यदि धर्मशास्त्र ने उन्हें पिता, पुत्र या पति के वश में रहने का नियम कर दिया तो क्या गजब किया?

दरअसल, महिलाओं को पुरुषों ने दास बना रखा है। यह आज भी जारी है। मेरी समझ से महिलाएं शादी वगैरह के मौके पर ऐसे गीत गाती हैं तो वह एक तरह अपने अंदर का फ्रस्टेशन भी निकालती हैं। वह पुरुष प्रधान समाज को चुनौती भी देती हैं।
रेवड़ियों का मतलब मैं तो यही समझता हूं और आप? (डायरी, 17 जुलाई, 2022)
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