Friday, March 29, 2024
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बीएचयू में काकोरी के शहीदों की स्मृति में बीसीएम ने आयोजित किया संस्कृतिक कार्यक्रम

देश को आजाद कराने में अनेक लोगों ने अपनी कुर्बानी दी है। कुछ नाम ऐसे हैं, जो सबके जुबां पर रहता है। उन्हीं नामों में राजेंद्र लाहिड़ी, अशफ़ाक उल्ला ख़ां, रामप्रसाद बिस्मिल और रोशन सिंह का भी नाम शामिल है, जिन्हें देश को आजाद कराने के लिए लखनऊ के काकोरी रेलवे स्टेशन के पास ब्रिटिश […]

देश को आजाद कराने में अनेक लोगों ने अपनी कुर्बानी दी है। कुछ नाम ऐसे हैं, जो सबके जुबां पर रहता है। उन्हीं नामों में राजेंद्र लाहिड़ी, अशफ़ाक उल्ला ख़ां, रामप्रसाद बिस्मिल और रोशन सिंह का भी नाम शामिल है, जिन्हें देश को आजाद कराने के लिए लखनऊ के काकोरी रेलवे स्टेशन के पास ब्रिटिश खजाने को लूटने के कारण अंग्रेजी सत्ता द्वारा फांसी की सजा दी गई थी। उस समय आम जनता की स्थिति इतनी दयनीय थी कि आज़ादी की लड़ाई के लिए उनसे आर्थिक सहयोग की अपेक्षा नहीं की जा सकती थी। अपने पार्टी के लिए धन इकठ्ठा करने के उद्देश्य से 9 अगस्त 1925 को इस घटना को आज़ादी के इन दीवानों ने अंजाम दिया था। 17 दिसंबर 1925 को राजेंद्र लाहिड़ी को और 19 दिसंबर को रामप्रसाद बिस्मिल, अशफ़ाक उल्ला खां, रोशन सिंह को फांसी की सजा दी गई थी। इन्ही आज़ादी के दीवानों को याद करते हुए आज (19 दिसम्बर 2021) काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्र संगठन भगत सिंह छात्र मोर्चा द्वारा विश्वनाथ मंदिर पर ‘परिचर्चा और सांस्कृतिक कार्यक्रम’ अयोजित कर उनकी विरासत से प्रेरणा लेते हुए आम-जन की आज़ादी की लड़ाई को आगे बढ़ाने के लिए लोगों से आह्वान किया गया।

[bs-quote quote=”भगतसिंह छात्र मोर्चा के सचिव अनुपम ने बात रखते हुए कहा कि देश की आजादी के 75 साल बाद जहां आज देश की बड़ी आबादी को रोजी रोटी मुहैया नहीं है, वहीं देश की संसद में 88% सांसद करोड़पति हैं एवं 48% सांसदों पर अपराधिक मुकदमे दर्ज है। काकोरी के शहीदों ने जिस सपने के लिए शहादत दी थी, आज भी सभी सपने अधूरे हैं। हम सभी छात्र -छात्राओं को चाहिए कि इनकी विरासत को याद करते हुए हम इनके सपनों को पूरा करें और ऐसे समाज के लिए संघर्ष करे; जहां एक मनुष्य के द्वारा दूसरे मनुष्यो का शोषण असंभव हो जाए।” style=”style-2″ align=”center” color=”” author_name=”” author_job=”” author_avatar=”” author_link=””][/bs-quote]

 

सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान संगठन के छात्र सदस्यों द्वारा ‘ए भगत सिंह तू ज़िन्दा है’, ‘बदली जा देशवा के खाका’, ‘तोड़ दो जाति की जंजीरें’ आदि कई क्रांतिकारी गीत भी गाए गये। सांस्कृतिक कार्यक्रम में अनेक वक्ताओं ने अपनी बात रखी। उमेश ने अपनी बात रखते हुए बताया कि काकोरी के शहीदों के समय देश की जो हालत थी, अब भी दूसरे रूप में देश की वही हालत है। बल्कि अमीरी और गरीबी की खाई बढ़ी ही है। सभी सत्ताधारी पार्टी ने शोषण को बरकरार करके रखा है।
भगतसिंह छात्र मोर्चा के सचिव अनुपम ने बात रखते हुए कहा कि देश की आजादी के 75 साल बाद जहां आज देश की बड़ी आबादी को रोजी रोटी मुहैया नहीं है, वहीं देश की संसद में 88% सांसद करोड़पति हैं एवं 48% सांसदों पर अपराधिक मुकदमे दर्ज है। काकोरी के शहीदों ने जिस सपने के लिए शहादत दी थी, आज भी सभी सपने अधूरे हैं। हम सभी छात्र -छात्राओं को चाहिए कि इनकी विरासत को याद करते हुए हम इनके सपनों को पूरा करें और ऐसे समाज के लिए संघर्ष करे; जहां एक मनुष्य के द्वारा दूसरे मनुष्यो का शोषण असंभव हो जाए।
कार्यक्रम का संचालन विनय ने किया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से अमन, अभिनव, योगेश, राहुल, हर्षा, संगीता, स्वाति, इप्शिता, ब्रह्मदत, पप्पू, शुभम सहित सैकड़ों छात्र – छात्राओं ने हिस्सा लिया।
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