इस साल 4 जून को नीट परीक्षा के नतीजे आ जाने के बाद 67 टॉपर्स और लगभग 1600 लोगों को दिये गए ग्रेस नंबर को लेकर बवाल चल ही रहा है कि तभी 18 जून को हुए नेट-जेआरएफ के परीक्षा के पेपर लीक होने की जानकारी सामने आई और परीक्षाएँ निरस्त कर दी गईं।
18 जून 2024 को आयोजित यूजीसी-नेट परीक्षा को शिक्षा मंत्रालय ने रद्द कर दिया है। इस परीक्षा में 9 लाख से ज्यादा परीक्षार्थी शामिल हुए थे। 317 शहरों में 1205 केन्द्रों में इस परीक्षा के सेंटर पड़े थे। यह परीक्षा वर्ष में दो बार जून और दिसम्बर में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) द्वारा कराई जाती है। यह परीक्षा असिस्टेंट प्रोफेसर और जूनियर रिसर्च फेलोशिप के लिए जरूरी होती है।
परीक्षा रद्द करने का कारण इसमें हुई धांधली है। इस संदर्भ में इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर की नेशनल साइबर क्राइम थ्रेट एनालिटिकल यूनिट से मिले इनपुट में गड़बड़ी पाई गई।
शिक्षा मंत्रालय ने परीक्षा कैंसिल कर फिर से परीक्षा करवाने की बात कह अपनी ज़िम्मेदारी से मुक्ति पा ली लेकिन पपेरलीक का यह पहला या आखिरी मामला नहीं है। ऐसा लगता है कि हमारे देश में परीक्षा का आयोजन पेपर लीक करने के लिए हो रहा है। पूरे देश में पेपर लीक करने वालों का नेटवर्क इतना बड़ा और मजबूत है कि सरकार के हाथ उन तक पहुंचने में सफल ही नहीं हो पाए।
इसके पहले फरवरी माह में उत्तर प्रदेश में पुलिस भर्ती में हुए पेपरलीक पर सरकार ने जो एक्शन लिया वह सभी ने देखा। परीक्षार्थियों ने विरोध दर्ज किया तो योगी सरकार ने उन पर लाठियां बरसाईं।
सरकार की मंशा है युवा बेरोजगार ही रहें
देश के युवाओं के साथ और उनसे जुड़े लोगों के लिए यह बहुत भयानक स्थिति है कि युवा अपने सपने पूरा करने में असमर्थ हैं। युवाओं को लगने लगा है कि सरकार उनके साथ गैर जिम्मेदाराना सुलूक कर रही है। पेपरलीक होने के बाद विरोध और प्रदर्शन करने वाले युवक सरकार के नजर में अपराधी हो जाते हैं। उन युवकों का प्रदर्शन बंद करवाने के लिए पुलिस उन पर लाठियाँ चलाती है ताकि शांति-व्यवस्था बनी रहे।
वैसे भी देश में बेरोजगारी अपने चरम पर है। युवा पढ़-लिखकर तैयार हो रहे हैं, इस उम्मीद पर कि कोई नौकरी मिल जाएगी सेटल हो जाएँगे। लेकिन जब कोई परीक्षा होती है या तो सेंटर में ही या परीक्षा देने के बाद खबर मिलती है कि पेपर लीक हो गया।
इस देश के युवा जो अपनी पढ़ाई पूरी होने के बाद दो-तीन-चार साल तक घर से बाहर रहकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करते हैं, कोचिंग पर खर्च करते हैं, परीक्षा फॉर्म और फीस भरते हैं, दूसरे शहरों सेंटर पड़ने पर परीक्षा देने आते हैं। दूसरे शहर में पड़ने वाले सेंटर के लिए अभ्यर्थी ट्रेन, बस से जैसे-तैसे पहुँच पाता है। कम खर्च में परीक्षा दे लें, इसके लिए रात खुले आसमान के नीचे, सड़क के किनारे, स्टेशन के प्लेटफार्म पर गुजार लेते हैं।
आल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2014-15 से 2020-21 तक उच्च शिक्षा में एससी, एसटी और ओबीसी के पढ़ने वालों की संख्या में 50 फीसदी बढ़ोत्तरी हुई है।
रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि वर्ष 2020-21 में उच्च शिक्षा में 4 करोड़ से अधिक छात्रों ने नामांकन किया था, जिसमें 14.2 फीसदी एससी, 5.8 फीसदी एसटी और 35.8 फीसदी ओबीसी के छात्र थे।
मोदी सरकार ने हर वर्ष 2 करोड़ युवाओं को नौकरी देने का वादा किया था लेकिन यह केवल जुमला था। फोर्ब्स के अनुसार जनवरी 2024 में भारत में बेरोजगारी दर 6.57 प्रतिशत है।
अब तक वर्ष 2017 से 2024 तक लीक हुए पेपर
पूरे देश में वर्ष भर में 43 प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक हुए हैं। इस वर्ष तो इन्टरमिडिएट की परीक्षा के पेपर भी लीक हुए।
25 और 26 जुलाई 2017 को उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड ने ऑनलाइन दारोगा भर्ती परीक्षा (सीबीटी) आयोजित की, लेकिन उससे पहले ही इसे स्थगित कर दिया गया। कारण था, वॉट्सऐप पर पेपर लीक होना।
उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड की ऑनलाइन भर्ती परीक्षा का पेपर फरवरी 2018 में लीक हुआ था।
अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने 15 जुलाई 2018 को लोअर सबऑर्डिनेट के 641 पदों के लिए करवाई गई परीक्षा का पेपर भी लीक हुआ था।
उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा 2 सितंबर, 2018 को कराई गई नलकूप चालक (सामान्य चयन) परीक्षा-2016 की परीक्षा पेपर लीक हो गया था।
अगस्त 2021 अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड की ओर से कराई जा रही PET (Preliminary Eligibility Test) की प्रारंभिक परीक्षा का प्रश्न पत्र लीक हो गया था।
उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में 6 अगस्त 2021 को संयुक्त प्रवेश परीक्षा बीएड 2021-23 की परीक्षा की पहली शिफ्ट का पेपर होने के बाद पेपर लीक हो गया है।
बीते जुलाई माह में ओडिशा में पेपर लीक होने के कारण जेई सिविल की मुख्य परीक्षा रद्द कर दी गई थी।
फरवरी 2024 में पुलिस भर्ती के पेपर लीक होने से मचे बवाल के बाद परीक्षा निरस्त कर दी गई।
5 मई 2024 को नीट और 18 जून को नेट जेआरएफ का पर्चा लीक हुआ।
हर बार वही गलती, क्यों नहीं होती कार्रवाई
वैसे सरकार पिछड़ों और मुस्लिमों के मामले इतनी अलर्ट है कि उनकी गलती पर तुरंत उनके घरों में बुलडोजर चलवा देती है या जेल में डाल देती है लेकिन पेपरलीक मामले में माफिया का पता तो लगा लेते हैं, पकड़े भी जाते हैं लेकिन उन्हें सजा क्या हुई यह मालूम ही नहीं चलता।
पेपर लीक करनेवाले परीक्षा एजेंसी के लोग जिन लोगों से जुड़े होते हैं, वे शासन के आदमी ही होते हैं। पेपर सेट करने की प्रक्रिया से लेकर उसकी प्रिंटिंग, ट्रेजरी में सुरक्षित रखने, परीक्षा सेंटर तक पहुँचाना, परीक्षा के ओएमआर शीट आयोग तक पहुँचाने, ओएमआर शीट की स्कैनिंग की व्यवस्था और ज़िम्मेदारी सरकारी अफसर और कर्मचारियों की होती है। लेकिन इस बीच बड़े लेन-देन से पेपर की कॉपी निकलवा कर सोल्वर गैंग द्वारा हल कराने का जिम्मा ले लिया जाता है। आखिर यह कहाँ से और कैसे होता है इस पर आज तक कोई बात नहीं हुई।
फरवरी 2024 में प्रतियोगी परीक्षाओं की गड़बड़ी और अनियमितताओं से कड़ाई से निपटने के लिए लोक परीक्षा विधयेक 2024 बनाया गया है। जिसमें एक करोड़ का जुर्माना और दस वर्ष की सजा का प्रावधान है। परीक्षा एजेंसी की गलती पर उसकी पूरी संपत्ति कुर्क कर पूरी परीक्षा का खर्चा वसूला जाएगा और मुन्नाभाई की तरह परीक्षा देने पर 3 से 5 साल तक की जेल और दस वर्ष की सजा।
लेकिन सवाल है कि
1.कई परीक्षाओं के माफिया और सोल्वर पकड़ लिए गए, क्या उन पर कोई कार्रवाई हुई?
2.परीक्षा आयोजित करवाने वाली जिन एजेंसियों ने परीक्षा फीस के नाम करोड़ों-अरबों कमाए क्या वे परीक्षा निरस्त होने के बाद अभ्यर्थियों के खाते में आए?
3. जिन अभ्यर्थियों का समय, पैसा गंवाया, मेहनत की और मानसिक संताप झेला, उसकी कीमत और हर्जाना कौन देगा?
4.जिनकी नौकरी की उम्र आखिरी पड़ाव में है, उनका समय कौन वापस करेगा? जिनके माता-पिता ने अपने बच्चे की नौकरी का सपना देखा, वह कैसे पूरा होगा?
5. परीक्षा एजेंसी जिसने परीक्षा फीस के नाम पर करोड़ों-अरबों रुपए अभ्यर्थियों से वसूला हैं, उस पैसे का क्या हुआ? उसका हिसाब कैसे लिया जाए?