मछुआरों की उपेक्षा भी है नदी प्रदूषण का एक बड़ा और गम्भीर कारण
सामान्य तौर पर तो यह कह सकता था कि मुद्रास्फीति महंगाई को समझने का एक आंकड़ात्मक तथ्य है, जिसके जरिए किसी अर्थव्यवस्था में समय के साथ विभिन्न माल और सेवाओं की कीमतों में होने वाली एक सामान्य वृद्धि का निरूपण होता है। अब यह परिभाषा हालांकि बहुत जटिल नहीं है लेकिन सहज भी नहीं। इसलिए मैंने साक्षी को रुपए की क्रयशक्ति के बारे में बताया कि कैसे रुपए की कीमत कम होती है। मतलब यह कि पहले उसे पिज्जा खाने के लिए डेढ़ सौ रुपए देने पड़ते थे और अब उसी पिज्जा के लिए उसे ढाई सौ रुपए खर्च करने पड़ते हैं।
अब नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार जैसे बेवकूफ शासकों से क्या उम्मीद की जा सकती है? हां, निर्मला सीतारमण को इन सबसे बचना चाहिए। वह केंद्रीय वित्तमंत्री तो हैं ही, एक समझदार इंसान भी हैं। विषयों की जानकारी उनके पास है। उन्हें चाहिए कि मंत्रालय द्वारा तैयार किये गये जवाबों के बजाय अपनी समझ से बातों को कहें।
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