जनसत्ता ने वीर दास की आलोचना करने में ईमानदारी नहीं बरती है। उसका कहना है कि वीर दास ने भारतीय महिलाओं का अपमान किया। जबकि अपनी कविता में वीर दास ने इतना ही कहा है कि– 'मैं उस भारत से आता हूं जहां दिन में हम महिलाओं की पूजा करते हैं और मैं उस भारत से भी आता हूं जहां रात को हम महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार करते हैं।'
मेरा मानना है कि वीर दास ने भारत सरकार की पोल खोल दी है। अपनी कविता में वीर दास ने यह भी कहा कि– मैं उस देश से आता हूं जहां स्कूली बच्चों को मास्क पहनकर स्कूल आने को कहा जाता है और मैं उसे देश से भी आता हूं जहां के नेता बिना मास्क लगाए लोगों से गले मिलते हैं। जाहिर जौर पर वीर दास ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है।
मैं आपकी बात से कतई सहमत नहीं हूं, किसी अमेरिकी या अन्य देश के व्यक्ति ने भारत में आकर ये कहा कि उनके देश में हत्या या रेप होते हैं जबकि ये हर देश में न होते हो, ऐसा भी नहीं , यहां तक कि अमेरिका में रेप का प्रतिशत भारत से ज्यादा है, सच्चाई के नाम पर आप अपने घर की बुरी बातों को चौराहे में खड़े होकर नहीं गाते हैं, आपकी समझ में इत्ती सी बात न आए तो ये आपके दिमाग का खलल है, दूसरा नाम नहीं दिया लेखक का तो न्यूज में ये कौन सी बड़ी बात है, हर खबर में किस पत्र में नाम देते हैं ?लेकिन आपके लिए नाम इसलिए जरूरी था जिससे उसे आप किसी खेमे में बांध सकते थे , हद है