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आज से यानी 15 जुलाई 2021 से हम प्रतिदिन एक बार भारत के दुनिया के विभिन्न देशों के जनजीवन , राजनीति, समाज, घटनाओं और संस्कृति से जुड़ी खबरें प्रस्तुत करेंगे । प्रस्तुत है आज इस शृंखला की पहली कड़ी – एक भारत के पड़ोसी देश नेपाल में सत्ता परिवर्तन से भारत-नेपाल सम्बन्धों को लेकर नए […]

आज से यानी 15 जुलाई 2021 से हम प्रतिदिन एक बार भारत के दुनिया के विभिन्न देशों के जनजीवन , राजनीति, समाज, घटनाओं और संस्कृति से जुड़ी खबरें प्रस्तुत करेंगे । प्रस्तुत है आज इस शृंखला की पहली कड़ी –

एक

भारत के पड़ोसी देश नेपाल में सत्ता परिवर्तन से भारत-नेपाल सम्बन्धों को लेकर नए कयास लगाए जा रहे हैं। माना जाता है कि नए प्रधानमंत्री शेर बहादुर देऊबा भारत के प्रति नरम रुख रखते हैं। लेकिन विदेश मामलों के जानकार कहते हैं कि इस मामले में तुरंत कुछ निष्कर्ष निकालना जल्दबाज़ी होगी।

नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देइबा

दो

लैटिन अमेरिकी देश ब्राज़ील में कोरोना से मरनेवालों की संख्या चार लाख से ऊपर पहुँच चुकी है । पिछले एक दिन में तीन हज़ार से अधिक लोग मौत का शिकार हुये हैं। माना जा रहा है कि देश में रोजाना मरने वालों की संख्या चार हज़ार से अधिक हो चुकी है। ब्राज़ील में टीकाकरण बहुत सुस्त रफ्तार से चल रहा है । इसको लेकर वहाँ के राष्ट्रपति जायरे बोल्सेनारो की लगातार आलोचना हो रही है । खबर यह भी है कि बोल्सेनारो स्वयं अस्पताल में भर्ती हैं। उन्हें दस दिनों से लगातार हिचकियाँ आ रही थीं ।

ब्राजील के राष्ट्रपति जायरे बोल्सेनारो

तीन

अफगानिस्तान में एक बार फिर से तालिबानी हमले तेज हो गए हैं। माना जा रहा है कि निकट भविष्य में वे अमेरिका समर्थित सरकार का तख़्ता पलट देंगे । अफगानिस्तान में उथल-पुथल और अनिश्चितताओं का दौर शुरू हो चुका है । पिछले दिनों अमेरिकी फौजों के लौटने की घोषणा के बाद से ही तालिबानियों ने फिर से अपना कब्जा तेज कर दिया और कई जिलों पर अधिकार कर लिया। इन घटनाओं से पता चलता है कि अफगानिस्तान में सरकार महज़ एक कठपुतली थी और जनता में उसने कोई खास समर्थन नहीं जुटाया और न ही अपनी सेना सेना और सुरक्षा व्यवस्था को ही मजबूत बनाया। इसका परिणाम यह हुआ कि दबे हुये कैंसर की तरह तालिबानी फिर सतह पर आ गए।

चार

अफगानिस्तान में तालिबान के पहले दौर को लेकर फ्रांस में रहने वाले उपन्यासकार अतिक रहीमी ने संग-ए-सबूर नामक एक उपन्यास लिखा था । मुख्य पात्र के रूप में जिसकी कहानी एक तालिबानी की पत्नी ने कही है। गोली लगने से तालिबानी कोमा में चला गया है । उसकी देखभाल कर रही उसकी पत्नी उससे अपने जीवन के तमाम रहस्य खोलती है कि उसकी दोनों बेटियों का जैविक पिता वह नहीं है। कि उसका भी जैविक पिता उसका सामाजिक पिता नहीं है। अपने पति के जुल्म के कारण अपने दबे हुये आक्रोश को लेकर वह स्त्री अपने कपड़े उतारकर बहुत गुस्से में बात करती है। एक सुबह सामने दुकान पर पहरेदारी करते दो तालिबानी उसके साथ अपनी काम वासना शांत करना चाहते हैं। कम उम्र का अनाड़ी तालिबानी पहले आता है तो वह किसी बहाने से उसे टरका देती है । फिर बड़ी उम्र का तालिबानी आता है। वह उस औरत से पूछता है कि तुम करती क्या हो। अपने को उससे बचाने के लिए वह कहती है कि जीवन चलाने के लिए लोगों की सेवा करती हूँ। उसका इशारा देह व्यापार की ओर था जिस पर बिफरते हुये वह बड़ा तालिबानी गुस्से में चला जाता है– लाहौल बिला कूवत । वह उसे घरेलू स्त्री समझकर आया था। इस उपन्यास से पता चलता है कि तालिबानी शासन में अफगानिस्तान में स्त्रियों की दशा कैसी होती है ?

अफगानिस्तानी उपन्यासकार का उपन्यास संग-ए-सबूर

पाँच

तुर्की अपनी सीमाओं पर दीवार बना रहा है । तुर्की से सटी सीरिया और ईरान की सीमा पर यह दीवार लगभग बनकर तैयार है। सीरिया और ईरान में लगातार हिंसा और पलायन की घटनाएँ हो रही हैं। माना जाता है कि तुर्की में पड़ोसी देशों से आनेवाले अवैध प्रवासियों की संख्या लगातार बढ़ी है जिसका असर तुर्की की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण पर पड़ रहा है ।

तुर्की ने सीरिया और ईरान की सीमा पर लम्बी दीवार बनवाई

छह

मिस्र की इतिहासकार आलिया मोसलिम को जमानत मिल गई है। बताया जाता है कि बर्लिन के अलेक्ज़ेंडर वॉन हम्बोल्ट फाउंडेशन में पोस्ट डॉक्टरल फ़ेलो और इतिहासकार आलिया मोसलिम को मिस्र की सुरक्षा एजेंसियों द्वारा सत्रह घंटे पूछताछ के लिए हिरासत में रखा गया। देश और दुनिया में इसकी भरी आलोचना हुई जिससे मिस्र की सरकार को उन्हें रिहा करना पड़ा । 2013 में हुये सत्ता परिवर्तन के बाद गद्दी पर बैठे अल-सीसी ने हजारों कार्यकर्ता, राजनीतिक विरोधी और शिक्षाविदों को जेलों में ठूंस दिया। वहाँ सरकार की आलोचना करनेवाले लगातार निशाने पर रहे हैं।

इतिहासकार आलिया मोस्लिम

 

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