Tuesday, August 26, 2025
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पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

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बहु-विकल्पीय राजनीति की प्रयोगशाला में बदलता उत्तर प्रदेश और फोटोनिक विखंडन का शिकार होता विपक्ष

वाराणसी। उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव का परिणाम भाजपा को सबसे आगे रखने वाला परिणाम बनकर भले ही आया हो पर यह चुनाव उत्तर प्रदेश...

स्वार उपचुनाव- आजम का रुतबा बेअसर, अखिलेश के गलत फैसले से भाजपा को मिला फायदा

रामपुर। उत्तर प्रदेश के रामपुर की स्वार विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा गठबंधन, सपा से यह सीट छीनने में कामयाब हुआ है।...

क्या मुसलमानों को सपा से दूर करने में कामयाब हो रही है भाजपा

लखनऊ। निकाय चुनाव को सत्ता साम्राज्य की सीढ़ियाँ बनाने में लगी भाजपा क्या उत्तर प्रदेश की राजनीति में मुसलमानों की एकता को चकनाचूर करके...

कुंडा का गुंडा–हारा नहीं है पथिक सियासी सफर का, पर आजकल तलुओं में जलन बहुत है

उत्तर प्रदेश के बाहुबली -4 मायावती ने वजूद पर तलवार चलाई तो मुलायम सिंह ढाल बनकर बचाने खड़े हुए, अखिलेश ने हाथ झटका तो भाजपा...

क्या सिर्फ दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक बनेंगे योगी ‘टेरर के टारगेट’

अखिलेश ने 2017 में जिस दुस्साहसिक राजनीति का दम दिखाया था क्या अब उसी राह पर राजनीतिक कदम बढ़ा रहे हैं योगी लखनऊ। सन 2017...

भ्रष्टाचार नहीं सामाजिक अन्याय के मुद्दे पर मोदी को घेरे विपक्ष!

2024 के लोकसभा को ध्यान में रखते हुए हाल के दिनों में विपक्षी दलों द्वारा एकजुटता के लिए जो तरह-तरह के प्रयास हो रहे हैं, डीएमके द्वारा प्रायोजित सामाजिक न्याय सम्मलेन अघोषित रूप में उसी कड़ी का हिस्सा है, जिसमें सामाजिक न्याय के मुद्दे पर विपक्षी एकता का खास प्रयास हुआ है। और अगर ऐसा है तो यह 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए बेहद प्रभावी प्रयास है। क्योंकि इस एकजुटता का आधार सामाजिक न्याय का मुद्दा है जो तेजस्वी यादव के शब्दों में \\\'धार्मिक उन्माद और साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की भाजपाई राजनीति का मुंहतोड़ जवाब दे सकता है।

जब लखनऊ की रैली में मुलायम सिंह ने कहा- आज निषाद जो मांगेंगे, हमें देना ही होगा

श्रद्धांजलि-लेख नेताजी हम सबको छोड़कर चले गए। हमारे जैसे करोड़ों लोग जब पैदा हुए तो नेताजी उस समय आम-अवाम के लिए संघर्ष कर रहे थे।...

सैफई का सफर और कुछ यादगार लम्हें

इस महीने 9 तारीख को मैं कांशीरामजी के परिनिर्वाण दिवस पर एक कार्यक्रम में गाजीपुर गया हुआ था। वहीं मुझे 10 अक्तूबर को मालूम...

आखिर क्यों नहीं किया जा रहा है अठारह अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 17 ओबीसी जातियों को अनुसूचित जाति की श्रेणी में शामिल करने के अरमानों पर हाईकोर्ट ने पानी फेर दिया है।...

वाराणसी को पहचान देने वाली ‘वरुणा’ और ‘असि’ की उखड़ती साँसें क्यों नहीं सुन पा रहे मोदी

वरुणा कॉरिडोर बनवाकर सपा सुप्रीमो अखिलेश ने साल 2016 में खूब सुर्खियां बटोरी थी। उस समय इस नदी को बचाने के लिए मुहिम चला रहे जनसरोकारीय संगठनों और स्थानीय लोगों में उम्मीद जगी कि नदी साफ हो जाएगी। सत्ता बदली तो जैसे इस नदी के नसीब ही फूट गए। इसका भाग्य संवारने के लिए कोई दूसरा भगीरथ नहीं आया। अब जनवादी संगठन पदयात्रा निकाल रहे हैं और इस नदी के पुनरुद्धार के लिए मुहिम चला रहे हैं।

क्या 2022 में सामाजिक न्याय की राजनीति से गायब चेहरों को जनता ने सबक दिया है?

गत 10 मार्च को 4 राज्यों, विशेषकर देश की दिशा तय करने वाले उत्तर प्रदेश में जिस तरह भाजपा ने पुनः सत्ता में आकर...

जरुरी है बसपा और सपा का विकल्प ढूँढना!

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा के पुनः सत्ता में आने से बहुजन समाज के लोगों को जितना आघात लगा है, उससे कई...

सपा अपना घोषणापत्र समानुपातिक भागीदारी पर केन्द्रित करे

यूपी विधानसभा चुनाव- 2022 में सत्ता की प्रबल दावेदार पार्टियों का घोषणापत्र कभी भी जारी हो सकता है.चूँकि बसपा घोषणापत्रों को चुनाव के लिए...

अखिलेश यादव का सत्ता और मेनस्ट्रीम मीडिया पर करारा प्रहार

अखिलेश यादव इस बार सत्ता से लड़ने के साथ ही गोदी मीडिया पर भी प्रश्नवाचक चिह्न लगाते नजर आ रहे हैं। क्योंकि इस बार...

क्या कांग्रेस सपा के खिलाफ प्रत्याशी नहीं उतारेगी

क्या गांधी परिवार उत्तर प्रदेश से नया इतिहास लिखने जा रहा है? क्या कांग्रेस की राष्ट्रीय महामंत्री उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी विधानसभा का...

इतिहास के आइने में सपा तथा नई सपा के युवा सारथी अखिलेश यादव की चुनावी रणनीतियां

समाजवादी पार्टी की प्रासंगिकता और लोकप्रियता अब भी बरकरार है, जिसे अखिलेश यादव की जनसभाओं में उमड़ती हुई भीड़, युवा वर्ग और कार्यकर्ताओं को...

‘उत्तर’ देता प्रदेश(डायरी, 15 जनवरी 2022)  

सियासत में मोमेंटम का असर बहुत होता है। जीत उसी को मिलती है जो मोमेंटम बनाता है और जीत मुकम्मल होने तक बनाए रखता...

 कांग्रेस के गढ़ से अखिलेश यादव की बड़ी बात

राजनीतिक गलियारों और मीडिया में, समाजवादी पार्टी के नेता पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की दो दिवसीय रायबरेली यात्रा चर्चा में थी। चर्चा इसलिए थी...

कृषि कानूनों का निरस्तीकरण

प्रधानमंत्री द्वारा संसद में पारित तीन कुख्यात कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा निश्चित रूप से किसान आंदोलन और पिछले एक साल से...

जिन्ना पर अखिलेश यादव की टिप्पणी : समकालीन राजनीति पर साम्प्रदायिकता की छाया

हमारे देश में जैसे-जैसे साम्प्रदायिकता का बोलबाला बढ़ता जा रहा है वैसे-वैसे राजनैतिक लक्ष्यों को हासिल करने के लिए सांप्रदायिक प्रतीकों और नायकों के...

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