Sunday, July 6, 2025
Sunday, July 6, 2025




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

होमTagsChhatisgarh

TAG

chhatisgarh

मुकेश चंद्राकर : एक और युवा पत्रकार भ्रष्ट तंत्र की पोल खोलने पर मारा गया

गोदी मीडिया काल में ग्रामीण पत्रकारिता के मजबूत स्तंभ मुकेश चंद्राकर की हत्या सचमुच कष्टप्रद और चिंताजनक है। वर्ष 2014 के बाद अभिव्यक्ति को लेकर जिस तरह से पत्रकारों पर हमले बढ़े  हैं, वह सभी के सामने है। पत्रकारों पर हमले करवाना और उनकी हत्या करवा देना सत्ताधीशों के लिए बहुत सामान्य बात है। बस्तर जंक्शन के मुकेश चंद्राकर की हत्या निडर पत्रकारिता करने वालों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़ा करती है। इस देश में अब विधायिका, कार्यपालिका न्यायपालिका और चौथा स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया पूरी तरह से फासीवाद के चपेट में है और इनका अस्तित्व नाममात्र का रह गया है। 

लोकसभा चुनाव : कांग्रेस की जारी 39 प्रत्याशियों की सूची में भूपेश राजनंदगाँव और राहुल वायनाड़ से लड़ेंगे चुनाव

कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों के लिए अपने उम्मीदवारों की पहली सूची में 40 लोगों के नाम की घोषणा की। छतीसगढ़ के 11 लोकसभा सीटों में से 6 उम्मीदवारों के नाम जारी।

छग : किसान भाजपा के ताबूत पर आखिरी कील गाड़, उसे सत्ता से बाहर करेंगे – विजू कृष्णन

सूरजपुर में अखिल भारतीय किसान सभा का पाँचवाँ सम्मेलन 2 और 3 मार्च को सम्पन्न हुआ। जहां राज्य में खेती-किसानी की समस्याओं पर चर्चा किया और एक वैकल्पिक नीति के आधार पर किसान आंदोलन को व्यापक बनाने और संगठन को मजबूत करने के बारे में फैसला हुआ। 

छत्तीसगढ़ : साय मंत्रिमंडल का हुआ विस्तार, राजभवन में नौ मंत्रियों ने ली शपथ

रायपुर (भाषा)। छत्तीसगढ़ में शुक्रवार को विष्णु देव साय मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया और राजभवन में नौ विधायकों ने मंत्री पद की शपथ...

भाजपा, कांग्रेस या खंडित जनादेश क्या परिणाम देंगे छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश

रायपुर, (भाषा)।  छत्तीसगढ़  विधानसभा चुनाव के लिए रविवार को मतों की गिनती होगी और प्रदेश में ज्यादातर सीटों पर सत्ताधारी कांग्रेस और विपक्षी भारतीय...

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पाटन सीट से नामांकन दाखिल किया

रायपुर (भाषा)। छतीसगढ़,राजस्थान,तेलंगाना, मध्य प्रदेश और मिजोरम में होने वाले विधान सभा चुनाव की चुनावी प्रक्रिया शुरू हो चुकी हैं। छत्तीसगढ़ में हो रहे...

छत्तीसगढ़ में दलित युवाओं ने अपने अधिकार के लिए निर्वस्त्र हो किया प्रदर्शन

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आज अनुसूचित जाति, जनजाति समाज के युवाओं ने अपने हक के लिए सड़क पर  निर्वस्त्र प्रदर्शन किया।  राज्य की...

ईसाइयों पर हमला संस्कृति की रक्षा नहीं संघी षड्यन्त्र है

बड़ी भूरी आंखों वाली वह महिला कमजोर-सी लग रही है। अपनी बाहों पर चोटों को छुपाने के लिए उसने एक शॉल लपेट रखा है।...

यदि पहाड़ की ऊंचाइयों से डर जाती तो लक्ष्य तक पहुंचना मुश्किल होता : पर्वतारोही आशी जैन

12वीं पास करने के बाद बिलासपुर इंजीनियरिंग के एन्ट्रन्स एक्जाम देने गईं।  परीक्षा देने के बाद अपने पापा अखिलेश जैन के साथ उनके मित्र के यहाँ गई थीं। वहाँ उसने एक मैगजीन में अरुणिमा सिन्हा के साहस और संघर्ष की कहानी पढ़ी। पढ़ने के बाद अपने पिता (अखिलेश जैन, जो पंजाब नेशनल बैंक में कार्यरत हैं) से कहा कि वह भी ऐसा ही कुछ करना चाहती हैं। आपको बता दें कि ये वही अरुणिमा सिन्हा है जिनके साथ सन 2011 में एक घटना घटी। वे अंबेडकरनगर से दिल्ली अपनी नौकरी के इंटरव्यू के लिए जा रही थीं।  ट्रेन में कुछ लड़के, सवारियों से सामान छीन रहे थे और अरुणिमा से उनकी  सोने की चैन छिनना चाहे, जिसका उन्होंने मुकाबला किया और जिसके परिणामस्वरूप उन्हें चलती ट्रेन से नीचे फेंक दिया और दूसरी पटरी पर आ रही ट्रेन से उनका एक पैर कट गया।

इसे कहते हैं क्रोनी कैपिटलिज्म!

क्रोनी कैपिटलिज्म (परजीवी पूंजीवाद) में कॉरपोरेट किस तरह फल–फूल रहे हैं और प्राकृतिक संसाधनों को लूट रहे हैं, इसका जीता-जागता उदाहरण छत्तीसगढ़ में कोयले...

छत्तीसगढ़ में जमीनों पर जबरदस्ती कब्जे हेतु आदिवासी निशाने पर

विकास के नाम पर आज पूरे देश में किसान और आदिवासियों की जमीनों पर सरकार की नज़रें हैं। केंद्र सरकार हो या राज्य सरकारें सभी का विकास मॉडल किसान और आदिवासियों को उनकी जमीनों से विस्थापित कर  गुजरता है। उनके द्वारा किये जा रहे शांतिपूर्ण विरोध से सरकार इतनी डरी हुई है कि आन्दोलनकारियों को उत्पीड़ित कर डरा रही है।

अस्पताल की अमानवीयता और लापरवाही ने ली एक प्रतिभाशाली गायिका मोनिका की जान

किसी भी देश या क्षेत्र के विकास का मापदंड उसकी आधारभूत सुविधाओं जैसे शिक्षा,रोज़गार और स्वास्थ्य सुविधाओं से नापा जा सकता है। आये दिन...

स्थापना के साढ़े छह दशक बाद भी पर्याप्त रेल संपर्क से वंचित है मध्यप्रदेश

मध्य प्रदेश (छत्तीसगढ़ समेत) का गठन 1 नवम्बर, 1956 को हुआ था। राज्यों के पुनर्गठन के लिए एक विशेष आयोग बनाया गया था जिसका...

बारह वर्षों में कहाँ तक पहुँचा है तमनार का कोयला सत्याग्रह

बात 5 जनवरी 2008 की है, जब गारे 4/6 कोयला खदान की जनसुनवाई गारे और खम्हरिया गाँव के पास के जंगल में की गई। वास्तव में ढाई सौ एकड़ में फैला हुआ यह जंगल गाँव वालों के निस्तारण की जमीन थी, जिसे बहुत चालाकी से वन विभाग ने सन 1982 में रेशम परियोजना के लिए हासिल कर लिया था। गाँव वालों को इस बात के लिए सहमत किया कि रेशम परियोजना में उन लोगों को काम मिलेगा और आर्थिक आधार पर उन्हें मजबूती मिलेगी। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ बल्कि रेशम विभाग और वन विभाग की मिलीभगत से यह जमीन मुफ़्त में ही जिंदल उद्योग को कोयला खनन के लिए दे दी गई।

ज़मीन की लूट और मुआवजे के खेल में लगे सेठ-साहूकार और अधिकारी-कर्मचारी

जहां भी कोई नई परियोजना शुरू होती है वहाँ इनकी निगाह सबसे पहले जाती है और परियोजना का काम शुरू होने से पहले ही वे मुआवज़े और मुनाफे में अपनी हिस्सेदारी तय कर चुके होते हैं। इस बार सामुदायिक वन अधिकार पर रिपोर्टिंग के लिए जब मैं तमनार गई तो कई गाँव के खेतों में बने शेड, बाउंड्री और तालाब देख कर जिज्ञासा हुई कि अचानक ये चीजें इतनी बड़ी संख्या में कैसे बन गईं?

सामुदायिक वन अधिकार से कितना बदलेगा आदिवासियों का जीवन

हर घर, पेड़-पौधे, सड़क के किनारे स्थित दुकानों पर कोयले की परत बिछी दिखती है, यहाँ तक कि सड़क की धूल भी कोयले के चूरे से काली हो गई है। यहाँ प्रकृति में हरियाली नहीं करियाली दिखाई देती है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद घातक है। कोयला खनन और भूमि अधिग्रहण को लेकर यहाँ पिछले बीस वर्षों से लगातार विरोध और आंदोलन चल रहा है। यह आदिवासी बहुल क्षेत्र है, लोगों में इस बात को लेकर नाराजगी है कि हमारे कोयला संसाधनों पर पूँजीपतियों का अधिकार क्यों?

विकास के नाम पर भू-अधिग्रहण के अनुभव, परिदृश्‍य और सबक (1)

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 28 जून, 2022 को जल-जंगल-ज़मीन की कॉर्पोरेट लूट, दमन और विस्थापन के खिलाफ जनसंघर्षों का एक दिवसीय राज्य सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन में देशभर के 15 राज्यों (छत्तीसगढ़, झारखण्ड, मध्यप्रदेश, ओड़िशा, जम्मू एंड कश्मीर, दिल्ली, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश, बिहार, गुजरात, तमिलनाडु और उत्तराखंड) से 500 से ज्यादा प्रतिनिधियों ने हिस्सेदारी की। सम्‍मेलन के अंत में नौ प्रस्‍ताव पारित किए गए। शुरुआती तीन प्रस्‍ताव छत्तीसगढ़ केंद्रित होते हुए भी सामान्‍य प्रकृति के हैं, जिनमें विकास के नाम पर जमीन की लूट रोकने, पांचवीं अनुसूची के क्षेत्रों में पेसा कानून और भूमि अधिग्रहण कानून, 2013 के अनुपालन की मांग दर्ज है। बाकी प्रस्‍ताव भी सामान्‍य प्रकृति के हैं। ये सभी प्रस्‍ताव मोटे तौर पर उन्‍हीं संकल्‍पों का दुहराव हैं जो आज से कोई आठ साल पहले ओडिशा के जगतसिंहपुर स्थित ढिंकिया में हुए जनसंघर्षों के दो दिवसीय सम्‍मेलन में पारित किए गए थे। तीन हिस्सों में प्रकाशित की जा रही अभिषेक श्रीवास्तव की लंबी रिपोर्ट का पहला भाग।

भावनाएं केवल ताकतवालों की आहत होती हैं जज साहब! डायरी (3 सितंबर, 2021)

कल का दिन बेहद खास रहा। खास कहने के पीछे कोई व्यक्तिगत कारण नहीं है। वैसे भी जब आदमी तन्हा हो तो व्यक्तिगत कारणों...

‘शाश्वत सत्य’ और राज्य डायरी (9 अगस्त, 2021)

भारतीय सामाजिक व्यवस्था का केंद्रीय चरित्र पूंजीवादी है और यह कोई नयी बात नहीं है। चार वर्णों की व्यवस्था इसलिए ही बनायी गयी है।...

हम हिन्दू नहीं, आदिवासी हैं…डायरी (8 अगस्त, 2021)  

धरती और अंतरिक्ष में अंतर है। वैज्ञानिक स्तर पर तो अंतर यही है कि धरती पर गुरुत्वाकर्षण शक्ति का मान अलग होता है और...

ताज़ा ख़बरें

Bollywood Lifestyle and Entertainment