वाराणसी। बनारस हिन्दू विश्वविदद्यालय में 25 दिसंबर को मनुस्मृति की प्रतीकात्मक प्रतियाँ जलाई गईं। भगत सिंह छात्र मोर्चा के 8-10 की संख्या में छात्रों...
पुलिस द्वारा जांच के लिए गए संयुक्त कमिश्नर आनंद प्रकाश ने घटना को लेकर ब्राह्मण समाज द्वारा लगाए गए आरोप 'पिछले साल आयोजित कथा में ब्राह्मण की मूर्ति पर कालिख पोतने और उसे जूतों की मामला पहनाने की वजह से ब्राह्मण समाज आक्रोशित था' को पूरी तरह से निराधार बताया है।
कई बार उजड़ और उखड़ कर, बस अभी पाँव थमे ही थे कि फिर से उखड़ जाने का आदेश पारित हो गया है। यह दर्द वाराणसी के कज्जाकपुरा के मलिन बस्ती का है, जिसे आईडीएच भी कहा जाता है। तकरीबन सत्रह साल पहले, 2005 के आस-पास यह बस्ती बसी थी। 17 साल के संघर्ष के बाद इस बस्ती के लोग सिर्फ दीवार बना पाये हैं, जिसकी ऊंचाई सात फीट से ज्यादा नहीं है। इन्हीं दीवारों पर कुछ परिवारों ने सीमेंट की चादरें डाल ली हैं तो कुछ परिवारों ने बांस की खपच्चियों पर प्लास्टिक डालकर खुद को आभासी छत से ढँक लिया है।
देश का हदय कहे जाने वाले सागर जिले को हरिसिंह गौर की नगरी भी कहते हैं। जिला व्यापक होने से कई वार्डों में बंटा है। यहाँ अंबेडकर वार्ड में करीब 400 परिवारों (दलित) सालों से बसे हैं। लेकिन इनकी जमीन पटवारी रिकॉर्ड में नहीं दर्ज है। जबकि, अपने-अपने जमीन की रजिस्ट्रियां लोगों के पास हैं। ऐसे में निवासी जमीन पर अपना अधिकार जताने में असमर्थ हैं।
वारदात के बाद जिले भर की फोर्स और पीएसी की तीन बटालियन मौके पर पहुंच गई है। एसपी और प्रशासन के अफसर हालात को कंट्रोल करने की कोशिश रहे हैं। इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया है। जगह-जगह बैरिकेडिंग कर दी गई है। पुलिस के अनुसार, इस मामले में अभी तक छह लोगों को नामित किया गया है। जिसमें एक की गिरफ्तारी हो चुकी है। अन्य लोगों के तलाश के लिए पुलिस की आठ टीमें लगाई गई है।
शिक्षा के बारे में डॉ. अंबेडकर का कहना है कि वह शेरनी का दूध है जो भी पिएगा वह दहाड़ेगा। सुमन को देखकर लगता है कि वह भी शेरनी का दूध पी रही हैं। उनमें जो आत्मविश्वास है वह उन्हें किसी जगह झुकने नहीं देगा। एक माँ के रूप में वह अपने बच्चों की उच्च शिक्षा का सपना देखती हैं। लेकिन स्वयं अपने भी अधूरे सपने को पूरा करने में जी जान से लगी हैं।