सीधी के पेशाब-काण्ड पर अनेक प्रतिक्रियाएं आ चुकी हैं। शब्दों में, भावनाओं में, प्रदर्शनों में, आलोचनाओं में, निंदाओं में, भर्त्सनाओं में, कुछ ने खूब...
अल्पस्यंखक कांग्रेस द्वारा आयोजित दलित-मुस्लिम संवाद में बोले कांग्रेस नेता
हापुड़। भाजपा दलितों और कमज़ोर तबकों को मिले संवैधानिक अधिकारों को छीनकर फिर से मनुवादी...
उत्तर प्रदेश में दलितों के अपमान की दो अत्यधिक घृणित घटनाएं घटी हैं। इस तरह की एक घटना में 19 साल के एक युवक को केवल इसलिए पीटा गया क्योंकि उसने उच्च जाति के एक व्यक्ति की प्लेट को छू लिया था। यह घटना एक विवाह समारोह में हुई।
चंदौली जिले की नौगढ़ तहसील के नुनवट गाँव के मुसहर भी दूसरी जगहों के मुसहरों की ही तरह हैं। वे इस बात से खुश हैं कि उनके पास कई प्रकार के कार्ड हैं। लाल कार्ड यानी गरीबी रेखा के नीचे वाला राशन कार्ड, पीला कार्ड यानी आयुष्मान योजना का कार्ड, ई-श्रम कार्ड, जॉब कार्ड आदि। आयुष्मान कार्ड के पीछे लिखे नियम और शर्तों के अनुसार यह कार्ड सरकार द्वारा नामित अस्पतालों में मान्य होगा और इससे पाँच लाख तक के इलाज की सुविधा है। मनरेगा में उन्हें काम मिलता है लेकिन साल भर में कभी भी दो महीने से ज्यादा नहीं मिलता।
राजनीतिक रूप से 'अराजनीतिक' सामाजिक आंदोलन का विश्लेषण आपको यह समझा सकता है कि उनमें से अधिकांश 'संघ परिवार' और इसके 'भारत के विचार' की मदद करने में समाप्त हो गए हैं। इन 'आंदोलनों' को जितनी देर तक धकेला जाएगा, भाजपा के लिए समाज के अंतर्निहित अंतर्विरोधों का फायदा उठाना उतना ही बेहतर होगा।
मुसहर अपने को अन्य दलित जातियों से ऊंचा मानते हैं और मौक़ा मिले तो वैसा ही करने से नहीं चूकते जैसे तथाकथित बड़ी जातियां उनके साथ करती हैं। इन्हीं गाँवों में घूमते समय मैंने मुसहरों को डोम लोगों के साथ भेदभाव करते देखा और अपने नल से पानी भरने से साफ़ तौर पर मना करते हुए देखा।