Saturday, July 12, 2025
Saturday, July 12, 2025




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

होमTagsDalit

TAG

dalit

पटकथा के एक पात्र भर हैं सीधी के शुकुल, पिक्चर अभी बाकी है

सीधी के पेशाब-काण्ड पर अनेक प्रतिक्रियाएं आ चुकी हैं। शब्दों में, भावनाओं में, प्रदर्शनों में, आलोचनाओं में, निंदाओं में, भर्त्सनाओं में, कुछ ने खूब...

भाजपा शासित राज्यों में नहीं थम रहे दलितों-आदिवासियों-मुस्लिमों पर अत्याचार

मीडिया के पूरी तरह गोदी मीडिया बन जाने के बाद उसका काम केवल सत्ता के जूते चमकाना भर रह गया है। वह लगातार चीख-चीख...

मोदी सरकार को सत्ता से हटाना हर अंबेडकरवादी का लक्ष्य होना चाहिए: शाहनवाज़ आलम

अल्पस्यंखक कांग्रेस द्वारा आयोजित दलित-मुस्लिम संवाद में बोले कांग्रेस नेता हापुड़। भाजपा दलितों और कमज़ोर तबकों को मिले संवैधानिक अधिकारों को छीनकर फिर से मनुवादी...

बलिया के छात्रनेता हेमंत की हत्या के लिए योगी सरकार जिम्मेदार

पिछड़ों-दलितों की राजनीतिक दावेदारी को हिंसा के जरिए नहीं दबा सकती योगी सरकार हेमंत के परिजनों से मुलाकात कर उनके इंसाफ की आवाज उठाएगा रिहाई...

हाथरस गैंगरेप में जल्द न्याय दिलाने के लिए किया गया प्रदर्शन

हाथरस में हुए जघन्य गैंगरेप हत्याकांड मामले में कई वर्ष बाद भी  न्याय न मिलने पर आक्रोश जताते हुए दखल संगठन की ओर से...

उत्तर प्रदेश में दलितों के विरुद्ध शर्मनाक घटनाएं

उत्तर प्रदेश में दलितों के अपमान की दो अत्यधिक घृणित घटनाएं घटी हैं। इस तरह की एक घटना में 19 साल के एक युवक को केवल इसलिए पीटा गया क्योंकि उसने उच्च जाति के एक व्यक्ति की प्लेट को छू लिया था। यह घटना एक विवाह समारोह में हुई।

मुसहर समुदाय को नहीं पता वह आदिवासी है कि दलित लेकिन द्रौपदी मुर्मू को अपनी बिरादरी का मानता है

चंदौली जिले की नौगढ़ तहसील के नुनवट गाँव के मुसहर भी दूसरी जगहों के मुसहरों की ही तरह हैं। वे इस बात से खुश हैं कि उनके पास कई प्रकार के कार्ड हैं। लाल कार्ड यानी गरीबी रेखा के नीचे वाला राशन कार्ड, पीला कार्ड यानी आयुष्मान योजना का कार्ड, ई-श्रम कार्ड, जॉब कार्ड आदि। आयुष्मान कार्ड के पीछे लिखे नियम और शर्तों के अनुसार यह कार्ड सरकार द्वारा नामित अस्पतालों में मान्य होगा और इससे पाँच लाख तक के इलाज की सुविधा है। मनरेगा में उन्हें काम मिलता है लेकिन साल भर में कभी भी दो महीने से ज्यादा नहीं मिलता।

दो मुल्काें का साझा अतीत, साझा वर्तमान  (डायरी 15 अगस्त, 2022) 

स्वतंत्रता किसे अच्छी नहीं लगती है? इस सवाल को दूसरी तरह से भी देखें कि आखिर वे कौन लोग हैं, जो स्वतंत्रता का मतलब...

सवर्ण बनाम दलित-बहुजन (डायरी 2 अगस्त, 2022)  

बदलाव संसार का नियम है और यह बदलाव हर क्षेत्र में होता है फिर चाहे वह सामाजिक क्षेत्र में बदलाव हो, आर्थिक क्षेत्र में...

हम बिहार के लोग कहाँ पहुंचे (डायरी 25 जुलाई, 2022) 

गांवों से पलायन अब नियति बनती जा रही है। जिस राज्य से मैं आता हूं, वह बिहार है और वर्तमान में मेरा यह राज्य...

मनुस्मृति बनाम शूद्रस्मृति

अभी कुछ महीने पहले सुखद समाचार सुनने को मिला था कि उत्तराखंड में सुखीडाह इन्टर कालेज के छठवीं से आठवीं के शूद्र छात्र-छात्राओं ने...

क्या राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भारत आदिवासियों के साथ होनेवाले अन्याय को ख़त्म करेंगीं

संविधान निर्माताओं समेत स्वाधीनता संग्राम से मंज-तपकर निकले सिद्धान्तनिष्ठ और खरे राजनेताओं की उस पुरानी पीढ़ी ने (जिसे यह पता था कि हमारा लोकतंत्र...

धर्म भी एक सियासत है  

भारत सहित दुनिया के बहुत से मुल्क धर्म आधारित सियासत का या तो हिस्सा हैं या इससे पीड़ित हैं या इस तरह की राजनीति...

दलित, OBC, आदिवासी और मुसलमान इस देश के आर्मी चीफ क्यों नहीं बनाए जाते हैं? (डायरी : 19 अप्रैल, 2022)

बुद्ध और कबीर दोनों कमाल के योद्धा थे। मैं यह बात इसलिए कह रहा हूं कि दोनों ने लड़ाइयां लड़ी और दोनों ने दूरगामी...

दलित साहित्य में भूख और भोजन का चित्रण

पहला भाग यह बड़ी विचित्र बात है कि जिस समाज के पास हमेशा भोजन का भयंकर अभाव रहा और इस भयंकर अभाव के चलते उसे...

लोकतंत्र की रक्षा के लिए भारत को संस्थागत स्वायत्तता जरूरी है  

राजनीतिक रूप से 'अराजनीतिक' सामाजिक आंदोलन का विश्लेषण आपको यह समझा सकता है कि उनमें से अधिकांश 'संघ परिवार' और इसके 'भारत के विचार' की मदद करने में समाप्त हो गए हैं। इन 'आंदोलनों' को जितनी देर तक धकेला जाएगा, भाजपा के लिए समाज के अंतर्निहित अंतर्विरोधों का फायदा उठाना उतना ही बेहतर होगा।

पद्मश्री रामचंद्र मांझी दलित हैं और क्या आप जानते हैं दलित होने का मतलब?(डायरी 10 नवंबर,2021)

दलित, पिछड़ा और आदिवासी होने का मतलब क्या है, इसे समझने के लिए इन समुदायों का होना आवश्यक है। यह मुमकिन ही नहीं है...

बधाई हो दीपा, तुम रोहित बेमूला जैसी नहीं (डायरी 7 नवंबर, 2021) 

प्रसिद्ध समाजशास्त्री प्रो. कांचा इलैया शेपर्ड इन दिनों एक अभियान चला रहे हैं। उनका कहना है कि आजकल के उच्च शिक्षण संस्थानों में दोहरा...

आखिर कौन करता है मुसहरों के साथ भेदभाव

मुसहर अपने को अन्य दलित जातियों से ऊंचा मानते हैं और मौक़ा मिले तो वैसा ही करने से नहीं चूकते जैसे तथाकथित बड़ी जातियां उनके साथ करती हैं। इन्हीं गाँवों में घूमते समय मैंने मुसहरों को डोम लोगों के साथ भेदभाव करते देखा और अपने नल से पानी भरने से साफ़ तौर पर मना करते हुए देखा।

मंदिर प्रवेश मत करो दोस्तों  (डायरी 21 अक्टूबर, 2021) 

कल पूरे दिन एक सवाल मेरी जेहन में बना रहा। देर रात तक उस सवाल ने मेरा पीछा नहीं छोड़ा। सवाल बीते 15 अक्टूबर,...

ताज़ा ख़बरें

Bollywood Lifestyle and Entertainment