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झारखण्ड के आदिवासियों के आधे विकास का पूरा सच

21 सालों के सफर में जहाँ राज्य ने कई कीर्तिमान बनाये हैं वहीं कई स्तर पर कई तरह की चुनौतियाँ आज भी मौजूद हैं। यह सच है कि कोविड जैसी वैश्विक महामारी ने पिछले डेढ़ दो सालों में जान माल का भारी नुक़सान तो किया ही, विकास की गति को भी अवरुद्ध किया है। जिसकी वजह से राज्य के कुल बजट की राशि का अभी तक लगभग 31 प्रतिशत ही खर्च हो पाया है जबकि वित्तीय वर्ष समाप्ति के मात्र चार पांच महीने ही शेष बचे हैं।

वर्ग विभाजन के साये में पनपी एक खूबसूरत प्रेम कहानी है ‘सर’

आज भी घरेलू काम करने वालों को नौकर, नौकरानी का दर्जा दिया जाता है। ज्यादातर घरेलू कामगार वंचित समुदायों और निम्न आय वर्ग समूहों से आते हैं, इनमें से अधिकतर पलायन कर रोजगार की तलाश में शहर आते हैं। उन्हें अपने काम का वाजिब मेहनताना नहीं मिलता है और सब कुछ नियोक्ताओं पर निर्भर होता है जो की अधिकार का नहीं मनमर्जी का मामला होता है। घरेलू कामगारों को कार्यस्थल पर गलत व्यवहार, शारीरिक व यौन-शोषण, र्दुव्यवहार, भेदभाव एवं छुआछूत का शिकार होना पड़ता है। आम तौर पर नियोक्ताओं का व्यवहार इनके प्रति नकारात्मक होता है। इस पृष्ठभूमि में क्या रत्ना और अश्विन के लिए इन सबसे पार पाना, एक दूसरे से प्रेम करना और अपने नियमों के अनुसार जीना संभव है?

प्रकाश झा की मजबूरी (डायरी, 25 अक्टूबर 2021)

जाति और जातिगत हितों को भारत में सबसे अधिक महत्व ब्राह्मण वर्ग के लोग देते हैं। इसका एक ताजा उदाहरण है फिल्मकार प्रकाश झा,...

पंकज  : एक  प्रतिबद्ध  रूपांतरण

सरकारी मासिक पत्रिका के संपादक से प्रतिबद्ध मासिक पत्रिका के संपादक बनने की यात्रा निश्चित ही सहज नहीं होनी चाहिए। मानसिक,पारिवारिक और आर्थिक स्तरों...

क्या महिलाओं को राजनीति में चालीस फीसदी भागीदारी महज़ चुनावी जुमला है

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रियंका का  कांग्रेस द्वारा महिलाओं को...

लगता है मेरा लिखा ग़लत साबित हो रहा है …

कई वर्ष पूर्व यह टिप्पणी लिखी थी: 2019 तक उत्तरप्रदेश को लूट कर चोखा बना दिया जाएगा। जनता त्राहिमाम करने लगेगी कि अबकी सबक सिखाना...

सात समंदर पार ले जाइके, गठरी में बांध के आशा….

वर्तमान पीढ़ी का एक गंभीर संकट जड़हीनता है। ऐसा इसलिए कि अधिकांश 'राजपत्र' और 'कनेक्टिविटी' से घिरी हुई जीवन शैली का आनंद लेते हैं,...

वह चला गया मुझे आधे रास्ते पर उतारकर ….

मैं साल में कम से कम एक बार दीपावली के बाद 3-4 सप्ताह की छुट्टी लेकर गांव अवश्य जाता हूँ। इस छुट्टी में से...

बूढ़े ने बैंक के सहयोग से कई बकरियाँ खरीद ली

दूसरा और अंतिम हिस्सा   भोजन में ठेठ राजस्थानी स्वाद था, दाल बाफले के साथ कढ़ी थी और प्याज तथा मिर्ची के भजिये थे। अमूमन राजस्थान...

परिंदे की जात

लाल्टू ने घर को आखरी बार निहारा। घर जैसे उसके सीने में किसी कील की तरह धँस गया था। उसने बहुत कोशिश की लेकिन,...

 मेरा गांव सोन नद की बांहों में विचारों में उलझी मेरी महबूबा सा…

मेरा गांव सोन नद की बांहों में विचारों में उलझी मेरी महबूबा सा..... कभी गांव को लेकर मैंने एक लंबी कविता लिखी थी। यह कविता मेरे आलोचकीय विवेक पर...

कला का सारा संघर्ष लोकप्रियता से है 

सर्जनात्मकता चाहे ललित कलाओं की हो या लेखन की, लोकप्रियता के अनुबंध को तोड़ कर ही विकसित होती है और आदमी की सोच को...

ये इश्क इश्क है इश्क इश्क (डायरी 19 अक्टूबर, 2021)

इश्क में कुछ हासिल करना ही अंतिम लक्ष्य नहीं होता। इश्क में आदमी को खोने के लिए तैयार रहना चाहिए। लेकिन इश्क का मतलब...

कबीर से लेकर प्रेमचंद तक, सभी ने चुनौतियों का सामना किया

पथ जमशेदपुर के रंगकर्मी और निर्देशक निज़ाम का पिछले दिनों ऑल इंडिया थिएटर एसोसिएशन के वार्षिक सम्मेलन मे शामिल होने के लिए वाराणसी आना...

बचाव के लिए रखा हथियार भी आदमी को हिंसक बनाती है ( डायरी 17 अक्टूबर, 2022)

हस्तीमल  हस्ती  का एक शेर है–बैठते जब हैं खिलौने वो बनाने के लिए, उन से बन जाते हैं हथियार ये किस्सा क्या है। यह...

इक्कीसवीं शताब्दी के पुरुष में भी ओथेलो मौजूद है

बातचीत का चौथा हिस्सा जब आप कहानी लिखती हैं तो मन:स्थिति कैसी होती है। थोड़ा रचनाप्रक्रिया पर भी प्रकाश डालें?  शुरू के दो तीन सालों को...

बिरहा के बेजोड़ कवि-गायक लक्ष्मी नारायण यादव

बिरहा लोकगायकी की एक विशिष्ट विधा है। भोजपुरी बोलने वाले इलाक़ों में इसकी लोकप्रियता ज़बरदस्त रही है। कुछ दशक पहले तक बिरहा गायन की...

 आज का 1984

पहला हिस्सा जार्ज ऑरवेल (Geogre Orwell) का उपन्यास 1984  भविष्य में अधिनायकवाद के स्वरूप का वर्णन करता है। यह पुस्तक 1949 में प्रकाशित हुई...

हिम्मत नगर के अच्छेलाल

‘नमस्कार, चाचा। मैं हिम्मत नगर से अच्छेलाल बोल रहा हूँ।’ हर दूसरे-तीसरे महीने किसी रविवार की सुबह मोबाइल पर यह वाक्य सुनने को मिल...

साजिश की थ्योरी (डायरी 11 अक्टूबर 2021)

सियासत में और सियासत को समझने में आवश्यक अध्ययन में एक थ्योरी होती है। इसे मैं षडयंत्र की थ्योरी मानता हूं। इसमें होता यह...

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