Sunday, July 7, 2024
होमTagsTrending News

TAG

Trending News

जौनपुर में दलित छात्र की मौत, परिजनों ने स्कूल प्रबंधन पर लगाया आरोप

परिजनों ने प्रिंसिपल और स्कूल प्रबंधक के खिलाफ दर्ज कराई शिकायत कहा- बुखार से पीड़ित मेरे बेटे को प्रिंसिपल ने धूप में खड़ा कराया  जौनपुर। जिले...

मई से अबतक 25 वर्दीधारियों पर कार्यवाही यानी कमिश्नरेट बनने के बाद भी नहीं सुधरी पुलिस

वाराणसी में आए दिन कोई कोई-न कोई पुलिसकर्मी भ्रष्टाचार में लिप्त पाया जा रहा है। बीते शनिवार को ही एंटी करप्शन की टीम ने मड़ौली चौकी इंचार्ज अजय यादव को 25 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ दबोच लिया। टीम ने दरोगा के खिलाफ कैंट थाने में केस दर्ज किया। आरोपी का हवालात में दाखिल किया गया, आज उसे एंटी करप्शन कोर्ट में पेश किया जाएगा।

पर्याप्त कर्मचारियों के अभाव में हाँफती भदोही की सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था

भदोही। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र में छिटपुट बारिश और गर्मी के चलते संचारी (संक्रामक) रोगों का प्रकोप तेजी से फैला हुआ है। लोग-बाग...

जर्जर पुलिया और बाढ़ के डर से थरथरा रहा है गाँव, जाने कब बनेगा बांध

गाजीपुर। जब नदी का पानी उफान पर रहता है तब यह रोड पूरी तरह से डूब जाती है और नदी का पानी बढ़ने से...

अंदरूनी मामले कितने अंदरूनी, बाहरी आलोचनाएं कितनी बाहरी

वास्तव में यह दिन 1879 में इसी रोज शुरू हुई फ्रांसीसी क्रांति की सालगिरह के रूप में मनाया जाता है, जिसकी शुरुआत इस कुख्यात जेल में बंद क्रांतिकारियों को छुड़ाने के लिए हमला कर जेल तोड़े जाने के साथ हुई थी। जाहिर है कि भारत से भी बढ़कर फ्रांस में, मानवता को 'स्वतंत्रता, समानता तथा भाईचारा' के लक्ष्य देने वाली, इस फ्रांसीसी क्रांति की सालगिरह की परेड में मुख्य अतिथि प्रधानमंत्री मोदी जैसे भाईचारा-विरोधी नेता को बनाए जाने की काफी आलोचना हुई है।

आलोचना से लेकर मजाक तक निज़ाम बेदम, बस एक टमाटर ने तोड़ दिया मजबूत सरकार का भ्रम

गौरतलब है कि 29 मार्च 2022 को हाईस्कूल की संस्कृत की परीक्षा थी। 28 मार्च की रात को ही बलिया में प्रश्नपत्र व मिलती-जुलती हल की हुई कॉपी वायरल हो गई। 29 मार्च की सुबह छह बजे पत्रकार अजीत ओझा ने इसे तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक को भेजकर जांच करने की बात कही। चार घंटे तक कोई जवाब नहीं आया। दस बजे डीएम इंद्रविक्रम सिंह ने फोन कर प्रश्नपत्र अपने व्हाट्सएप पर मांगा। पत्रकार ने वायरल पर्चा उन्हें भी भेज दिया। फिर भी वायरल प्रश्नपत्र से मिलते-जुलते पेपर से ही परीक्षा करवा ली गई।

दस बरस पहले बनी थी वाराणसी के कादीपुर की सड़क, अब पैदल चलना भी दूभर

वाराणसी के शिवपुर का हाल, गली में इधर-उधर फेंका जाता है कूड़ा, महज चित्रकारी तक सीमित रह गया स्वछता अभियान वाराणसी। शिवपुर में सफाईकर्मी मनमाने...

आज़ादी के अमृत महोत्सव के दौर में महिलाओं पर हिंसा और उनके हक़ की आवाज

देश में आजादी का 75वां अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है, लेकिन आज भी महिलाओं की घरेलू, सामाजिक, आर्थिक स्थितियों में कोई खास सुधार...

सफाई कर्मचारियों के हक की मजबूत आवाज थे भग्गू लाल वाल्मीकि

उरई।  स्वच्छकार समाज की लड़ाई लड़ने वाले भग्गू लाल वाल्मीकि का लखनऊ में इलाज के दौरान  21  जून को निधन हो गया। भग्गू लाल...

घर की दहलीज के अन्दर भी असुरक्षित हैं लड़कियां

 मड़वन ब्लॉक की रहने वाली एक 16 वर्षीया नाबालिग निर्मला (बदला हुआ नाम) अपने साथ बचपन में हुए यौन दुराचार की घटना के बारे...

आधार कार्ड नहीं होने से वंचित रह जाते हैं सरकारी योजनाओं के लाभ से, बच्चों को नहीं मिलता स्कूल में दाखिला

बिना आधार कार्ड के सरकारी अस्पतालों के ओपीडी जांच और गंभीर स्थिति में भर्ती करने जैसी ज़रुरी प्रक्रिया से इन्कार कर दिया जाता है। देश में ऐसे कई केस सामने आये हैं जब गर्भवती महिला का आधारकार्ड न होने की स्थिति में भर्ती करने से मना कर दिया गया और महिला ने अस्पताल के बाहर खुले में बच्चे को जन्म दिया। आखिर ऐसी आधार(UIDAI ) व्यवस्था किस काम की जो ग़रीब बच्चे को शिक्षा और किसी मरीज को इलाज देने में बाधक बने।

संकट में सर्व सेवा संघ, क्या गांधी के लोग बचा पायेंगे गांधी की जमीन

एक सिपाही के पास ऐसे राष्ट्रीय स्तर के प्रकरण पर बोलने की इजाजत नहीं होती है। पुलिस व्यवस्था में सिपाही के पदक्रम को देखते हुये कहा जाय तो उसकी हैसियत नहीं होती है। जिस प्रकरण में प्रत्यक्ष रूप से जिला प्रशासन के आलाधिकारी सरकारी मंशा को अमलीजामा पहनाने में लगे हुये हों, वहां एक सिपाही ‘वर्कआउट’ का प्रसाद नहीं ले सकता। यह हो सकता है कि सिपाही द्वारा कही गई बातें सर्व सेवा संघ से जुड़े लोगों के लिए एक इशारा हो कि सर्व सेवा संघ सहित पूरे परिसर को लेकर सरकार और जिला प्रशासन का इरादा क्या है?

ग्रामीण लेखन के आधार स्तंभ संजॉय घोष

अपने 22 साल के जीवन में मैंने कभी संजॉय घोष के बारे में नहीं सुना था। साल 2011 में दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से...

जाने कब से जमीन तलाश रही है बांस की खपच्चियों में उलझी हुई ज़िंदगी

यही झोंपड़ा उसका घर है, पर इसे घर भी भला कैसे कहा जा सकता है? बस पन्नियों का एक पर्दा भर है, इंसानों से भी और आसमान से भी। पन्नियों को ही पर्दे सा घेर लिया गया है और फिलहाल यही इनका घर है।

गरीबों और पटरी व्यवसायियों की अर्थव्यवस्था को आधार देता भदोही का मेला

उत्तर आधुनिकता के उभार और पूंजी के दबाव ने अकेलापन, व्यक्तिवाद और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देकर सामूहिकता और सामाजिकता के बोध को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया है। बावजूद इसके स्त्रियों का समूह में मेला देखने आने का चलन अभी ग्रामीण समाज में बचा हुआ देखना इस बात की बानगी है कि कृषि आधारित ग्रामीण बहुजन समाज में अभी पूंजी और उत्तरआधुनिकता का रंग उतना नहीं चढ़ा है और वहां सामूहिकता और सामाजिकता का भावबोध अभी भी बहुत ठोस और सघन दिखता है

ताज़ा ख़बरें