Monday, December 23, 2024
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Varanasi

मुनाफ़े की गंगा में कॉर्पोरेट की बढ़ती ताकत से आजीविका विहीन होता बनारस का माँझी समुदाय

ऐसा ही आंदोलन सन दो हजार उन्नीस की पहली जनवरी से शुरू हुआ था, जब मांझी समुदाय ने पहली बार गंगा में क्रूज चलाने के विरोध में नावें किनारे से बांध दी और अस्सी से राजघाट तक अपील की कि कोई भी अपनी नाव नहीं चलाएगा। मांझी समुदाय की मांग थी कि क्रूज को पहले से तय किए गए रास्ते खिड़किया घाट से दशाश्वमेघ घाट तक ही चलाया जाए न कि अस्सी घाट तक। वैसे तो पूरा मांझी समुदाय क्रूज के संचालन से ही नाराज था लेकिन जब उद्घाटन हो गया तो उन लोगों ने क्रूज को तय रास्ते पर चलाए जाने की मांग रखी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर बोला हमला, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दिया फूल

रायपुर और गोरखपुर के बाद प्रधानमंत्री पहुँचे वाराणसी, 12,000 करोड़ रूपये की योजनाओं की घोषणा की  लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर पक्ष-विपक्ष दोनों अपने-अपने तरीके...

कर्मकांड के लोटे से बंधा संस्कार और बच्चों के जलते हुए पाँव

8 मई की दोपहर शुरू होने में अभी दो घंटे बाकी हैं लेकिन वातावरण में गर्मी काफी भर चुकी है। घाटों पर दिखनेवाले अधिकांश...

बनारस में G-20 का जश्न, शहर के बुनकरों द्वारा कबीर जन्मोत्सव मनाने पर लगा सरकारी प्रतिबंध

आखिर संत कबीर को क्यों सहन नहीं कर पा रही है यूपी सरकार?  G-20 जश्न की वजह से शहर के बुनकर कबीर जन्मोत्सव पर...

मृत्युभोज का बहिष्कार-रूढ़ियों और सड़ी-गली परम्पराओं से बाहर आ रहा समाज

मेरे गाँव में अनेक ऐसे परिवार थे जिनके पास अपने परिजनों की तेरहवीं करने की स्थिति नहीं थी। लेकिन पुरोहितों के दबाव के आगे वे इतने मजबूर हो जाते थे कि उन्हें तेरही करनी पड़ती थी। पुरोहित पूर्वजन्म और पुनर्जन्म का भय दिखाता कि अगर ठीक से तेरही नहीं करोगे तो मृतक प्रेत बनकर भटकता रहेगा। महाजन इस ताक में रहता कि पुरोहित के कहने पर ये किसान-मजदूर कर्ज़ लेने उसी के पास आएंगे।

सिर्फ सड़कों तक जी20 की तैयारी, तालाबों और कुंडों को भूल गये

मुख्य मांगें : मोतीझील, सोनिया तालाब, पांडेयपुर तालाब सहित अनेक तालाबों और कुंडों को अतिक्रमण व कचरे मुक्त किए जाने की मांग।   असि और वरुणा...

सभी को सस्ती, बेहतर और सुलभ स्वास्थ्य सेवाओं की सुविधा निकटतम दूरी पर उपलब्ध हो 

स्वास्थ्य के अधिकार कानून बनाने के पक्ष मे हस्ताक्षर कराये गए  केंद्र एवं राज्य स्तर पर स्वास्थ्य आयोग का गठन हो  प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भेजा जाएगा ज्ञापन  वाराणसी...

राजातालाब तहसील में लटकाया जा रहा है सैकड़ों आय, निवास और जाति प्रमाणपत्र

अपने हक की जानकारी न होने के कारण ही लोग तहसील में शिकायतों की अर्जियां लेकर भटकते नजर आते हैं। जनहित गारंटी अधिनियम के तहत हर काम का समय तय है। आप सात दिन में शैक्षणिक कार्य हेतु जाति आय निवास प्रमाण जारी करवा सकते हैं। इसमें देरी होती है तो आप अपील कर मुआवजा लेने के लिए क्लेम कर सकते हैं।

हाथरस गैंगरेप में जल्द न्याय दिलाने के लिए किया गया प्रदर्शन

हाथरस में हुए जघन्य गैंगरेप हत्याकांड मामले में कई वर्ष बाद भी  न्याय न मिलने पर आक्रोश जताते हुए दखल संगठन की ओर से...

बनारस में ब्रश बनाने वाली कामगारों को न्यूनतम मज़दूरी तक नहीं लेकिन कटौती अनिवार्य

अभी तक मैं जितनी महिला कामगारों से मिली हूँ उनमें से कुछ को छोड़ लगभग सबने कम मजदूरी की बात की है। यह किसी एक जगह की बात नहीं है। इसका मतलब यह है कि नियोक्ताओं ने मजदूरी, दाम और मुनाफ़े की जो व्यवस्था बनाई है वह मजदूर की न्यूनतम मजदूरी का भी अधिकतम हिस्सा हड़प लेने वाली है।

भू अर्जन एवं पुनर्वास कानून 2013 के तहत वैधानिक प्रक्रिया अपनाने पर बनी सहमति

 प्रशासन और ट्रान्सपोर्ट नगर योजना से पीड़ित किसानो की विकास प्राधिकरण कार्यालय स्थित सभागार मे हुई वार्ता आज दिनांक 28/02/2023 विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष की...

आखिर कब तक बुनकर सामान्य नागरिक सुविधाओं से वंचित किए जाते रहेंगे?

बजरडीहा बनारस का एक बड़ा मुहल्ला है, जहाँ बुनकरों की बड़ी आबादी बसती है लेकिन जितना बड़ा यह मुहल्ला है उतनी ही बड़ी इसकी...

लखनऊ में 80 एकड़ में एअरपोर्ट बना हुआ है तब यहाँ 670 एकड़ क्यों

इस पदयात्रा में शामिल होने के लिए मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पाण्डेय और उनके साथियों को कैंट वाराणसी रेलवे स्टेशन पर सिगरा पुलिस ने लखनऊ छपरा एक्सप्रेस ट्रेन से उतरने के बाद सुबह छ: बजे हिरासत में लेकर पुलिस लाइन्स के गेस्ट हाउस में नज़र बंद कर दिया। कारण पूछने पर पुलिसवालों ने कहा कि ऊपर से आर्डर आया है, लॉ एंड ऑर्डर बिगड़ जाएगा।

पीढ़ियों से चली आ रही पितृसत्तात्मक सोच को बदलना पड़ेगा

घरेलू महिला उत्पीड़न व लैंगिक भेदभाव के मुद्दों पर जागरुकता एवं संवेदनशीलता प्रसार हेतु बसंता महिला महाविद्यालय, राजघाट की छात्राओं के बीच दख़ल संगठन और...

मेहनत और कारीगरी का काम करने वालों को कभी इज्जत नहीं मिली

नन्दा भैया बनारस के एक मोची हैं। पहले वह बनारसी साड़ी की बुनाई करते थे लेकिन अब कई वर्षों से मोची का काम कर रहे हैं। वह कहते हैं कि हमारा समाज उंच-नीच की भावना से इतना ग्रस्त है कि वह मेहनत करनेवालों को कभी भी इज्जत नहीं देता।

संविधान आधारित सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन किया गया

संविधान दिवस के अवसर पर हो रहे विभिन्न कार्यक्रमों के बीच सामाजिक संस्था आशा ट्रस्ट ने एक अलग तरीके के अभियान की शुरुआत की...

 लिंग आधारित हिंसा को ख़त्म कर के ही देश का विकास संभव है

दिनांक 25 नवम्बर को 16 दिवसीय महिला हिंसा विरोधी पखवाड़े की शुरुआत 25 नवम्बर को भारतीय शिक्षा निकेतन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, मुबारकपुर, बेनीपुर वाराणसी...

पीड़ित का एफआईआर नहीं दर्ज़ करके उत्पीड़क के घर बाटी-चोखा खाती है रामराज्य की पुलिस

किसी भी समाज में पुलिस की भूमिका रक्षक की ही होती है लेकिन इधर बुलडोजरवादी सरकार में पुलिस ने न केवल उत्पीड़ितों का मुकदमा...

बुनकरी के काम में महिलाओं को न्यूनतम मजदूरी भी नहीं मिल पाती

बुनकर को जो मजदूरी मिलती है उसी में घर की स्त्री की मेहनत का मूल्य भी होता है लेकिन वह उसे कभी अलग से नहीं मिलता। अमूर्त रूप से उसका मूल्य उसके भोजन में मिला होता है। अगर बुनकर के जीवन में परिश्रम और गरीबी को देखें तो यह निस्संदेह सहानुभूति पैदा करने वाला काम है जो अर्थव्यवस्था के नकारात्मक विस्तार के कारण दयनीयता और लाचारी के चरम पर है लेकिन स्त्री इस हालत में भी पुरुषसत्ता का शिकार है।

क्या आपको पियाला के मेले की याद है?

क्या आपको याद है कि पियाला का मेला भी कभी एक जलवेदार मेला होता था? यह प्रश्न जब मैंने अपने एक सहकर्मी से किया...

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