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भाजपा और सपा की टक्कर में, मैच फंस ना जाए कांग्रेस के चक्कर में

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण के लिए भाजपा, सपा कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी सहित सभी राजनीतिक दलों ने अपने-अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। प्रथम चरण के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों की घोषणा करने के बाद, राजनीतिक पंडितों और राजनीतिक विश्लेषकों ने उत्तर प्रदेश चुनाव में किस पार्टी का पलड़ा भारी […]

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण के लिए भाजपा, सपा कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी सहित सभी राजनीतिक दलों ने अपने-अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। प्रथम चरण के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों की घोषणा करने के बाद, राजनीतिक पंडितों और राजनीतिक विश्लेषकों ने उत्तर प्रदेश चुनाव में किस पार्टी का पलड़ा भारी रहेगा और किसका पलड़ा कमजोर रहेगा, यह अनुमान लगाना भी शुरू कर दिया है। राजनीतिक पंडित और राजनीतिक विश्लेषकों के अनुमान में प्रत्याशी घोषित होने के बाद ज्यादा फर्क पढ़ता सुनाई नहीं दिया। अभी भी राजनीतिक पंडित और विश्लेषक उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच टक्कर बता रहे हैं। राजनीतिक पंडितों और राजनीतिक विश्लेषकों का भाजपा और सपा के बीच चुनावी टक्कर का पैमाना या मापदंड क्या है? यदि परिवर्तन को पैमाना मानें तो, जनता परिवर्तन सत्ता का ही नहीं बल्कि अपने वर्तमान विधायक का भी चाहती होगी। विधायक का परिवर्तन ही सत्ता परिवर्तन की राह होगा।

[bs-quote quote=”राजनीतिक पंडित और विश्लेषक उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को मरी हुई पार्टी मान रहे थे, कांग्रेस की राष्ट्रीय महामंत्री उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी को पर्यटक, बता कर उनका मजाक उड़ा रहे थे। प्रियंका गांधी जब उत्तर प्रदेश में सक्रिय हुईं तब एक सवाल यह भी उठा की कांग्रेस उत्तर प्रदेश चुनाव में प्रत्याशी लाएंगी कहां से, जब प्रियंका गांधी ने 40% महिलाओं को प्रत्याशी बनाने की घोषणा की तब भी कांग्रेस पर सवाल खड़ा किया गया की कांग्रेस महिला प्रत्याशी लाएंगी कहां से लेकिन जब 125 उम्मीदवारों की लिस्ट कांग्रेस ने जारी की तो उसमें 50 महिला प्रत्याशी भी थी।” style=”style-2″ align=”center” color=”” author_name=”” author_job=”” author_avatar=”” author_link=””][/bs-quote]

 

अगर सही मायने में यही परिवर्तन है तो, भाजपा और सपा की टक्कर में कहीं मैच फंस ना जाए कांग्रेस के चक्कर में।क्योंकि भाजपा और समाजवादी पार्टी ने अपने चित-परिचित नेताओं को चुनावी मैदान में उतार कर दांव खेला है, इनमें ज्यादातर वह नेता है जो वर्तमान में विधायक और मंत्री हैं, ऐसे भी नेता हैं जो पहले विधायक और मंत्री रह चुके हैं। ऐसे में कांग्रेस ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जिसने अधिकांश नए नवेले लोगों को प्रत्याशी बनाया है। खासकर महिला और युवाओं को जो पहली बार चुनावी मैदान में उतर रहे हैं, जनता के बीच कांग्रेस के इन प्रत्याशियों की नकारात्मक छवि बिल्कुल भी दिखाई नहीं देती है, और राज्य में कांग्रेस की चार दशक से सरकार भी नहीं बनी है इसलिए उत्तर प्रदेश में कांग्रेस उत्तर प्रदेश की युवा जनता के लिए एक नई पार्टी के रूप में मैदान में है, और शायद इसीलिए कांग्रेस ने सभी पार्टियों से अलग हटके अपने प्रत्याशी घोषित किए हैं। राजनीतिक पंडितों की नजर अभी भी कांग्रेस पर नहीं है, जबकि भाजपा और समाजवादी की टक्कर में कांग्रेस को भी केंद्र में रखकर इमानदारी से समीक्षा होनी चाहिए थी। कांग्रेस को लेकर समीक्षा क्यों होनी चाहिए, यदि फ्लैशबैक में जाएं, तो कांग्रेस ने राजनीतिक पंडितों और राजनीतिक विश्लेषकों को उत्तर प्रदेश में अपनी उपस्थिति के एक नहीं अनेक प्रमाण अभी तक दिए हैं।

कौन होगा छुपा रुस्तम और कौन होगा किंगमेकर?

राजनीतिक पंडित और विश्लेषक उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को मरी हुई पार्टी मान रहे थे, कांग्रेस की राष्ट्रीय महामंत्री उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी को पर्यटक, बता कर उनका मजाक उड़ा रहे थे। प्रियंका गांधी जब उत्तर प्रदेश में सक्रिय हुईं तब एक सवाल यह भी उठा की कांग्रेस उत्तर प्रदेश चुनाव में प्रत्याशी लाएंगी कहां से, जब प्रियंका गांधी ने 40% महिलाओं को प्रत्याशी बनाने की घोषणा की तब भी कांग्रेस पर सवाल खड़ा किया गया की कांग्रेस महिला प्रत्याशी लाएंगी कहां से लेकिन जब 125 उम्मीदवारों की लिस्ट कांग्रेस ने जारी की तो उसमें 50 महिला प्रत्याशी भी थी। कांग्रेस की सूची में वह नेता नहीं थे जो किसी पार्टी को छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे बल्कि अधिकांश वह लोग हैं जो लोकतंत्र के मैदान में पहली बार अपनी किस्मत आजमाने के लिए उतरे हैं। सवाल वही है भाजपा और सपा की टक्कर में कहीं मैच फंस ना जाए कांग्रेस के चक्कर में।
 
देवेंद्र यादव कोटा स्थित वरिष्ठ पत्रकार हैं।
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