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तीनों काले कृषि कानून वापस के साथ-साथ प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों से माफी मांगी

किसान आंदोलन को शुरू हुए साल भर पूरा हो गया। किसानों ने अपनी मांगों को स्पष्ट रूप से सरकार के सामने रखा, लेकिन सरकार अपने अड़ियल रवैए पर कायम रही। आन्दोलन के शुरुआती दौर से ही सत्ताधारी पार्टी और उसके समर्थन में रहने वाली पार्टियों के नेताओं ने किसानों को खालिस्तानी, माओवादी, राष्ट्रद्रोही आदि न […]

किसान आंदोलन को शुरू हुए साल भर पूरा हो गया। किसानों ने अपनी मांगों को स्पष्ट रूप से सरकार के सामने रखा, लेकिन सरकार अपने अड़ियल रवैए पर कायम रही। आन्दोलन के शुरुआती दौर से ही सत्ताधारी पार्टी और उसके समर्थन में रहने वाली पार्टियों के नेताओं ने किसानों को खालिस्तानी, माओवादी, राष्ट्रद्रोही आदि न जाने कितने शब्दों से आरोप मढ़कर आन्दोलन को कुचलने का प्रयास किया। परंतु किसानों ने भी हार नहीं मानी। किसानों ने भी नेताओं के तथाकथित आरोपों को दरकिनार करते हुए अपने अहिंसात्मक नीतियों के बल पर आन्दोलन को जीवित रखा।  केवल जीवित ही नहीं, बल्कि आज के समय में यह साबित भी किया कि यदि देश की जनता चाहे तो कोई भी कानून उनके खिलाफ नहीं बनाया जा सकता है।

शुक्रवार के सुबह प्रधानमंत्री ने नौ बजे ज्यों ही कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा किया, त्यों ही किसानों ने इसे अपनी जीत बताया और कहा कि पीछले लगभग सात साल में सरकार की यह पहली हार है। किसानों ने कहा कि पीछले कई वर्षों में सरकार ने शोषण और पीड़ादायक कई कानूनों को बनाकर देश की जनता के ऊपर थोपी और उसे सही साबित करती रही। तीनों कृषि कानून भी उन्हीं में से एक है, जिसे आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वापस लेने का ऐलान किया है। इसी को कहा जाता है ‘थूक कर चाटना’।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी किसानों ने सरकार द्वारा तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा को स्वागत किया है। राजातालाब स्थित ‘मनरेगा मज़दूर यूनियन’ के सभागार में शुक्रवार को पूर्वांचल किसान यूनियन के आह्वान पर एक बैठक का आयोजन हुआ, जिसमें यूनियन अध्यक्ष योगीराज सिंह पटेल ने कहा कि सरकार द्वारा काले कृषि कानूनों को वापस लेना किसान आंदोलन की ऐतिहासिक जीत है। अन्य वक्ताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश से माफी मांगना चाहिए, क्योंकि उन्होंने प्रधानमंत्री पर रहते हुए संसद भवन में किसानों को अपमानित करते हुए कहा था कि कुछ लोगों का जीवन ही आन्दोलनजीवी का बन गया है।

बनारस के किसान नेताओं ने भी कहा कि किसानों की फसलों का मूल्य पर खरीदारी का सरकार द्वारा कानून बनाकर खरीद की गारंटी सुनिश्चित करना चाहिए। बैठक शुरू होने के पहले सभी ने जय भीम फ़िल्म देखी। अंत में आराजी लाईन ब्लाक के समक्ष जाकर संविधान और लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई जारी रखने का संकल्प लेकर संविधान की प्रस्तावना पढ़कर शपथ लिया। साथ ही 26 नवम्बर को संविधान दिवस के दिन घर, गाँव-मुहल्लों और बस्तियों में दीप प्रज्वलित कर ‘संविधान शक्ति युग’ मनाने का निर्णय लिया। बैठक में योगी राज सिंह पटेल, राजकुमार गुप्ता, सुरेश राठौर, मनीष शर्मा, अनूप श्रमिक, गणेश शर्मा, प्रभु नारायण पटेल, सेवा पटेल, अली हसन, अरमान, श्रद्धा, रेनू, प्रियंका, रीना. निशा, अजय, रोहित, सीता, राजकुमारी, पूजा, मुस्तफ़ा आदि उपस्थित थे।

गाँव के लोग
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