कल संयोग ही कहिए कि इंदिरा गांधी की जयंती थी। इंदिरा गांधी ने भी एक समय यही रूतबा हासिल कर लिया था। संसदीय आचरण का मजाक उन्होंने भी उड़ाया था और तब यह कहावत आम थी कि इंदिरा इज इंडिया, इंडिया इज इंदिरा। यह ठीक ऐसा ही है, जैसे कि आज इंडिया इज नरेंद्र मोदी, मोदी इज इंडिया।
नरेंद्र मोदी की तरह ही नीतीश कुमार भी अपने कबीना सहयोगियों को दोयम दर्जे का समझते हैं। दोनों के बीच समानता यह भी कि दाेनों से मिलने के लिए उनके कबीना के सहयोगियों को अप्वाइंटमेंट लेना पड़ता है। मैं तो नीतीश कुमार की बात कर रहा हूं। कल ही बिहार के एक बड़े मंत्री से बात हो रही थी, उनका साफ कहना था कि नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी दोनों में कोई फर्क नहीं है।
