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आजमगढ़ के निजामाबाद में धान की खरीद न होने से किसान परेशान

आजमगढ़। खेती करने वाले किसानों के सामने हमेशा कोई न कोई समस्या आती है । कभी बीज न मिलने से वह परेशान रहता है तो कभी कभी फसल का उचित मूल्य न मिल पाने से। आजमगढ़ के निजामाबाद के किसान इन दिनों धान की सरकारी खरीद न होने से परेशान है। प्राप्त जानकारी के अनुसार […]

आजमगढ़। खेती करने वाले किसानों के सामने हमेशा कोई न कोई समस्या आती है । कभी बीज न मिलने से वह परेशान रहता है तो कभी कभी फसल का उचित मूल्य न मिल पाने से। आजमगढ़ के निजामाबाद के किसान इन दिनों धान की सरकारी खरीद न होने से परेशान है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार निजामाबाद सरकारी क्रय-विक्रय समिति लिमिटेड की तरफ से लगभग 25 दिनों से धान की खरीद नहीं हो रही है। एक गोदाम खाली रहने के बावजूद किसानों को यह कहकर वापिस लौटा दिया जा रहा है कि धान की बोरियां रखने की जगह नहीं है।

क्रय केन्द्र पर 5 हजार कुन्तल धान तौल करने का लक्ष्य दिया गया था लेकिन अभी तक 1790 कुन्तल ही धान की खरीद हो पायी है। हालांकि जिले के अफसर इस बात की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं कि ज्यादा से ज्यादा किसानों से धान की खरीद की जाय और किसानों को ज्यादा से ज्यादा जो भी सुविधाएं हो सके उपलब्ध करायी जाए। लेकिन इस केन्द्र पर धान की खरीद बंद हो गई है।

इस बारे में जब निजामाबाद सरकारी क्रय विक्रय समिति के सचिव कमलेश से बात की गई तो उन्होंने बताया कि हमारे पास खरीदे धान को रखने के लिए दो गोदाम हैं और दोनों गोदाम खरीदे गए धान से भरे पड़े हैं। विभाग की ओर से धान की बोरियों की ढुलाई नहीं हो पा रही है, जिससे धान की खरीद को रोकना पड़ा। अगर हमने धान की खरीद कर ली तो समस्या उसे रखने की होगी। हमारे पास दो गोदामों के अलावा कोई तीसरा गोदाम नहीं है जहां पर हम धान को खरीद कर रख सकें। इसलिए जब तब धान की विभागीय ढुलाई नहीं शुरू होती तब तक धान की खरीद संभव नहीं है। धान की खरीद न होने से किसान क्रय केेन्द्र पर आकार निराश मन से वापस लौट जा रहे है।

धान की खरीद न होने की स्थिति में किसानों के पास दो ही रास्ते बचते हैं पहला यह कि किसान इंतजार करे जब खरीद शुरू होगी तो वह अपनी फसल को यहां लाकर बेचे। दूसरा यह कि किसान बिचैलियों को औने-पौने दामों में अपनी फसल को बेच दे। अमूमन देखा जाता है कि बिचौलिए व्यापारी ही होते है इनका एक खास वर्ग होता है।

ज्यादातर मामलों में किसान दूसरे रास्ते को चुनता है क्योंकि कर्जदार अपना पैसा वसूलने के लिए उसके सीने पर चढ़े रहते है। उसके पास समय नहीं होता कि रुककर इंतजार करे। आजमगढ़ के फूलपुर निवासी किसान अरविन्द यादव कहते हैं किसान के पास अपनी फसल रखने का समय नहीं होता है क्योंकि साहूकार पैसा वसूलने के लिए उसकी गर्दन पर चढ़ा रहता है। ऐसे में वह सही समय का इंतजार किए बगैर बिचैलियों द्वारा जो भी दाम मिलता है उतने में ही वह अपनी फसल को बेच देता है।

ऐसी स्थिति पैदा होने के क्या कारण है –

उत्तर प्रदेश में अक्सर ऐसी घटनाएं देखने और सुनने को मिलती रहती हैं कि बोरी की कमी के कारण धान की खरीद बंद या फिर गोदाम में जगह की कमी के कारण धान या गेहूं की खरीद बंद। लेकिन इसके पीछे का वास्तविक कारण व्यापारियों का हित साधना या उन्हें खुश करने की मंशा होती है। इससे व्यापारी वर्ग सरकार से खुश भी रहता है और सरकार को उसका लाभ चुनाव के दौरान मिलता रहता है।

बहरहाल सरकार और जिला प्रशासन को इस दिशा में वैकल्पिक व्यवस्था करने की जरूरत है जिससे किसानों को होने वाले नुकसान से रोका जा सके और उन्हें उनकी फसल का वाजिब मूल्य भी मिल सके। वरना एक दिन ऐसा भी आ सकता है जब किसान पूरी तरह से किसानी से तौबा कर लेगा और आम आदमी दाने-दाने के लिए मोहताज हो जाएगा।

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