बीएचयू में मणिपुर हिंसा को तुरंत रोकने व पीड़ितों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए मोमबत्ती मार्च हुआ
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय परिसर के अध्यापकों द्वारा मणिपुर में हिंसा पर रोक लगाने की अपील। कंडल विजिल के माध्यम से पीड़ितों के साथ संवेदना व्यक्त की। वाराणसी में 22 जुलाई को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय परिसर में मणिपुर में हो रही हिंसा और महिलाओं की साथ की गई शर्मनाक क्रूरता के खिलाफ अध्यापकों ने विरोध प्रदर्शित […]
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय परिसर के अध्यापकों द्वारा मणिपुर में हिंसा पर रोक लगाने की अपील।
कंडल विजिल के माध्यम से पीड़ितों के साथ संवेदना व्यक्त की।
वाराणसी में 22 जुलाई को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय परिसर में मणिपुर में हो रही हिंसा और महिलाओं की साथ की गई शर्मनाक क्रूरता के खिलाफ अध्यापकों ने विरोध प्रदर्शित किया। साथ ही मणिपुर में ढाई महीने से चल रही क्रूरतापूर्ण हिंसा पर रोक लगाने केलिए परिसर में अध्यापक और छात्र एकत्रित होकर एक अपील जारी की। साथ वहाँ पीड़ित लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त की।
विभिन्न विभागों के शिक्षकों ने 22 जुलाई की शाम परिसर में एक कैंडिल विजिल का आयोजन किया। हाथों में तख्तियां लिए, अध्यापक मांग कर रहे थे कि मणिपुर में हिंसा पर तत्काल रोक लगाई जाए। महिलाओं के साथ दरिंदगी करने वालों को दंडित किया जाये। मणिपुर में शांति बहाली के प्रयास तेज किये जाये।
कार्यक्रम के दौरान, एक अपील भी जारी की गई, जिससे यह संदेश जा सके कि काशी हिन्दू विश्विविद्यालय के अध्यापक, इस संकट की घड़ी में, मणिपुर की जनता के साथ खड़े हैं और कानून के राज के लिए मानवाधिकारों की रक्षा के लिये प्रतिबद्ध हैं।
मणिपुर में 3 मई से दो आदिवासी समुदायों, मैतई और कुकी जनजातियों के बीच जो हिंसा शुरू हुई, वह आज तक चल रही है। इस हिंसा में सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं, जिसमें महिला, बुजुर्ग, युवा शामिल हैं। हजारों कुकी परिवार जंगलों की तरफ पलायन कर चुके हैं। लेकिन न तो वहाँ की राज्य सरकार और न ही केंद्र में बैठी सरकार हिंसा कर रहे लोगों के खिलाफ किसी भी तरह से कोई कदम उठाने की जहमत उठाई, जबकि यहाँ डबल इंजन की सरकार है। यदि 4 मई को 2 महिलाओं के साथ हुई क्रूरतापूर्ण घटना का वीडियो सामने नहीं आता, तो प्रधानमंत्री द्वारा दो लाइन के ज़ाहिर किए गए अफसोस की भी उम्मीद नहीं की सकती थी। सोशल मीडिया पर इस वीडियो के तेजी से वायरल होंने के बाद उन्हें कहने के लिए मजबूर होना पड़ा।
पूरी दुनिया के साथ यूरोपीय संसद में तक मणिपुर हिंसा को लेकर सवाल उठे लेकिन यदि सवाल नहीं उठाया तो अपने देश में। यह बहुत ही शर्मनाक बात है कि दूसरे देशों के लोग मणिपुर हिंसा और इन दो महिलाओं के साथ हुए इस कृत्य पर शर्मिंदगी महसूस कर रहे हैं। जो हुआ वह मानवाधिकार का घोर उल्लंघन है। महिलाओं की सामाजिक सुरक्षा को लेकर हमारा देश बहुत ही लापरवाह रहा है। आए दिन लड़कियों और बच्चियों के साथ बलात्कार की घटनाएं सुनाई देती हैं। आदिवासियों के विकास की बात करने वाले सत्ताधीश आदिवासियों के साथ हो रहे अत्याचार पर चुप हैं।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय परिसर के अध्यापक, मणिपुर में, विशेषकर महिलाओं पर हुई हिंसा की भर्त्सना करते हैं। एक लोकत्रांतिक समाज में यह अस्वीकार्य है। हम मांग करते हैं कि इस हिंसा को अंजाम देने वालों पर न्यायोचित कार्रवाही की जाये। सभी नागरिकों के बुनियादी मानवाधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए।
हम उन सभी लोगों के साथ खड़ें हैं जिन्होंने अपनी जान और सम्पति गवाई हैं।मणिपुर में शांति बहाली के हर प्रयास के प्रति हम अपनी एकजुटता एवं अपना सहयोग प्रस्तुत करते हैं।
अध्यापकों के समर्थन में विश्वविद्यालय के कई छात्र भी मौजूद थे। कार्यक्रम में एक अपील भी जारी की गई।
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Useful article, thank you. Top article, very helpful.
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