Thursday, November 21, 2024
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लोकल हीरो

लोकल हीरो : दो बच्चों को गोद लेने की इच्छा एक पूरे समुदाय के बच्चों का जीवन बदलने का अभियान कैसे बनी?

बनारस के कुख्यात रेडलाइट एरिया शिवदासपुर में बहुत कुछ बदल गया है। ऊपर से यह इलाका नयी इमारतों और बाज़ारों से जगमगा रहा है लेकिन असली बदलाव अंदर आ रहा है। शहर की एक महत्वपूर्ण संस्था गुड़िया ने रेडलाइट एरिया के बच्चों के जीवन में एक नयी रौशनी पैदा की है और वे पढ़ते-लिखते हुये अपने लिए एक बेहतर और सम्मानजनक जीवन जीने की तैयारी कर रहे हैं। गुड़िया संस्थान के कर्ता-धर्ता अजित सिंह और सांत्वना मंजू ने देह व्यापार के विरुद्ध भारत के सबसे बड़े अभियानों का नेतृत्व किया है। पढ़िये कैसे अनाथालय में पली-बढ़ी एक बच्ची ने अपना जीवन समाज से अपमानित और बहिष्कृत बच्चों की बेहतरी में लगा दिया।

प्रेम कुमार नट की कहानी : संविधान ने अधिकार दिया लेकिन समाज में अभी कई पहाड़ तोड़ने हैं

नट समुदाय का नाम आते ही जेहन में रस्सी पर चलने वाले छोटे बच्चों की याद आ जाती है क्योंकि बचपन से हमने नटों का वही तमाशा देखा था। लेकिन बड़े होते-होते अब तमाशा दिखाने वाले वे लोग फिर कभी गली-चौराहे-मोहल्ले में दिखाई नहीं दिए। आज इनकी बात इसलिए याद आ गई क्योंकि हमें बेलवाँ की नट बस्ती में इस समुदाय के बारे में जानने के लिए जाना था, लेकिन वहाँ पहुँचने पर ऐसा कुछ दिखाई नहीं दिया। आम लोगों जैसे ही वे अपनी  बस्ती में मगन थे। उनको लेकर प्रचलित मिथक अब अतीत की बात हो चली है।

लोकविद्या भाईचारा को समर्पित ‘चित्रा सहस्रबुद्धे’ का जीवन

लोगों की चेतना जिस तरफ खुलती है, वही उनका कर्म क्षेत्र बन जाता है और फिर लोग अपना जीवन उसी में लगा देते हैं। ऐसी ही एक शख्सियत हैं चित्रा सहस्त्रबुद्धे, जिन्होंने अपना पूरा जीवन लोकविद्या जन आंदोलन के माध्यम से कारीगर समाज के पुनर्निर्माण के रास्ते बनाने के लिए लगा दिया। चित्रा जी लोकविद्या जन आंदोलन की राष्ट्रीय समन्वयक हैं। उनके अनुसार सामान्य लोगों (विशेषकर किसान, कारीगर, आदिवासी, स्त्रियाँ और छोटी पूंजी के उद्यमी आदि) के पास जो ज्ञान है, उसमें उनके और वृहत समाज के पुनर्निर्माण का आधार है। इसे ही लोकविद्या कहा जाता है और आज भी इसी में समाज के प्रत्येक व्यक्ति की सक्रियता, पहल और चेतना के पुनर्स्थापना की चाभी है।

सोनभद्र : सत्ता, भ्रष्ट व्यवस्था और गरीबी से जूझते हुये न्याय के लिए संघर्ष और जीत के नायक

सोनभद्र जिले की दुद्धी विधानसभा के भाजपा विधायक रामदुलार गोंड द्वारा बलात्कार की शिकार होनेवाली लड़की के बड़े भाई रामसेवक प्रजापति ने न्याय के लिए नौ साल लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। अनेक धमकियों और मुकदमों को झेलते हुये भी उन्होंने हार नहीं मानी। 15 दिसंबर 2023 को एमपीएमएलए कोर्ट ने रामदुलार गोंड को नाबालिग लड़की से रेप के मामले में 25 साल के कठोर कारावास और 10 लाख रुपए जुर्माने की सज़ा सुनाई।

पुंछ : बीमारी और आर्थिक तंगी से जूझता एक परिवार, समाज के लिए प्रेरणादायक है

हर परिवार की धुरी एक स्त्री होती है, उसके ही इर्द-गिर्द पति, बच्चे और परिवार के सभी सदस्यों का जीवन गुजरता है लेकिन किसी स्त्री की गंभीर बीमारी हो जाने से पूरा परिवार अस्त-व्यस्त हो जाता है। ऐसा ही एक गरीब मजदूर गुलाम मुहम्मद का अपने जीवनसाथी परवीन की मानसिक स्थिति कमजोर होने के बाद उसकी और बच्चों की जिस तरह देखभाल किया वह अद्भुत है।

जौनपुर : शादी की 40वीं सालगिरह पर बांटे 40 बक्सा पुस्तकालय, अतुल यादव रच रहे हैं सामाजिक चेतना का नया संसार

अतुल यादव विगत कई वर्षों से पढ़ने वाले तेज लेकिन आर्थिक रूप से विपन्न विद्यार्थियों के लिए किताबें मुहैया कराते आ रहे हैं। वह बताते हैं कि हर साल सेशन की शुरुआत में बच्चों को किताबें देते हैं और उनके अगली कक्षा में जाने के बाद उन्हें उस कक्षा की किताबें देकर पिछली किताबें लेते हैं और अन्य बच्चों को किताबें मुहैया कराते हैं।

रामदास राही जिन्होंने भिखारी ठाकुर की यादों को सँवारने में जीवन लगा दिया

भिखारी ठाकुर के नाट्य शैली को लौंडा नाच कहने वाला जेएनयू का एक शोधार्थी जैनेन्द्र दोस्त है जो कि महाथेथर है। उसने ही रामचंद्र माझी को पाँच हजार रुपया देकर दिल्ली में अश्लीलतापूर्वक नचवाया था। अभिनय और कला की बहुत-सी भाव भंगिमाएं होती है जिसका ज्ञान सबको नहीं है। जगदीशचंद्र माथुर ने भिखारी ठाकुर को भरत मुनि के परंपरा का नाटककार कहा है और राहुल सांकृत्यायन ने उन्हें अनगढ़ हीरा कहा।

गरीबों-वंचितों और बेसहारों का सहारा है बनारस का अमन कबीर

आज से हम एक नए कॉलम की शुरुआत कर रहे हैं जिसका नाम है लोकल हीरो। इसमें हम उन लोगों की कहानियाँ ढूंढकर लाएँगे जिन्होंने स्थानीय स्तर पर अपने-अपने क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किया है। शिक्षा, स्वास्थ्य, समाज सेवा,  पानी, पर्यावरण,  संस्कृति, सामाजिक सद्भाव , स्त्रियों  के अधिकारों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों, बच्चों, बूढ़ों,  किसानों, मजदूरों, वंचितों और हाशिये के समाजों की बेहतरी के लिए काम करने वाले ऐसे अनेक लोग पूर्वाञ्चल में हैं जिनके बारे में जानकर हमें गर्व का अनुभव होता है और उनके काम से प्रेरणा मिलती है। यह कॉलम प्रत्येक रविवार को प्रकाशित होगा। आज इसकी पहली कड़ी में बनारस के एक महत्वपूर्ण युवा अमन कबीर के बारे में जानिए। 

चुनौतियों से लड़ने की प्रेरणा देती है महिला कुली दुर्गा

बैतूल जिला में दुर्गा के प्रति काफी सम्मान है। यही वजह है कि इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के कार्यक्रम में जिलाधिकारी द्वारा उन्हें सम्मानित किया गया है। इससे पूर्व में भी अलग-अलग मंचों पर उन्हें सम्मान प्राप्त होते रहे हैं।

बिरहा का मान बढ़ाने वाले गायक थे परशुराम यादव

बिरहा मूलत: मनोरंजन का एक साधन रहा है, लेकिन उसके ज़रिये दर्शकों को कोई न कोई सन्देश ज़रूर दिया जाता है। बिरहा के जानकर और उसके रसिक यह जानते हैं कि अधिकांश बिरहियों में मनोरंजन का तत्व अधिक रहता है। परशुराम यादव ने मनोरंजन और लालित्य तत्व में संतुलन स्थापित किया।

वाराणसी : संघर्ष के धागे से ज्ञान की कायनात बुनते शैक्षिक शिल्पकार हैं सुरेन्द्र प्रसाद सिंह

यही वह प्रस्थान बिंदु बना जिसने एक नए सुरेन्द्र प्रसाद सिंह को रचना, गढ़ना शुरू किया। जिले के अन्य शिक्षक जहां इस सर्वे का प्रारूप ही नहीं तैयार कर पा रहे थे वहीं सुरेन्द्र प्रसाद सिंह ने सर्वे का पूरा फार्मेट सेट कर दिया था। इनके  बनाये हुये सर्वे का फार्मेट ही सर्वे का माडल पत्र बन गया। उसी प्रारूप को प्रिंट कराकर पूरे जिले में वितरित किया गया। यह सर्वजनिक जीवन में पहला ऐसा बड़ा काम था जिसकी प्रसंशा की गई और सुरेन्द्र प्रसाद सिंह वाराणसी शिक्षा विभाग की एक नई उम्मीद भी बने।