Friday, November 22, 2024
Friday, November 22, 2024




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

होमTagsनवल किशोर कुमार

TAG

नवल किशोर कुमार

दलित लेखकों-विचारकों की वैचारिक दरिद्रता डायरी (26 अगस्त, 2021) 

बचपन वाकई अलहदा था। अहसास ही नहीं होता था कि इंसान-इंसान के बीच कोई भेद होता है। भेद के नाम पर केवल इतना ही...

‘पाक्सो’ का ‘पास्को’ बन जाना डायरी (25 अगस्त, 2021)

भाषा की परिभाषा क्या है अथवा क्या होनी चाहिए!? यह सवाल लंबे समय से जेहन में है। हालांकि भाषा की अनेक परिभाषाएं देखने और...

जातिगत जनगणना का सवाल और बदलते संदर्भ  डायरी (24 अगस्त, 2021)

मनुष्यों के बीच तुलना के लिए अनेकानेक क्राइटेरिया हैं और इनके आधार पर ही कुछ खास गुणों की पहचान होती है। मतलब यह कि...

पंचायतों से विधानसभा और लोकसभा, केवल मौजां ही मौजां नहीं, अनाथ होते बच्चे और विधवा होती महिलाएं भी हैं (डायरी- 23 अगस्त, 2021)

बिहार में पंचायती राज निकायों के चुनावों को वहां की सरकार ने सहमति दे दी है। बीते दिनों राज्य मंत्रिपरिषद ने भी इस फैसले...

विमल, कंवल और उर्मिलेश (पांचवां और अंतिम भाग)  डायरी (21 अगस्त, 2021)  

किसी भी संज्ञा के आकलन के लिए कुछ पारामीटर आवश्यक हैं और आकलन जरूरी होते हैं क्योंकि आकलन नहीं करने का मतलब यह होता...

ब्राह्मणवाद पर अदालती प्रहार डायरी (19 अगस्त, 2021)

परिस्थितियां एक जैसी कभी नहीं रहतीं। बदलती रहती हैं। यह मनुष्य पर निर्भर करता है कि वह बदल रही परिस्थितियों के अनुरूप खुद को...

दुनिया में बेनजीर अफगानिस्तान की ये पांच-छह महिलाएं डायरी (18 अगस्त, 2021)

 मैं बेहद रोमांचित हूं और एक हद तक खुश भी। मुझे ये अहसास बहुत कम ही मिलते हैं। कई बार तो लंबे समय तक...

बात, जो पूंजीवाद और नवउदारवाद के विमर्श के परे भी है डायरी (17 अगस्त, 2021)

पूंजीवाद मेरे जीवन में पहली बार तब आया जब मैं पत्रकार बना ही था। पटना से प्रकाशित दैनिक आज में मुझे जो बीट दिया...

पत्रकारिता, संसद, न्यायपालिका और बेपरवाह हुक्मरान (डायरी, 16 अगस्त, 2021)  

प्रधानमंत्री के पद पर बैठा व्यक्ति बेहद महत्वपूर्ण होता है। उसे अपना अपना महत्व बनाए रखना चाहिए। इसके लिए उसका उदार होना, सौम्य होना...

ओम बिरला, वेंकयानायडू और हरिवंश की रीढ़  डायरी (13 अगस्त, 2021)

भारत में लोकतंत्र बड़ी तेजी से पतन की ओर अग्रसर है। जिस तरह से भारत में सत्तासीन नरेंद्र मोदी सरकार लोकतांत्रिम परंपराओं का अवमूल्यन...

विमल, कंवल और उर्मिलेश डायरी (11 अगस्त, 2021) (दूसरा भाग)

कल का दिन एक खास वजह से महत्वपूर्ण रहा। लोकसभा में केंद्र सरकार द्वारा लाया गया अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित 127वां संविधान...

‘शाश्वत सत्य’ और राज्य डायरी (9 अगस्त, 2021)

भारतीय सामाजिक व्यवस्था का केंद्रीय चरित्र पूंजीवादी है और यह कोई नयी बात नहीं है। चार वर्णों की व्यवस्था इसलिए ही बनायी गयी है।...

हम हिन्दू नहीं, आदिवासी हैं…डायरी (8 अगस्त, 2021)  

धरती और अंतरिक्ष में अंतर है। वैज्ञानिक स्तर पर तो अंतर यही है कि धरती पर गुरुत्वाकर्षण शक्ति का मान अलग होता है और...

प्रभाष जोशी ब्राह्मण थे, इसलिए बकवास भी खूब लिखते थे डायरी (6 अगस्त, 2021)

“तिलक, तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार” का नारा कांशीराम ने दिया था। उन्होंने यह नारा क्यों दिया था, यह मुझे तब समझ...

आरक्षण ओबीसी का अधिकार है, भीख नहीं डायरी (5 अगस्त, 2021) 

ओबीसी यानी अन्य पिछड़ा वर्ग। इन दिनों यह वर्ग राजनीति और खबरों के केंद्र में है। नरेंद्र मोदी सरकार इन दिनों ताबड़तोड़ फैसले कर...

खतरे में है देश की संप्रभुता  डायरी (28 जुलाई, 2021) 

समय बहुत मूल्यवान होता है। इसकी कीमत का कोई आकलन नहीं हो सकता। ऐसा मेरा मानना है। वहीं मैं यह भी मानता हूं कि...

नेपाल,भारत और मेरा पुत्र जगलाल दुर्गापति (15 जुलाई, 2021 की डायरी )

बात वर्ष 2015 की है। देश के प्रसिद्ध समाजवादी विचारक सच्चिदानंद सिन्हा से साक्षात्कार का अवसर मिला था। साक्षात्कार के दौरान भारत में लोकतंत्र...

आम और आदमी या आम आदमी या फिर कोई और? (11 जुलाई, 2021 की डायरी)

दो शब्द हैं - आम आदमी। दोनों शब्दों के बीच कोई मेल नहीं। मतलब यह कि आम एक फल है और आदमी आदमी। लेकिन...

बीज, बाजार और किसान (9 जुलाई, 2021 की डायरी)

समाज कैसे बदलता है? यह एक सवाल हो सकता है। खासकर उनके लिए जो समाज के बदलने की प्रक्रिया से परिचित नहीं हैं। वैसे...

अंतरिक्ष के बाशिंदे (8 जुलाई, 2021 की डायरी)

बचपन में अंतरिक्ष को लेकर मन में बड़ी दिलचस्पी रहती थी। आज भी है लेकिन आज मेरे सवालों के जवाब हैं। बचपन में जवाब...

ताज़ा ख़बरें