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jawaharlal nehru
राष्ट्रीय झंडे को लेकर संविधान सभा में नेहरु द्वारा दिया गया भाषण
आज महान क्रांतिकारी, देश के पहले प्रधानमंत्री, शांतिदूत, चिंतक एवं लेखक पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिन है। परम्परा के अनुसार दुनिया में अपने पुरखों को याद किया जाता है। हमारे पुरखे कैसे भी हों हम उन्हें याद करते हैं। एक चपरासी का पुत्र यदि आईएएस बन जाता है तो उसका सारा श्रेय वह अपने पिता को देता है। दूसरे देशों में भी यह परम्परा कायम है। चीन में भले ही कम्युनिस्ट क्रांति हुई हो और कम्युनिस्टों का राज आ गया हो फिर भी वहां सुन यात-सेन को याद किया जाता है। क्यूबा में फिडेल केस्ट्रो अपने देश के अनेक क्रांतिकारियों को याद करते हैं। मैंने स्वयं अपनी क्यूबा यात्रा के दौरान केस्ट्रो को वहां के पूर्वजों को याद करते सुना है। अमरीका में वहां के राष्ट्र की स्थापना करने वाले वाशिंगटन को अमरीका की क्रांति के दिवस पर याद किया जाता है। अमरीका ने उन्हें सबसे बड़ी श्रद्धांजलि अपनी राजधानी को उनके नाम पर रखकर दी है। देश के अनेक अखबार 14 नवंबर को जवाहरलाल नेहरू को याद नहीं करते हैं। मेरे घर प्रतिदिन अनेक अखबार आते हैं। मैं देख रहा हूं कि एक-दो अखबारों को छोड़कर किसी ने उन्हें याद नहीं किया आखिर क्यों? उनके जन्मदिन पर उन्हें हम याद करते हुए, अपनी ओर से और अपने साथ जुड़ी संस्थाओं की ओर से पंडित जवाहरलाल नेहरू को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। न सिर्फ भारत के नेता के रूप में बल्कि एक विश्व नेता के रूप में भी। इस अवसर पर मैं जवाहरलाल नेहरू द्वारा दिये गये एक भाषण को जारी कर रहा हूँ जो उन्होंने हमारे तिरंगे झंडे के सम्मान में संविधान सभा में दिया था।
क्या वास्तव में मोदी अवतारी पुरुष हैं ?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हिन्दू राष्ट्रवादी हैं और हिन्दू राष्ट्र के निर्माण के घोषित लक्ष्य वाले आरएसएस के प्रशिक्षित प्रचारक हैं। सांप्रदायिक राष्ट्रवाद को नस्ल या धर्म का लबादा ओढ़े तानाशाही बहुत पसंद आती है। धार्मिक राष्ट्रवादी समूह अपने सर्वोच्च नेता की छवि एक महामानव की बनाने में कोई कसर बाकी नहीं रखते। ऐसे में वे अवतारी पुरुष कैसे हुए?
पंडित जवाहरलाल नेहरू : लोकतन्त्र को शासन व्यवस्था नहीं बल्कि एक संस्कार मानते थे
आज देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की 60वीं पुण्यतिथि है। नेहरू जी केवल प्रधानमंत्री ही नहीं थे बल्कि वे आधुनिक भारत के निर्माता थे। वे भारतीय राष्ट्र के समाजवाद और धर्मनिरपेक्ष के प्रणेता माने जाते हैं । उन्होंने 1947 के बाद देश को किस तरह आगे ले जाना है इसकी बेहतर नींव रखी। लोकतन्त्र को केवल शासन-व्यवस्था नहीं, एक संस्कार मानते थे। वे स्वयं को देश का प्रधान सेवक मानते थे लेकिन आज के प्रधानमंत्री की तरह नहीं।
मोदी की कृपा से रामलला भी बेघर से घरवान होने वाले हैं
आखिर, मोदी जी ने गलत क्या कहा है। फिर विरोधी बेबात का वितंडा क्यों खड़ा कर रहे हैं। क्या अयोध्या में रामलला के लिए...
कांग्रेस, राहुल गांधी की सामाजिक न्यायवादी छवि को सामने लाने का दम नहीं दिखा पायी
कांग्रेस देश की सबसे महत्वपूर्ण पार्टी है, जिसके नेतृत्व में स्वाधीनता संग्राम की लड़ाई लड़कर ब्रितानी हुकूमत से देश को आज़ादी मिली। यूं तो...
सांसदों का निलंबन करके लोकतंत्र का गला घोंट रही है सरकार : सोनिया गांधी
नई दिल्ली (भाषा)। वर्तमान सरकार लोकतंत्र का गला घोंट रही है। इससे पहले कभी भी इतने सारे विपक्षी सांसदों को सदन से निलंबित नहीं...
भाषायी अराजकता और असभ्यता को रोकने के लिए जरूरी है आचरण नियमावली
आज मुझे राजनीति का पुराना चलन याद आ रहा है, जब सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्य सदन में एक दूसरे का वैचारिक आधार...
बाल दिवस पर केरल के मुख्य मंत्री ने फलस्तीनी बच्चों की सुरक्षा के लिए सामूहिक कदम उठाने का किया आह्वान
तिरुवनंतपुरम (भाषा)।भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन बाल दिवस के तौर पर पूरे देश में मनाया जाता है। इस अवसर पर केरल...
राजदंड बिना सब सून…
विपक्ष वालों‚ ऐसी भी क्या तंग-दिली। संसद की नई बिल्डिंग बनवाने के लिए न सही‚ नई बिल्डिंग का उद्घाटन करने तक का सारा बोझ...
नियंत्रित स्वतंत्रता की प्रतीकात्मक प्रस्तावना तो नहीं है लोकतंत्र की पीठ पर राज-दंड की स्थापना
राजदंड के माध्यम से राजा होने का सपना बुना जा रहा है या धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र की भावना पर धर्म और राज-सत्ता का प्रतीक चिन्ह...
गोवा की आज़ादी में देरी के लिए क्या नेहरू जिम्मेदार थे?
अंग्रेजों द्वारा भारतीय उपमहाद्वीप के औपनिवेशीकरण की प्रक्रिया शुरू करने के बहुत पहले की बात है। पुर्तगालियों ने कई सदियों तक गोवा पर शासन किया। उनका शासन अत्यंत कड़ा था। पुर्तगालियों की बड़े पैमाने पर खिलाफत पहली बार सन 1718 में हुई जब वहां के पॉस्टरों के एक समूह ने टीपू सुल्तान की मदद मांगी और पुर्तगाली सरकार के खिलाफ विद्रोह कर दिया। इसे पिंटो षड्यंत्र कहा जाता है। यह विद्रोह बुरी तरह असफल हुआ और इसके कर्ताधर्ता पॉस्टरों को अमानवीय यातनाएं दी गईं।
क्या मोदी के नए भारत के निर्माण का सपना कांग्रेस नेताओं के बगैर अधूरा है ?
उत्तर प्रदेश के दिग्गज कांग्रेसी नेता आरपीएन सिंह के भाजपा में शामिल होने के बाद, एक बार फिर से राजनीतिक गलियारों में कांग्रेस मुक्त...
नेताजी की ऐतिहासिक विरासत को सांप्रदायिक रंग मे ढालने की कोशिश
अमर जवान ज्योति दिल्ली का न केवल एक लैंडमार्क था अपितु हमारी ऐतिहासिक विरासत भी, जहाँ प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान शहीद हुए...
नेहरू और सुभाष के बीच पत्र व्यवहार
पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा संपादित एक ग्रंथ है जिसमें उन्हें संबोधित अनेक पत्र प्रकाशित किए गए हैं। इन पत्रों का चयन स्वयं श्री जवाहरलाल...
गुजरात के नरेंद्र मोदी और बिहार के कामेश्वर यादव (डायरी,14 नवंबर, 2021)
बात करीब दस दिन पुरानी है। मैं पटना में अपने घर पर था। अचानक एक सवाल मेरे संज्ञान में लाया गया। दरअसल, मेरी छोटी...
आरक्षण ओबीसी का अधिकार है, भीख नहीं डायरी (5 अगस्त, 2021)
ओबीसी यानी अन्य पिछड़ा वर्ग। इन दिनों यह वर्ग राजनीति और खबरों के केंद्र में है। नरेंद्र मोदी सरकार इन दिनों ताबड़तोड़ फैसले कर...

