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बहुजन समाज को फिर से अपनी चेतना, नैतिक बल के जरिए देश को नया का रास्ता दिखलाना होगा – डॉ सुनील सहस्रबुद्धे
डॉ सुनील सहस्रबुद्धे भारत के जाने-माने दार्शनिक-बुद्धिजीवी और सामाजिक चिंतक हैं। जिन दिनों वह आईआईटी कानपुर के छात्र थे उन्हीं दिनों से भारत के...
ओबीसी शोधार्थियों के वजीफे को लेकर कांग्रेस ने भाजपा को घेरा
नई दिल्ली (भाषा)। लोकसभा के शीतकालीन सत्र में प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के शोधार्थियों की छात्रवृत्ति और आटीई को...
राज्य में नहीं मिल रहा रोजगार, पलायन को मजबूर हैं बिहार के युवा
बिहार के कई ऐसे गांव हैं जहां प्रति वर्ष ग्रामीणों की एक बड़ी आबादी रोज़गार के लिए पलायन करती है। इनमें अधिकतर संख्या अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी और पसमांदा तबके की है। जो आर्थिक रुप से काफी कमज़ोर होते हैं।
ओवैसी ने कहा प्रधानमंत्री मोदी ओबीसी के साथ नहीं चाहते न्याय
हैदराबाद, (भाषा)। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जाति के आधार पर मतदान...
एक नया राजनीतिक अध्याय साबित हो सकती है बिहार की जाति जनगणना
गांधी जयंती पर बिहार सरकार ने जाति जनगणना के आंकड़े जारी करके भारतीय राजनीति और सामाजिक बदलाव के एक नए अध्याय की शुरुआत कर...
सनातन और हिन्दू धर्म
हिंदू धर्म का नाम किस प्रकार प्रचलन में आया। सनातन धर्म के लिए हिंदू धर्म नाम ज्यादा प्रचलित है। इस धर्म के अनुयायियों को...
‘मोदियों’ के बारे में राहुल गांधी का वक्तव्य क्या OBC का अपमान है?
इसी रणनीति का सबसे ताजा उदाहरण है भाजपा द्वारा जाति जनगणना का विरोध। केंद्र सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्लूएस) के लिए 10 प्रतिशत कोटे के निर्धारण को अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी का निर्वहन बताया है। सरकार का कहना है कि गरीबों की मदद करना उसका नैतिक और संवैधानिक कर्त्तव्य है। परंतु आलोचक मानते हैं कि ईडब्लूएस कोटा जाति के आधार पर भेदभाव करता है क्योंकि सरकार ने रुपये 8 लाख प्रतिवर्ष से कम आय वाले गैर-एससी, एसटी व ओबीसी परिवारों के लिए जो 10 प्रतिशत कोटा निर्धारित किया है वह केवल उच्च जातियों के लिए है।
56 यादव एसडीएम की सूची पेश कर देंगे तो मुख्यमंत्री आवास पर स्वीपर का काम करूँगा
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग भर्ती परीक्षा-2011 के तहत 14 अगस्त, 2013 को उत्तर प्रदेश संयुक्त राज्य/ अधीनस्थ सेवा (मुख्य) परीक्षा-2011 का परिणाम घोषित किया गया। जिसके तहत कुल 389 पदों में सिर्फ 30 पद एसडीएम व 26 पद पीपीएस/ डीएसपी के थे।उन्होंने कहा कि एसडीएम पद के 86 स्थान ही विज्ञापित नहीं थे तो 86 में 56 यादव एसडीएम कहाँ से हो गए? उन्होंने कहा कि 1951 से 2017 तक कभी एसडीएम के 86 पदों की भर्ती ही नहीं हुई तो 86 में 56 यादव कैसे? उन्होंने कहा कि यदि मुख्यमंत्री 86 में 56 यादव एसडीएम की सूची सार्वजनिक कर देंगे तो हम 5 कालिदास मार्ग स्थित मुख्यमंत्री आवास पर स्वीपर का काम करूँगा।
ब्राह्मणों ने आरक्षण को अपनी गरीबी उन्मूलन का कार्यक्रम बना दिया है
सर्वोच्च न्यायालय ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए नौकरियों और विभिन्न शिक्षण संस्थानों के दाखिले में 10 प्रतिशत आरक्षण के संवैधानिक संशोधन...
ओबीसी वर्गीकरण का औचित्य कितना उचित?
दो अक्टूबर, 2017 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ओबीसी की केंद्रीय सूची के वर्गीकरण के लिये आयोग बनाने के फैसले को मंज़ूरी दी है। यानी...
डिप्रेस्ड’ शब्द का अपहरण
अस्पृश्यों को ही डिप्रेस्ड माना जाय- को लोथियन कमेटी ने मान लिया तथा अस्पृश्यों के मतदाता बनने की शैक्षिक एवं सम्पत्ति की योग्यता में भारी छूट दे दिया जबकि उनसे अधिक योग्यता रखने वाले शूद्र (हिन्दू पिछड़ी जाति) मतदाता बनने से वंचित कर दिये गये। जिसका विरोध करते हुए श्री शंकरन नायर, जो इंडियन सेन्ट्रल कमेटी (साइमन कमीशन के सहयोग हेतु, अक्टूबर 1929) के चेयरमैन थे, ने कहा था कि डिप्रेस्ड क्लासेज को अकेले मताधिकार की योग्यता में छूट देना उचित नहीं होगा। य
कौन थे समाज को चौरस करने की चाहत रखनेवाले शिवदयाल सिंह चौरसिया
18 सितम्बर:पुण्यतिथि पर विशेषमान्यवर जी (जन्म-13-03-1903, मृत्यु-18-09-1995) का जन्म ग्राम खरिका (वर्तमान नाम तेलीबाग) लखनऊ में 13 मार्च, 1903 को हुआ। इनके पिता का...
आखिर क्यों नहीं किया जा रहा है अठारह अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 17 ओबीसी जातियों को अनुसूचित जाति की श्रेणी में शामिल करने के अरमानों पर हाईकोर्ट ने पानी फेर दिया है।...
बैकलॉग भर्ती कर आरक्षित वर्ग के कोटे को पूरा क्यों नहीं कर रही सरकार
केंद्रीय मंत्रालयों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित पदों को भरने में ढिलाई बरती जा रही है। कई...
सवर्ण बनाम दलित-बहुजन (डायरी 2 अगस्त, 2022)
बदलाव संसार का नियम है और यह बदलाव हर क्षेत्र में होता है फिर चाहे वह सामाजिक क्षेत्र में बदलाव हो, आर्थिक क्षेत्र में...
बहुजन छात्रों के साथ नाइंसाफी का जिम्मेदार आखिर कौन है
23 जुलाई, 2022 के हिन्दू समाचार पत्र में एक महत्वपूर्ण ख़बर है कि मदुरई के कम्युनिस्ट पार्टी के सांसद एस वेंकटेशन के एक सवाल...
मुंगेरी लाल कमीशन के हत्यारों को जानिए (डायरी 20 जुलाई, 2022)
दुनिया में न कोई शब्द आसमानी है और ना ही कोई मुहावरा। सब मनुष्यों का ही किया धरा है। असल में यह बात मैं...
लगातार उलझाया जा रहा है जाति जनगणना का सवाल
जाति जनगणना संविधान सम्मत है और सामाजिक न्याय के लिए अनिवार्य भी
भारतीय संविधान के अनुच्छेद-246 के अंतर्गत जनगणना विषयक उल्लेख है। भारत मे लॉर्ड...
उनके लिए जो स्वयं को ओबीसी साहित्य का बाप मानते हैं (डायरी 12 जून, 2022)
कल एक गुजरात निवासी सज्जन मिलने आये। यह उनसे मेरी पहली मुलाकात थी। गुजरात को लेकर शुरू हुई बातचीत शब्दों के विभिन्न आयामों तक...
क्या इस देश का ओबीसी कृपा का पात्र है?, डायरी (19 मई, 2022)
देश में अन्य पिछड़ा वर्ग के लोग कितने हैं, इसका सटीक आंकड़ा भारत सरकार के पास नहीं है। वजह यह है कि वर्ष 1931...

