मनुष्य की तीन चिंताओं रोटी कपड़ा और मकान में सब की सब किसी न किसी रूप में भयावह होती जा रही हैं। रोटी के लिए अस्सी करोड़ लोगों का सरकारी अनाज पर निर्भर होते जाना यह बताता है कि सरकार और पूँजीपति वर्ग लोगों को रोजगार देने में पूरी तरह नाकाम हो चुके हैं। कपड़े का संकट भी कम नहीं है लेकिन मकान सबसे भयावह संकट में घिरा हुआ है। बेहतर आवासीय पर्यावरण निम्नमध्यवर्ग के लिए एक दुर्लभ सपना बन चुका। ऐसे में किसी राज्य सरकार का बुलडोजर नीति में भरोसा और सत्ता की ताकत से लोगों का घर गिरा देना और उन्हें बेघर कर देना एक राजनीतिक षड्यंत्र और अक्षम्य अपराध के सिवा कुछ नहीं है। जो लोग राजसत्ता की बुलडोजर नीति की तरफ़दारी कर रहे हैं वे वास्तव में समस्या को एकांगी तरीके से देखने को अभिशप्त हो चुके हैं। अंजनी कुमार अपने इस लेख में भारत की आवास समस्या के लगातार विकराल होते जाने को ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में देख और समझ रहे हैं। उन्होंने राजनीतिक अर्थशास्त्र के नजरिये से मेहनतकश वर्ग के प्रति सरकारों और पूँजीपतियों की बेइमानियों को उजागर करने का महत्वपूर्ण प्रयास किया है।
इस सरकार ने जमीनी तौर पर कोई काम किया हो या न किया हो, कह नहीं सकते लेकिन नाम बदलने का काम बहुत किया है। इलाहाबाद का नाम प्रयागराज, योजना आयोग हो गया नीति आयोग, विकलांग हो गए दिव्याङ्ग और चौकीदार हो गए ग्राम प्रहरी। लेकिन नाम बादल देने से कुछ बदलने वाला नहीं है। ग्राम प्रहरी उर्फ़ गोंड़इत अर्थात चौकीदारों के सामने आज जीवन चलाने का बड़ा संकट खड़ा है। सरकार उन्हें कर्तव्य तो बताती है लेकिन अधिकार से महरूम रखती है। पढ़िये ग्राम प्रहरियों की वास्तविक स्थिति की पड़ताल करती संतोष देवगिरि की ग्राउंड रिपोर्ट।
Wyndham fall : पूर्वांचल के मिर्जापुर अपने टूरिस्ट स्पॉट के लिए जाना जाता है। लखनिया दरी, चुनादरी, विंढम फाल, टांडा फाल, बोकाड़िया दरी, सिद्धनाथ की दरी आदि दर्जनों ऐसे वाटरफॉल हैं, जो प्राक्रतिक दृष्टि से समृद्ध हैं। वहीं विंढम फाल के सौंदर्य के आगे शहर की खूबसूरती फीकी पड़ जाएगी.
विंध्य की पहाड़ियों की गोद में बसा मिर्जापुर अपने में कई गौरवशाली इतिहास संजोए हुए है। उन्हीं ऐतिहासिक कहानियों में एक है विंध्याचल के रास्ते में बने ओझला पुल की। कहा जाता है कि रास्ता न होने के चलते कॉटन के व्यापारियों ने अपने एकदिन की कमाई से इस पुल का निर्माण कराया था। लेकिन आज यह पुल जर्जर हो गया है।
गांव में शाम 7:00 बजे अचानक 31 जीपों, एक बस व एक जे.सी.बी. मशीन के साथ पुलिस पहुंची। लोगों के विरोध करने के बावजूद रात को बारह बजे तक ग्राम प्रधान के पति राज बहादुर की मदद से मूर्ति हटवा दी गई और उसका चबूतरा तोड़ दिया गया।
वाराणसी, आगरा, उन्नाव सहित अन्य जिलों में आयोजित पुलिस भर्ती परीक्षा में आँय शहरों से आए परीक्षार्थियों और उनके परिजनों को अनेक भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
परीक्षा के बाद से ही अभ्यर्थी एक्स पर आरओ/ एआरओ परीक्षा की जांच कराने की मांग करते हुए #RO_ARO_PAPER_LEAK ट्रेंड करा रहे हैं। छात्रों ने दोबारा परीक्षा कराने की मांग की। अभी तक लगभग दो लाख पोस्ट एक्स पर किये जा चुके हैं।
पेपर लीक से संबंधित अभ्यर्थियों के कई वीडियो और पेपर की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हैं। हालांकि उत्तर प्रदेश के लोकसेवा आयोग के अनुसचिव ओंकार नाथ सिंह ने प्रेस नोट जारी कर परीक्षा को सकुशल, निर्विघ्न और सुचितापूर्ण सम्पन्न होने की घोषणा किया है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ के दूसरे कार्यकाल (मार्च 2017 से अब तक) में सरकारी दावे के अनुसार, राज्य की पुलिस ने 183 कथित अपराधियों को एनकाउंटर में मार गिराया।
जालौन, हमीरपुर, महोबा, झांसी, ललितपुर, बांदा, चित्रकूट में डीएपी और यूरिया खाद की किल्लत बनी हुई है। सैकड़ों की संख्या में किसान लाइन में खड़े हैं, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नजर नहीं आता। इन दिनों जनपद झांसी में खाद के लिए किसानों में हाहाकार मचा हुआ है।