सिंचाई की कितनी भी सुविधाएं आ जायें लेकिन आज भी देश की खेती का 52 प्रतिशत हिस्सा मानसून पर निर्भर है। जहां समय पर पर्याप्त मानसून पहुंचता है, वहाँ खेती का काम किसानों को राहत देता है लेकिन जहां मानसून कम या ज्यादा हो, वहां किसान वर्ष भर के लिए कर्ज में डूब जाते हैं।
मानसून की अनिश्चितता से निपटने के लिए सरकार ने सिंचाई के लिए नहरों का निर्माण कराया है ताकि नदियों में बंधे हुए बांध से नहरों में पानी छोड़ सिंचाई हो सके। जोर-शोर से उदघाटन कर किसानों को आश्वस्त किया जाता है कि अब उन्हें सिंचाई के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और है।
क्या नहर बन जाने के बाद उसमें कभी पानी छोड़ा जाता है या कभी उन नहरों से किसान सिंचाई कर पाते हैं? इस बात की तस्दीक के लिए सम्बंधित विभाग के अधिकारी कभी नहीं आते है। ज्यादातर नहरें हमेशा सूखी पड़ी रहती हैं, उनमें पानी छोड़ा ही नहीं जाता है।
मिर्ज़ापुर की रैकल टेल हमेशा सूखी, जबकि यहाँ नहरों का जाल है
यही स्थिति मिर्जापुर जिले के अति पिछड़े इलाके मड़िहान तहसील में सिरसी पम्प कैनाल से निकली महज सात किलोमीटर नहर की भी है, जहां कभी पानी छोड़ा ही नहीं जाता है। जिससे नहर में पानी ही नहीं आता है और ऐसे में पानी रैकल टेल तक पानी नहीं पहुँचने से नहरें हमेशा सूखी रहती हैं।
जबकि बांध में पर्याप्त पानी होने से किसानों को नहर का पानी मिलने की उम्मीद रहती है, लेकिन सिंचाई विभाग के कर्मचारियों की लापरवाही के चलते नहर में पानी नहीं छोड़ा जाता है और रैकल टेल के किसानों को सिंचाई के लिए पानी नसीब नहीं हो रहा है। नहरें सूखी पड़ी हैं और पानी के अभाव में किसानों के चार महीने की फसल पर की मेहनत की बर्बादी अपनी आँखों से देखने के लिए मजबूर हैं।
सिरसी टेल के किसानों की खरीफ फसलें पानी के अभाव में सूखने के कगार पर पहुंच चुकी हैं। सिरसी पम्प कैनाल तीन विभागों जिसमें लघुडाल, कैनाल व बिजली विभाग के द्वारा चलता है। नहर में पानी नहीं आने का कारण, नदी में पानी कम होने या यांत्रिक दिक्कतों की वजह से इस इन सिंचाई परियोजनाओं की स्थिति बदहाल होती है या कभी किसी यांत्रिक समस्या से पम्प नहीं चलता तो कभी दिन में बिजली के कटौती या लो वोल्टेज की समस्या से सभी पम्प नहीं चल पाता है।
देखा जाए तो मड़िहान तहसील क्षेत्र में नहरों की स्थिति काफी मजबूत रही है। किसानों की सिंचाई व्यवस्था को मजबूत बनाने की गरज से तत्कालीन मुख्यमंत्री पंडित कमलापति त्रिपाठी के कार्यकाल में (वर्ष 1971 से 1973) इस पहाड़ी भू-भाग में नहरों और माइनरों का जाल बिछाया गया था, जो अब जीर्ण शीर्ण अवस्था में हैं और अब यह घास-फूस से पटे हुए दिखलाई देते हैं।
गौर करें तो सोनभद्र जिले के सोन लिफ्ट जो सोन नदी से निकली हुई है, पर 6 पंप लगाए गए हैं, जिनमें से 4 पंप बंद है सिर्फ दो पंप चल रहा है। ऐसे में आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि मिर्जापुर और सोनभद्र जिलों के किसानों को सिंचाई के लिए कैसे और कितना पानी समय से मिल पाता होगा।
यही वजह है कि दोनों जनपदों में इस पानी को लेकर विवाद भी होता आया है। नहरों की दूरी पर नज़र डालें तो सोन लिफ्ट के बाद सबसे बड़ी घाघर नहर जिसकी लंबाई 88 किमी लंबी है, जो सोनभद्र जिले के धधरौल बांध से निकलकर पटेहरा, मिर्जापुर के सिरसी डैम तक फैली हुई है। इसके बाद बेलन बकहर पोसक नहर बेलन नदी से निकल कर भांवा, राजगढ़ के घाघर नहर में मिली हुई है जिसकी 28 से 30 किमी दूरी है। इन नहरों से मड़िहान में सिंचित क्षेत्र लगभग तीन हजार हेक्टेयर है।
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बिजली आपूर्ति में बाधा के कारण नहर में पानी नहीं छोड़ा जाता
भले योगी सरकार ने फ्री में बिजली देने का वादा किया है लेकिन यह वाकजाल है। हकीकत कुछ और है। बिजली कई-कई घंटे कटी रहने की वजह से पानी नहर में नहीं छोड़ा जाता है।
योगी सरकार ने फ्री बिजली योजना लागू की है लेकिन यहाँ के किसान किसी तरह केसीसी अथवा प्राइवेट कंपनियों से ऋण लेकर धान की खेती कर रहे हैं। कर्ज में डूबे किसान पुराने बिल का भुगतान करने में असमर्थ हैं, इस वजह से योगी सरकार द्वारा फ्री बिजली योजना का लाभ नहीं उठाया पा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने अप्रैल 2024 से किसानों को 12 घंटे मुफ़्त बिजली देने की घोषणा की है। 7.5 हॉर्स पावरतक के कृषि पंप उपयोग करने वाले किसानों के लिए है। इसका लाभ मार्च 2029 तक मिलेगा। संदेह नहीं कि किसानों के हित के लिए यह शानदार योजना है लेकिन यह तभी संभव है जब दिन में लगातार 12 घंटे बिजली की आपूर्ति बिना बाधा हो। साथ ही इस योजना के उपयोग के लिए किसानों को मीटर लगवाना जरूरी है। मिर्जापुर में इस योजना का लाभ 40 हजार किसान तब ही उठा पाएंगे जब वे पुराने बिल का भुगतान कर दें।
किसान हौशिला प्रसाद मिश्र ने बताया कि, ‘हम चाहते तो हैं कि फ्री बिजली योजना का पूरा फायदा उठा पायें लेकिन कर्जा होने की वजह से पुराना बिल भुगतान करने में असमर्थ हैं। बरसात के पानी से धान की खेती शुरू किये थे। इस उम्मीद के साथ कि बांध में पानी तो पर्याप्त है, यदि बरसात नहीं भी हुई, तब सिरसी पम्प कैनाल का पानी टेल तक आएगा और धान की सिंचाई कर ली जाएगी। समय आने पर फसल काट लेंगे। लेकिन सिंचाई विभाग के लोग किसानों के अरमान पर पानी फेर दिये।
तीनों विभाग की घोर लापरवाही का खामियाजा हम किसानों को उठाना पड़ रहा है।
नहर में पानी नहीं मिला लेकिन आश्वासन जरूर मिला
सिरसी बांध में पर्याप्त पानी भी है, किन्तु सिरसी पम्प कैनाल तीन विभाग लघुडाल, कैनाल व बिजली विभाग के द्वारा चलता है। लेकिन तीनों विभाग एक-दूसरे की कमी बताते हुए पल्ला झाड़ रहे हैं। जबकि कोई भी योजना जब अनेक विभागों के सहयोग से संचालित होती है, तब उन विभागों में आपसी सामंजस्य होना जरूरी है ताकि लाभार्थी उनकी गलतियों का खामियाजा न भुगते। यहाँ तो किसान तीनों विभाग की लापरवाही से किसान त्रस्त हैं।
किसानों ने जिलाधिकारी व जनपद की सांसद, क्षेत्रीय विधायक का ध्यान आकृष्ट कराते हुए तत्काल टेल तक पानी पहुंचाने की गुहार लगाई है। लेकिन अब तक आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला।
किसान द्वारा कृषि काम देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसका कारण 70 प्रतिशत से अधिक परिवार का जीवन खेती-किसानी पर निर्भर है। इस वजह से अर्थव्यसथा का कुल सकल घरेलू उत्पाद में 17 प्रतिशत योगदान कृषि कार्यों का योगदान है।
बांध में पर्याप्त पानी है लेकिन अधिकारियों की लापरवाही, इस गाँव के किसान शायद ही धान की अच्छी फसल ले पाएंगे। यहाँ के सभी किसान इस बात की ही उम्मीद करे बैठे हैं कि एक बार नहर में पानी आ जाए तो वर्षभर इन किसानों को आर्थिक दिक्कतों से मुक्ति मिल जाएगी।
लेकिन महीनों से सिरसी पम्प कैनाल चल रहा है लेकिन विभागीय लापरवाही इतनी है कि महज लगभग सात किलोमीटर के नहर का पानी टेल तक नहीं पहुंच पा रहा है, जबकि उनकी जिम्मेदारी है। यह बात किसान जयप्रकाश पटेल ने कही।
किसान रामभरोसे खेती करने को विवश है क्योंकि इन्हें और कोई काम नहीं आता है। इसमें मेहनत के करने के बाद किसानों की फसल पानी के अभाव में सूखकर नष्ट हो रही है जिसको लेकर किसान चिंतित है।
किसान ओमप्रकाश उपाध्याय ने बताया कि सिंचाई विभाग के अधिकारी यदि चाहें तो पूरी क्षमता के साथ नहर का पानी चलवा दें। मात्र पंद्रह दिन के अंदर टेल के किसानों की सिंचाई हो जायेगी और मेहनत की हुई धान की अच्छी तैयार हो जाएगी।
चिंतित दिनेश मिश्र की धान की फसल में इस समय धान बाल ले रही है। उनका कहना है कि यदि एक पानी धान को मिल जाता तो धान अच्छे से परिपक्व हो जाती।
नहर में पानी नहीं छोड़े जाने की शिकायत जब एसडीओ पम्प कैनाल मोहम्मद सिद्द्की की तब उन्होंने बताया कि सिरसी पम्प कैनाल तीन विभाग के संयुक्त रूप से चलता है। जिसमें इनका काम कैनाल का है। उनकी तरफ से काम हो रहा है। सवाल पूछने पर कि ‘तब गड़बड़ी किसके तरफ से हो रही है?’ जवाब में उन्होंने बताया कि लघुडाल विभाग और बिजली विभाग इनका साथ नहीं देता। वे लोग कभी मोटर बिगड़ जाने की बात कहते हैं और कभी लो वोल्टेज की समस्या बताते हैं जिसके कारण पम्प नहीं चल पाता है। जिससे टेल तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है, यदि लघुडाल विभाग अपने सभी पम्प चलाये और बिजली विभाग बोल्टेज के साथ अच्छी बिजली दें तो हम लगकर टेल तक पानी पहुंचा देंगे।
पूर्व ब्लाक प्रमुख पटेहरा दिनेश सिंह, श्रवण कुमार सिंह, अखिलेश्वर पांडेय सहित तमाम किसान नेता इलाके के किसानों की पीड़ा, नहरों की बदहाली की स्थिति को लेकर केन्द्रीय जल आयोग को पत्र लिखकर चुनार किले के पास से पंप लगाकर विशुनपुर भांवा के पास पंप के जरिए नहर में पानी गिराने के लिए मांग की है ताकि सोनभद्र जिले से निकली नहरों से मिर्जापुर की ओर पानी छोड़ने को लेकर जो विवाद है, वह सुलझ सके और जिले के किसानों को सुलभता के साथ समय से सिंचाई के लिए पानी मिल सके।
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नहरों का जाल भी फिर भी मड़िहान का किसान बदहाल
सोनभद्र जनपद से लगा हुआ मिर्जापुर का मड़िहान तहसील पिछड़े इलाकों में शुमार है। देश की आजादी के सात दशक से ज्यादा समय गुजरने के बाद भी यहां के लोगों की खासकर किसानों की बदहाली जस की तस बनी हुई है। किसानों को भले अन्नदाता कहते हों, लेकिन उनके लिए चलाई जा रही ज्यादातर योजनाएं कागजों पर ही चल रही है।
आजादी के बाद सिंचाई समस्या को दूर करने के लिए नहरों का बना जाल किसानों के लिए मुसीबतों के संजाल बन गया है। कारण कहीं टेल तक पानी नहीं पहुँच रहा है तो कहीं नहरों में सिंचाई के समय पानी ही नहीं आता है। किसान जो केवल खेती का काम जानते हैं, इन मुश्किलों के बाद वे सच में सड़क पर आ गए हैं।
मड़िहान तहसील क्षेत्र के वरिष्ठ पत्रकार, प्रगतिशील किसान दिनेश सिंह पटेल रिपोर्टर से बात करते हुए कहा कि भले ही मड़िहान तहसील क्षेत्र में मुख्य नहरों की लंबाई तकरीबन 45 किमी में है जिनमें सबसे बड़ी घाघर नहर है। लेकिन नहरों की बदहाली, जनप्रतिनिधियों की उदासीनता और लापरवाह विभाग के अधिकारियों की कारगुजारियों को झेलते किसानों की आय भले ही दुगुनी न हुई हो लेकिन उनकी परेशानियां जरुर बढ़ती जा रही हैं।
मड़ियान विधायक रमाशंकर सिंह पटेल ने बताया कि सिरसी पम्प कैनाल का पानी सिंचाई विभाग के उच्चाधिकारियों से बात कर जल्द टेल तक पानी पहुंचाया जायेगा। उनका कहना है कि किसानों की समस्या को लेकर सरकार गंभीर है। टेल तक पानी पहुंचाने में कोई भी विभाग यदि हीला हवाली करता है तो सिंचाई मंत्री व प्रदेश के मुख्यमंत्री से उसके विरुद्ध शिकायत कर कार्यवाही कराई जायेगी।
एक सवाल उठना वाजिब है कि कब यहाँ के विधायक अधिकारियों से बात करेंगे और कब समस्या हल होगी? क्योंकि धान की फसल को अभी पानी नहीं मिला तो किसान आर्थिक बोझ तले दबकर सड़क पर आ जायेंगे।