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वाराणसी : बिजली विभाग के निजीकरण को लेकर भाकपा ने भाजपा सरकार के खिलाफ किया प्रदर्शन

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की जिला कमेटी वाराणसी की ओर से शास्त्री घाट पर आज बिजली के निजीकरण को लेकर सरकार के विरोध में धरना-प्रदर्शन किया गया। धरने में शामिल लोगों ने कहा कि सरकार को बिजली विधेयक 2022 को रद्द करना ही होगा, नहीं तो यह आंदोलन पूरे देश में शुरू होगा। धरने का […]

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की जिला कमेटी वाराणसी की ओर से शास्त्री घाट पर आज बिजली के निजीकरण को लेकर सरकार के विरोध में धरना-प्रदर्शन किया गया। धरने में शामिल लोगों ने कहा कि सरकार को बिजली विधेयक 2022 को रद्द करना ही होगा, नहीं तो यह आंदोलन पूरे देश में शुरू होगा।

धरने का संचालन कर रहे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिव नंदलाल पटेल (वाराणसी) ने कहा कि भारत की संविधान सभा ने 1948 में आजाद भारत का पहला बिजली कानून बनाया, जिसकी विशेषता थी बिजली विभाग में निजी क्षेत्र की भागीदारी नहीं होगी। बिजली विभाग पर कोई एक पैसा नहीं कमा सकता। यानी बिजली (नो प्राॅफिट नो लाॅस) बिना लाभ-हानि के बेची जाए। लेकिन दुखद है कि पिछली सरकारों ने कानून बना कर बिजली को व्यापार बना दिया।

उन्होंने कहा कि ‘मौजूदा सरकार बिजली विधेयक 2022′ लाकर बिजली कम्पनियों को देशी व विदेशी पूंजीपतियों के हवाले करने का प्रस्ताव संसद में पेश किया है, जिसके लागू होने पर किसानों, कुटीर उद्योगों, बुनकरों, कर्मचारियों, मजदूरों व अन्य बिजली उपभोक्ता की कमर ही टूट जायेगी। यह किसी भी दृष्टि से हितकर नहीं है।’

धरने में शामिल मोबिन अहमद ने कहा कि ‘सरकार को बिजली के निजीकरण पर रोक लगानी होगी। बिजली में सरकारी निवेश को बढ़ाना होगा, नहीं तो जनता सड़कों पर उतरेगी। सरकार को किसानों, छोटे उद्योगों को मुफ्त में बिजली देनी चाहिए, जिससे बड़ी आबादी को उसका फायदा मिल सके।’

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के अनिल यादव ने इस अवसर पर कहा कि ‘यह सरकार तानाशाही रवैया अपना रही है। इस सरकार में किसानों को शोषण चरम पर है। ‘एमएसपी’ की उनकी मांगों को आज तक नहीं माना गया। यही नहीं किसानों के नलकूपों पर प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने की भी साजिशें हो रही हैं।’

इस अवसर पर मुख्यमंत्री को संबोधित दस सूत्रीय ज्ञापन जिलाधिकारी को सौपा गया।

पत्रक के अनुसार पार्टी ने बिजली के निजीकरण पर रोक लगाने, बिजली के क्षेत्र में सरकारी निवेश बढ़ाने, राज्य बिजली बोर्डों को बहाल करने, कर्मचारियों की स्थायी भर्ती करने और उनका दमन बंद करने, संविदा एवं ठेका कर्मचारियों को स्थायी कर्मचारी घोषित करने, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा घोषित पंखा बत्ती के कनेक्शन धारकों को 300 यूनिट बिजली निःशुल्क जारी करने, किसानों के नलकूपों पर मीटर लगाना बंद करने, फ्लैट रेट की सस्ती बिजली देने, प्रीपेड और स्मार्ट लगाना बंद करने के साथ ही किसानों, बुनकरों एवं अन्य कुटीर धंधों के अलावा गरीबों को मुफ्त बिजली की मांग की गई है।

धरने में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के अमृत पांडेय, देवाशीष, रामदुलार, लालमणि वर्मा, रामजी सिंह, भोलानाथ यादव, लक्ष्मण प्रसाद वर्मा, शिव शंकर शास्त्री, श्रीप्रकाश वर्मा, शिवशंकर मौर्य, रामउजागिर मौर्य सहित आदि लोग शामिल हुए।

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