मैं भारत के विभिन्न राज्यों को देख रहा हूं तो मुझे पंजाब सबसे अलहदा दिख रहा है। वजह यह कि वहां एक ऐसा व्यक्ति मुख्यमंत्री है जो कि दलित वर्ग से आता है। आप अन्य राज्यों को देख लें। बिहार में कहने को ओबीसी वर्ग का मुख्यमंत्री है, लेकिन वहां भी राज सवर्णों का ही है। उत्तर प्रदेश में तो फिलहाल ठाकुर राज ही है। जबकि ये दोनों राज्य ऐसे हैं, जहां दलित-बहुजन बड़ी संख्या में हैं।
गंगा में लाशों का मंजर और हुकूमत का सच (डायरी 17 दिसंबर, 2021)
लेकिन मैं यह मानता हूं कि बंटवारा और संसाधनों पर समुचित अधिकार दो अलग-अलग बातें हैं। राजनीतिक शब्दावली के लिहाज से बंटवारा शब्द भी गैर वाजिब नहीं। मैंने कल यह बात फेसबुक पर लिखी कि मैं भारत का एक और विभाजन चाहता हूं। 85 फीसदी भूभाग आदिवासी, धुमंतू, दलित, पिछड़े और पसमांदा समाज के लोगों के पास हो। शेष 15 फीसदी अगड़े अपने पास रखें। इससे उन्हें बहुसंख्यक बहुजनों को आरक्षण देने की महान कृपा नहीं करनी होगी।

[…] एक सपना मेरा भी (डायरी 18 दिसंबर, 2021) […]
बेहद जानकारी पूर्ण लेख बहुत-बहुत धन्यवाद नवल किशोर जी।