
हमदोनों भाईयों के बीच कई बातें समान हैं और जितनी बातें समान हैं, उससे कई गुणा अधिक असमानताएं। मुझे सबसे अधिक संतोष इसलिए मिलता है कि भैया ने बिजनेस मैन बनने का सपना देखा था और उसे उसने बखूबी हासिल किया है। रही बात मेरी तो मेरे सपने अलहदा हैं और फिलहाल तो कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं है। ऐसे में मेरे पास रास्ते भी अनेक हैं और मंजिलें भी अनेक। भैया को मेरी बात अजीब सी लगती है। लेकिन कल यह जानकर अच्छा लगा कि वह मुझे पढ़ता रहता है। मेरी कविताएं सुनता है। कई बातों पर वह मेरा विरोध भी करना चाहता है। लेकिन कल उसने बताया कि विरोध करने के लिए उसके पास तथ्य कम हैं और अभी उसके पास केवल बिजनेस का समय है।

नवल किशोर कुमार फॉरवर्ड प्रेस में संपादक हैं।