प्रोफेसर चौथीराम यादव हमारे दौर के महत्वपूर्ण आलोचक और ओजस्वी वक्ता हैं। अपनी सुदीर्घ जीवन यात्रा में उन्होंने अनेक स्तरों पर कार्य किया है। वे एक लोकप्रिय प्राध्यापक रहे हैं। बनारस की हर जरूरी पहलकदमी में शामिल रहे हैं। चाहे वह छात्र-छात्राओं के अधिकारों का संघर्ष रहा हो चाहे सामाजिक सद्भाव को लेकर होने वाली सांस्कृतिक गतिविधियां प्रोफेसर चौथीराम यादव हमेशा पहली पंक्ति में खड़े मिलते रहे हैं। गाँव के लोग के लिए उनके जीवन और कृतित्व को लेकर उनसे बहुत लंबी बातचीत रिकॉर्ड की गई जो क्रमशः पाँच-छः खंडों में प्रकाशित की जाएगी। इस पहले हिस्से में उन्होंने अपने गाँव और शिक्षा के साथ ही गाजीपुर में पहली नौकरी एवं बीएचयू में आने तक के अनुभवों को साझा किया है।
[…] लगता हैं काशीनाथ जी ठाकुर नहीं अहीर है… […]
प्रो चौथीराम यादव जी से रामजी यादव जी की 5 किस्तों में की गई विस्तृत चर्चा/बातचीत हर लिहाज से अत्यंत ज्ञानवर्धक, सामयिक और महत्वपूर्ण एवं रोचक लगी। इस बातचीत को दुबारा तिबारा सुनने पर भी वही रस और आनंद आएगा जैसा पहली बार सुनने पर महसूस हुआ है। आप दोनों को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं।
बहुत महत्वपूर्ण बातचीत । कह सकते हैं कि पांचों खंड कई सौ किताबों का एक साथ एक जगह संकलन है। आदरणीय चौथी राम बहुत ही क्रांतिकारी, सामाजिक व विद्वान लेखक है। उनके पास साहित्य और समाज का गहरा अनुभव है, इसलिए उनके विचारों को संकलित करके एवं संजोकर कर रखना अति आवश्यक है। इस दृष्टिकोण से उनका यह इंटरव्यू बहुत जरूरी था। इस कार्य के लिए मैं गांव के लोग टीम और उसके संपादक आदरणीय राम जी यादव सर को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।