गुरुग्राम। गुरुग्राम के साउथ सिटी-1 इलाके में मंगलवार को एक निर्माण स्थल पर मिट्टी धंसने से एक मजदूर की मौत हो गई जबकि तीन अन्य घायल हो गए। पुलिस ने यह जानकारी दी। पुलिस ने बताया कि चारों मजदूर एक ही परिवार के सदस्य हैं। घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
पुलिस ने बताया कि लाला राम उर्फ लालू, उसकी पत्नी निर्मला उर्फ लाली और परिवार के दो अन्य सदस्य मोनिका और सोनिया सहित ग्यारह मजदूर निर्माण स्थल पर खुदाई के काम में लगे हुए थे, तभी दोपहर करीब तीन बजे मिट्टी का टीला उन पर ढह गया।
एक घंटे के बचाव अभियान के बाद चारों मजदूरों को बाहर निकाला गया। उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां मोनिका को मृत घोषित कर दिया गया। पुलिस ने कहा कि अन्य तीन का इलाज चल रहा है और वे खतरे से बाहर बताए जा रहे हैं।
सेक्टर-40 पुलिस थाने के प्रभारी निरीक्षक मनोज वर्मा ने कहा, ‘हमें अब तक कोई शिकायत नहीं मिली है, लेकिन मामले की जांच कर रहे हैं। महिला के शव को पोस्टमार्टम के लिए शवगृह में रखा गया है।’
पैसे की चाह में सुरक्षा मानकों की अनदेखी, नियोक्ता या ठेकेदार सीमित या बगैर सुरक्षा उपकरणों के जान जोखिम में डलवाकर काम करवाते हैं। इसका खामियाजा होता है की काम के दौरान दुर्घटना हो जाने उन्हें जान से हाथ धोना पड़ता है। कार्यस्थल पर काम करते हुए जान गंवाने वाला यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी कार्य स्थल पर काम करते बहुत लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
1 मार्च, 2024 को, हैदराबाद में एक मैनहोल की सफाई करते समय ज़हरीली गैस की चपेट में आने से तीन मज़दूरों की मौत हो गई।
27 फरवरी, 2024 को कोरापुट के दामनजोड़ी में नाल्को (नेशनल एल्युमीनियम कंपनी) के लिए बनाए जा रहे निर्माण-स्थल पर भारी लोहे की छड़ें गिरने से कम से कम दो मज़दूरों की मौत हो गई और एक मज़दूर गंभीर रूप से घायल हो गया। मृतकों की पहचान झारखंड के समा राजबंशी (44) और सनत कुनाई (34) के रूप में की गई है। मजदूरों को ठेके पर रखा गया था।
29 फरवरी, 2024 को, कूच बिहार में दो मज़दूरों की मौत और एक व्यक्ति तब घायल हो गया, जब 15 साल पुराना ओवरहेड टैंक उनके ऊपर गिर गया, यह घटना तब घटी जब वे जर्जर और कमज़ोर सीढ़ी पर चढ़ रहे थे। मृतकों की पहचान 48 वर्षीय जियारुल हुसैन और 40 वर्षीय मदन गुप्ता के रूप में की गई है।
27 फरवरी, 2024 को, छत्तीसगढ़ के दांतेवाड़ा में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी, राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) से संबंधित लौह अयस्क खनन स्थल पर एक दीवार गिरने से चार प्रवासी निर्माण श्रमिकों की मौत हो गई।
कार्य स्थल पर होने वाली मौत का सबसे बड़ा कारण है सुरक्षा मानकों की अनदेखी कर कार्य करवाना। सरकार को अगर इस प्रकार की दुर्घटनाओं को रोकना है तो सबसे पहले सुरक्षा मानकों की कार्य स्थल पर उपलब्धता सुनिश्चित करानी होगी। द हिन्दू की एक रिपोर्ट की माने तो कार्यस्थल पर मजदूरों की मौत में 2012 के बाद से तीन गुना वृद्धि हुई है।
केन्द्र में जब से मोदी की सरकार आई है तब से संस्थाओं का निजीकरण बड़ी तेजी से हुआ है। ठेकेदारी प्रथा प्रचलित हुई है। सरकारी नौकरियों पर सरकार की ओर से पाबंदी लगा दी गई है। नए पदों को भरने की बात कौन करे पुराने खाली पदों को समाप्त कर दिया जा रहा है। ऐसे में काम की जरूरत पड़ने पर ठेके पर काम दे दिया जा रहा है। ठेकेदार भी औने पौने दाम पर सुरक्षा मानकों के न रहने के बावजूद काम करने का दबाव बनाकर काम के लिए लोगों को मजबूर कर देते हैं। कोई दूसरा काम न होने पर मजदूर काम के लिए तैयार हो जाता है।