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गाँव के लोग
शब्द और परिस्थितियों में अंतर्संबंध डायरी (10 सितम्बर,2021)
जीवन में संयोग जैसा कुछ होता है, इसमें यकीन नहीं है। अलबत्ता कुछ खास कारणों से कुछ खास परिस्थितियां जरूर बन जाती हैं और...
जातिगत जनगणना से ख़त्म होंगी जातियों की दीवारें
डॉ. ओमशंकर का नाम अब किसी परिचय का मोहताज नहीं है। वे फिलहाल सर सुंदरलाल चिकित्सालय के हृदयरोग विभाग के अध्यक्ष हैं और हृदयरोग...
हिंदू धर्म का पाखंड केवल दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों के लिए है डायरी (7 सितम्बर, 2021)
ब्राह्मणवाद का मूल आधार ही पाखंड है। मुट्ठी भर लोगों का समाज के हर क्षेत्र में वर्चस्व बनाए रखना इसका मुख्य उद्देश्य। पाखंड किस...
आंदोलन नहीं, क्रांति कर रहे हैं भारतीय किसान डायरी (6 सितंबर,2021)
जाति व्यवस्था भारतीय समाज की कड़वी सच्चाई है और इसे कायम रखने में व्यापारी वर्ग के लोगों के साथ ही उच्च जातियों की बड़ी...
राही कल्पना के किले से नहीं हकीकत के घरों से चुनते थे कहानियाँ
राही मासूम रज़ा को याद करते हुए..
राही मासूम रज़ा की रचना दृष्टि का निर्माण उनके जीवनानुभवों के द्वारा हुआ है। 'आधा गाँव' उपन्यास के...
शब्द-योग
आजकल हम शब्दों की तह तक नहीं जाते। जो जैसा दिखता है वैसा मान लेते हैं । मगर कभी शब्दों को टटोलिए , उनके...
नाम, समाज और महिलाओं के सवाल(डायरी 4 सितम्बर,2021)
बचपन से ही नामों को लेकर बड़ा कंफ्यूजन रहा है। मेरे जेहन में अक्सर यह बात रहती रही है कि नामों का निर्धारण कैसे...
यह महज अफगानिस्तान का मसला नहीं है, डायरी (1 सितंबर, 2021)
मुझे सपनों को दर्ज करने की आदत रही है। वैसे तो रात में अनेक सपने आते हैं (कभी कभी नहीं भी आते हैं)। अधिकांश...
शब्द, सत्ता, सरोकार और राजेंद्र यादव डायरी (30 अगस्त, 2021)
शब्द और सत्ता के बीच प्रत्यक्ष संबंध होता है। यह मेरी अवधारणा है। शब्द होते भी दो तरह के हैं। एक वे शब्द जो...
गैस पीड़ित विधवाओं की दुर्दशा और असंवेदनशील शासन व समाज
मुझे इस बात का इंतजार था कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को उस प्रशासनिक मशीनरी पर जोरदार गुस्सा आएगा जिसने आठ महीने बीत जाने...
जो बाजी ओहि बाची डायरी (28 अगस्त, 2021)
कोई भी बदलाव एकवचन में नहीं होता। जब कुछ बदलता है तो उसके साथ बहुत कुछ बदल जाते हैं। ऐसा कभी नहीं होता कि...
डाइवर्सिटी डे दलित आंदोलनों के इतिहास में खास दिन(27 अगस्त)
27 अगस्त : दलित आंदोलनों के इतिहास में खास दिन !स्वाधीनोत्तर भारत के दलित आंदोलनों के इतिहास में भोपाल सम्मलेन (12-13 जनवरी,2002) का एक...
कोई बिगड़े तो ऐसे, बिगाड़े तो ऐसे! (राजेन्द्र यादव का मूल्यांकन और स्मरण)
(राजेन्द्र यादव का मूल्यांकन और स्मरण)कोई बिगाड़ने वाला हो तो साहित्यकार राजेंद्र यादव एवं उनकी हंस जैसा, और बिगाड़े तो ऐसे जैसे राजेन्द्र दा...
राजेंद्र यादव को मैं इसलिए भंते कहता हूँ कि उन्होंने साहित्य में दलितों और स्त्रियों के लिए जगह बनाई
राजेंद्र यादव के बारे में मैं जब भी सोचता हूँ, प्रसिद्ध शायर शहरयार की ये पंक्तियाँ मेरे जेहन में उभरने लगती हैं -
उम्र भर...
आपकी स्वतन्त्रता ही हमारी गुलामी है – राजेंद्र यादव
(राजेंद्र यादव को दिवंगत हुये आठ वर्ष हो गए। बेशक इन आठ वर्षों में सुसंबद्ध और निर्भीक ढंग से भारत की संघर्षशील जनता की...
गंदे नालों में होनेवाली मौतें इतिहास का हिस्सा नहीं डायरी (27 अगस्त, 2021)
देश में सरकारों का स्वरूप बदल रहा है। स्वरूप बदलने का मतलब यह कि अब इस देश में सरकारें लोककल्याण को तिलांजलि देने लगी...
हाफ सर्कल फुल सर्कल
सन् 2018 के मध्य जून की एक शाम।स्थान- ओखला बैराज। यमुना का किनारायह कोई पिकनिक स्थल तो नहीं है, मगर यहाँ पर आसपास के...
बाबू जगदेव प्रसाद प्रतिमा स्थल दीनापुर चिरईगांव में जातिगत जनगणना संवाद संपन्न
अवधेश पटेल ने ब्राह्मणी, मनुवादी व्यवस्था व संस्कार को लात मार मानवता व वैज्ञानिकता की मिसाल पेश किया
वरिष्ठ अधिवक्ता प्रेम प्रकाश सिंह यादव...
प्रजातंत्र की रक्षा के लिए हमेशा लड़ता रहता है आंचलिक पत्रकारः विनीत
वाराणसी। ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन (ग्रापए) के प्रदेश अध्यक्ष सौरभ कुमार ने कहा कि पत्रकारिता के तह में जाकर खंगालें तो कहीं न कहीं ऐसे...
दलित लेखकों-विचारकों की वैचारिक दरिद्रता डायरी (26 अगस्त, 2021)
बचपन वाकई अलहदा था। अहसास ही नहीं होता था कि इंसान-इंसान के बीच कोई भेद होता है। भेद के नाम पर केवल इतना ही...

