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गाँव के लोग

‘पाक्सो’ का ‘पास्को’ बन जाना डायरी (25 अगस्त, 2021)

भाषा की परिभाषा क्या है अथवा क्या होनी चाहिए!? यह सवाल लंबे समय से जेहन में है। हालांकि भाषा की अनेक परिभाषाएं देखने और...

जातिगत जनगणना का सवाल और बदलते संदर्भ  डायरी (24 अगस्त, 2021)

मनुष्यों के बीच तुलना के लिए अनेकानेक क्राइटेरिया हैं और इनके आधार पर ही कुछ खास गुणों की पहचान होती है। मतलब यह कि...

दुर्धर्ष समय में भी रामस्वरूप वर्मा के विचारों की मशाल मद्धिम नहीं हुई

अक्सर हम राजनीति के मैदान में सांस्कृतिक आंदोलन की अगुवाई करनेवाले और समकालीन राजनीतिक संस्कृति को व्यापक जन-समुदायों के हितों की कसौटी पर कड़ाई...

सफ़ेद पंख : शांति की एक उड़ान

जुलाई के शेष सप्ताह में प्रायः डेढ़ साल बाद अपने गाँव गया था. सप्ताह भर बाद गाँव से लौटते समय मैने टाइम पास के...

विमल, कंवल और उर्मिलेश (पांचवां और अंतिम भाग)  डायरी (21 अगस्त, 2021)  

किसी भी संज्ञा के आकलन के लिए कुछ पारामीटर आवश्यक हैं और आकलन जरूरी होते हैं क्योंकि आकलन नहीं करने का मतलब यह होता...

जो भी कन्ना-खुद्दी है उसे दे दो और नाक ऊंची रखो। लइकी हर न जोती !

चौथा हिस्सा और अन्तिम हिस्सा  माता-पिता के ऊँच-नीच समझाने और घर की दयनीय स्थिति का हवाला देने पर भी जब सुनरी ने अपना निर्णय नहीं...

कहाँ गए वे मोटे अनाज

पिछले कई वर्षों से देश के कुछ हिस्सों की तरह हमारे पूर्वी उत्तर प्रदेश के अधिकांश जिलों में मानसून कमजोर ही रहा था और...

 सोनभद्र के उम्भा गाँव के आदिवासी पीड़ितों को किया गया सम्मानित 

वाराणसी समेत आस-पास के जिलो के यातना पीड़ितों को किया गया सम्मानित 19 अगस्त, 2021 को  मानवाधिकार जननिगरानी समिति/जनमित्र न्यास ने देश में  चल रही...

बाबू जगदेव प्रसाद प्रतिमा स्थल दीनापुर चिरईगांव में जातिगत जनगणना संवाद संपन्न

दिनांक 18 अगस्त दिन में 3:00 बजे से बाबू जगदेव प्रसाद प्रतिमा स्थल दीनापुर चिरईगांव में वाराणसी  पर जातिगत जनगणना जन संवाद कार्यक्रम संपन्न...

ब्राह्मणवाद पर अदालती प्रहार डायरी (19 अगस्त, 2021)

परिस्थितियां एक जैसी कभी नहीं रहतीं। बदलती रहती हैं। यह मनुष्य पर निर्भर करता है कि वह बदल रही परिस्थितियों के अनुरूप खुद को...

दशरथ माँझी का जज़्बा शाहजहां के जज़्बे से कम नहीं है

पुण्यतिथि पर याद करते हुये आज माउंटेन मैन कहे जाने वाले दशरथ माँझी की पुण्यतिथि है। यदि मुझसे पूछा जाय कि आप उन पाँच...

दुनिया में बेनजीर अफगानिस्तान की ये पांच-छह महिलाएं डायरी (18 अगस्त, 2021)

 मैं बेहद रोमांचित हूं और एक हद तक खुश भी। मुझे ये अहसास बहुत कम ही मिलते हैं। कई बार तो लंबे समय तक...

पत्रकारिता, संसद, न्यायपालिका और बेपरवाह हुक्मरान (डायरी, 16 अगस्त, 2021)  

प्रधानमंत्री के पद पर बैठा व्यक्ति बेहद महत्वपूर्ण होता है। उसे अपना अपना महत्व बनाए रखना चाहिए। इसके लिए उसका उदार होना, सौम्य होना...

चुनमुन की कागज की नइया कहां गयी..

कवि-नाटककार मोहनलाल यादव स्वतःस्फूर्त और सहज रचनाकार हैं जिनकी कविताओं में न सिर्फ आम-जन का दुख-दर्द और संघर्ष के साथ ही व्यवस्था और सत्ता...

दलित-बहुजनों के साथ जातिगत भेदभाव के लिए राष्ट्रीय शर्म दिवस की घोषणा कब? डायरी (15 अगस्त, 2021) 

साहित्य और साजिश! क्या यह संभव है कि साहित्य का सृजन साजिश के तहत किया जा सकता है? यह सवाल मेरी जेहन में अनायास...

ओम बिरला, वेंकयानायडू और हरिवंश की रीढ़  डायरी (13 अगस्त, 2021)

भारत में लोकतंत्र बड़ी तेजी से पतन की ओर अग्रसर है। जिस तरह से भारत में सत्तासीन नरेंद्र मोदी सरकार लोकतांत्रिम परंपराओं का अवमूल्यन...

विमल, कंवल और उर्मिलेश डायरी (11 अगस्त, 2021) (दूसरा भाग)

कल का दिन एक खास वजह से महत्वपूर्ण रहा। लोकसभा में केंद्र सरकार द्वारा लाया गया अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित 127वां संविधान...

 विमल, कंवल और उर्मिलेश (पहला भाग) डायरी (10 अगस्त, 2021) 

साहित्य और समाज के बीच अंतर्संबंध रहा है। दोनों को हवा-पानी-मिट्टी सब प्रभावित करते हैं। वैसे भी जिस समाज और जिस साहित्य पर हवा-पानी-मिट्टी...

‘शाश्वत सत्य’ और राज्य डायरी (9 अगस्त, 2021)

भारतीय सामाजिक व्यवस्था का केंद्रीय चरित्र पूंजीवादी है और यह कोई नयी बात नहीं है। चार वर्णों की व्यवस्था इसलिए ही बनायी गयी है।...

जयराम जय के नवगीत

मंच पर छाने लगे मंच पर छाने लगे हैं चुटकुले कौन तोडे़गा ये पथरीले किले?   हो गयीं दुर्योधनी हैं कामनायें अनवरत धृतराष्ट्र जैसी भावनायें जिनको अपना साथ देना चाहिये था वह चले हैं गैर...

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