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पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

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आखिर इस युद्ध से देश को क्या मिला?

घरेलू मोर्चे पर मोदी सरकार आजादी के बाद की सबसे ज्यादा असफल सरकार साबित हुई है, जिसने घरेलू समस्याओं को हल करने के बजाए, आम जनता का ध्यान इससे हटाने के लिए हर मौके पर विभाजनकारी नीतियां अपनाई और लगातार सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के जरिए चुनाव जीतने और सत्ता में बने रहने को अपना एकमात्र लक्ष्य बना लिया है। देश विरोधी ताकतें भी इसका फायदा उठाने में लगी है, जो पहलगाम में आतंकी हमले से सही साबित होता है।

क्या हिटलर का नया अवतार हैं ट्रम्प

इजरायल गाजा पट्टी में रहने वाले फिलिस्तीनियों का वैसा ही नरसंहार कर रहा है, जैसा हिटलर ने यहूदियों के साथ किया था। वर्तमान यहूदी प्रधानमंत्री नेतन्याहू गाजा में यही कर रहे हैं। डोनाल्ड ट्रम्प उनकी मदद कर रहे हैं और गाजा पट्टी को उन्हें सौंपने की बात कर रहे हैं। सौ साल से भी पहले ट्रम्प के रूप में दूसरा हिटलर उभर रहा है।

ट्रंप के बदले तेवर के पीछे की राजनीति और अर्थनीति क्या है?

आज़ एलेन मस्क व डोनाल्ड ट्रम्प का तेवर किसी ताकत का नही बल्कि कमजोरी का प्रदर्शन है। आज़ अमेरिकी पूंजी अपने सारे लोकतांत्रिक खोल उतार फेंकना इसी लिए चाह रही है। 80 के दशक में अपनाए गए वैश्वीकरण की नीतियों को, जो खुद सामराजी पूंजी ने अपने लिए ही बनाए थे, उन नीतियों को और उनसे जुड़े वैश्विक संस्थाओं को भी बर्दाश्त करने की स्थिति नही रह गई है, तथाकथित ग्लोबलाइजेशन को एक बार फिर से नये तरह के डी ग्लोबलाइजेशन में बदला जा रहा है।

सत्ता के नशे की बीमारी सदियों पुरानी है और पूरी दुनिया में फैल चुकी है

सत्ता का नशा पूरी दुनिया भर के कई राजनेताओं के पदों पर आसीन होने के बाद देखा गया है। जिन देशों में दक्षिणपंथी दलों का शासन है, वहाँ के मुखिया तानाशाह तरीके से जनता को हांक रहे हैं। अभी डोनाल्ड ट्रम्प की चर्चा सबसे अधिक है, जो दूसरी बार सत्ता में आए हैं, उनके द्वारा गाजा निवासियों को उनके देश से बेदखल कर दुनिया का बेहतरीन समुद्री रिसॉर्ट बनाने की बात कही, जो इंसानियत के प्रति घोर असंवेदनशीलता को दिखाता है।

दुनिया के आरक्षित वर्गों के लिए खतरे की घंटी हैं ट्रम्प के फैसले

2020 के चुनाव में हार के बाद ट्रम्प भारी निराश हुए और बहुत दबाव में व्हाइट हाउस छोड़ने के लिए तैयार हुए। किन्तु हारने के बाद वह दोगुनी ताकत से अल्पसंख्यकों के विरुद्ध अमेरिकी प्रभुवर्ग को आक्रोशित करने में जुट गए। दरअसल डायवर्सिटी केंद्रित डीईआई प्रोग्राम का लाभ उठाकर अमेरिकी अल्पसंख्यकों  के जीवन में जो सुखद बदलाव आया, उससे वहाँ के प्रभुवर्ग में उनके प्रति ईर्ष्या और शत्रुता के उत्तरोतर वृद्धि के साथ असुरक्षाबोध बढ़ते  गया। पढ़िए एच एल दुसाध का यह लेख।

जेंडर समानता और स्वास्थ्य सुरक्षा पर मंडराता ट्रम्प की नीतियों का खतरा

डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिका के 47वें राष्टपति पद की शपथ लेते ही विश्व स्वास्थ्य संगठन और अमरीकी सरकार द्वारा पोषित विश्व के अनेक देशों के स्वास्थ्य कार्यकमों पर आर्थिक रोक लगा दी, रोग नियंत्रण और रोग बचाव के लिए अमरीकी वैश्विक संस्था सीडीसी को विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ कार्य करने से प्रतिबंधित किया, और अनेक ऐसे कदम उठाये जिनका नकारात्मक प्रभाव वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा और जेंडर समानता पर पड़ा। इसके दूरगामी परिणामों का एक आकलन 

गाजा पर युद्ध में अमरीका की भूमिका के कारण रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड और डिग्रियां वापस करूँगा : संदीप पांडेय

सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के महासचिव संदीप पांडेय ने गाजा में इस्राइली हमलों में 'अमेरिका की भूमिका' के विरोध में प्रतिष्ठित रेमन मैग्सेसे अवार्ड लौटाने...

भारत में भूजल स्तर लगातार खतरे की तरफ बढ़ रहा है

जैसे ही गर्मी का मौसम आता है, वैसे ही शहरों और गांवों में पानी के लिए हाहाकार होने लगता है। जल स्रोत सूखने लगते...

अफगानिस्तान और पाकिस्तान की बरबादी के बीज अमेरिका ने ही बोये थे

आज अमेरिका के ट्रेड सेंटर और पेंटागन के ऊपर हुए आतंकवादी हमले को तेईस साल पूरे हो रहे हैं और इन हमलों का बदला...

चाँद को छूता अमेरिकी आरक्षण का दायरा

कुछ दिन पूर्व फेसबुक पर विचरण करते समय मेरी दृष्टि अन्तरिक्ष यात्रियों की एक तस्वीर पर अटक गई। इस तस्वीर में चार व्यक्ति थे,...

अंदरूनी मामले कितने अंदरूनी, बाहरी आलोचनाएं कितनी बाहरी

वास्तव में यह दिन 1879 में इसी रोज शुरू हुई फ्रांसीसी क्रांति की सालगिरह के रूप में मनाया जाता है, जिसकी शुरुआत इस कुख्यात जेल में बंद क्रांतिकारियों को छुड़ाने के लिए हमला कर जेल तोड़े जाने के साथ हुई थी। जाहिर है कि भारत से भी बढ़कर फ्रांस में, मानवता को 'स्वतंत्रता, समानता तथा भाईचारा' के लक्ष्य देने वाली, इस फ्रांसीसी क्रांति की सालगिरह की परेड में मुख्य अतिथि प्रधानमंत्री मोदी जैसे भाईचारा-विरोधी नेता को बनाए जाने की काफी आलोचना हुई है।

धरी की धरी रह गई नरेंद्र मोदी की अंतरिक्ष में अमर होने की तमन्ना (डायरी, 8 अगस्त, 2022) 

अंतरिक्ष में कचरा सुनकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। हालांकि मैं कोई वैज्ञानिक नहीं हूं जो इससे जुड़े अन्य वैज्ञानिक सवालों के बारे...

जार्डन यात्रा : कला के जरिए रीरूटिंग अर्थात अपनी जड़ों की ओर लौटना

आज जोर्डन एक आधुनिक राष्ट्र है जहाँ बड़े मॉल हैं, सुपर मार्केट हैं, अमेरिकन ब्रांड हैं और सब कुछ है जो आज के दौर में हमें चाहिए लेकिन कोविड के दो साल के लॉकडाउन से ही लोगों को दिककतें होने लगी थीं और सरकार की समझ में आ गया था। जोर्डन की ‘तरक्की’ का राज यह था कि यह अपने यहाँ ब्रेड और गेंहू के लिए पूरी तरह पर अमेरिका पर निर्भर हो गया। यह उस देश की कहानी है जो 1960 में दुनिया में सर्वाधिक गेंहू पैदा करता था और जहाँ ब्रेड बनाने की 14000 वर्ष पुरानी परंपरा के रिकार्ड आज भी मौजूद है। जार्डन से लौटकर विद्याभूषण रावत।

होण्डुरास से लौटे हुये एक ज़माना बीत गया – दो

भारतीय सभ्यता ढोंग का सबसे बड़ा उदाहरण है सन दो हज़ार की उनतीस जुलाई की सुबह मैं एक इन्टरनेट कैफे गया क्योंकि बहुत दिनों से...

सियासत, समाज और इश्क, डायरी (24 मई, 2022)

 सियासत के मामले में मेरी एक राय यथावत है कि सियासत करनेवाले कभी सीधी रेखा का अनुगमन नहीं करते। सियासत ऐसे की भी नहीं...

भ्रष्ट राजा और उसके भ्रष्ट भांट (डायरी 8 मई,2022)

मेरे गृह राज्य बिहार के राजा नीतीश कुमार अलग तरह का व्यक्तित्व रखते हैं। उन्हें भांट पसंद आते हैं। भांट मतलब वे लोग जो...

भारत के नाम पर बाइडेन की हंसी का निहितार्थ (डायरी 27 फरवरी, 2022)  

भारतीय पत्रकार ललित झा ने बाइडेन से पूछा था कि भारत आपके महत्वपूर्ण सामरिक सहयोगी देशों में से एक है, तो क्या रूस के सवाल पर वह आपके साथ पूरी प्रतिबद्धता के साथ है? ललित झा के सवाल को पहली बार में या तो बाइडेन समझ नहीं पाए या फिर उन्हें लगा होगा कि भारतीय पत्रकार ने भूलवश ऐसा सवाल किया है। उन्होंने सवाल दुहराने काे कहा। ललित झा ने फिर वही सवाल दुहराया। बाइडेन ने बिना हंसते हुए कहा कि अभी तक तो भारत हमारा महत्वपूर्ण सामरिक सहयोगी नहीं बना है, वैसे इस मामले पर आज ही भारत से बात करता हूं। बाइडेन के इतना कहते ही सब हंस पड़े।

युद्ध और हम भारतीयों का अजीबोगरीब भोलापन (डायरी 25 फरवरी, 2022) 

हम भारत के लोग बहुत ही भोले लोग हैं। भले होने की बात मैं नहीं कह सकता। दरअसल, हम भारत के लोग भोले लोग...

हंसी सबसे अच्छी दवा है: मुनव्वर फारूकी

स्टेंडअप कामेडियन मुनव्वर फारूकी बंगलौर में एक परोपकारी संस्था के लिए अपना शो करने वाले थे। पूरे टिकट बिक चुके थे। फिर आयोजकों को...

जी-20 का संकल्प और आंखिन-देखी सच्चाई (डायरी 1 नवंबर, 2021) 

मेरा अपना अनुमान है कि अगले पचास साल में भारत में औसत तापमान में 4-5 डिग्री का इजाफा हो जाएगा। यह मुमकिन है कि...

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