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आखिर इतने तमतमे वाले नरेंद्र मोदी को क्यों संघ मुख्यालय जाना पड़ा

प्रधानमन्त्री बनने के लगभग 12 साल बाद नागपुर के संघ कार्यालय में मोदी पहुंचना, ताक़त का प्रदर्शन तो नहीं है? जबकि भाजपा ने स्वयं को सक्षम  घोषित कर दिया था, फिर ऐसा क्या हुआ कि पहले नड्डा और अब मोदी खुद नागपुर पहुंच गए।

क्या राष्ट्र की जिम्मेदारी केवल हिन्दू समाज के कंधों पर है?

स्वतंत्रता आंदोलन के मूल्य हमारे संविधान का हिस्सा हैं; जहां धर्मों और भाषाओं से परे बहुलता और विविधता है। मोहन भागवत हिंदू समाज के भीतर विविधता की बात कर रहे हैं और सोचते हैं कि केवल हिंदू ही इस राष्ट्र के लिए जिम्मेदार हैं! भागवत की 'केवल हिंदू' की विचारधारा देश की प्रगति में एक बड़ी बाधा है। वे वसुधैव कुटुंबकम का पालन करने का दावा करते हैं, लेकिन इन पर कोई अमल नहीं होता। देश के लिए हिंदू ही जिम्मेदार हैं, यह कहना विभाजनकारी होने के साथ गैर जिम्मेदाराना बयान है।

देश में इतनी नफरत फैल चुकी है जितनी संघी नेताओं ने भी शायद ही सोचा हो

आरएसएस लगातार दोहरी नीति पर काम एक तरफ आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और प्रधानमंत्री बयान देते फिरते हैं कि देश में सभी समुदाय के लोग सुरक्षित हैं, वहीं उनके पोषित लोग अल्पसंख्यकों पर लगातार हमला कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने अभी क्रिसमस के मौके पर दिए संदेश में भगवान ईसा मसीह की शिक्षाओं पर अमल करने की बात कही, वहीं दूसरी तरफ लखनऊ मे चर्च के बाहर भक्तों ने गदर मचाया। अहमदाबाद में सांता क्लॉज की पोशाक पहने व्यक्ति की भक्तनुमा व्यक्ति ने पिटाई कर दी। यह मात्र एक या दो घटनाएं है। लेकिन पूरे देश में ऐसी सैकड़ों घटनाएं लगातार हो रही हैं। सवाल यह उठता है कि आखिर नफरत इतनी व्यापक क्यों है?

मोहन भागवत ने फिर से हिन्दू राष्ट्र का राग अलापा

अपेक्षाकृत कम प्रचलित शब्द ‘वोकिज्म’ का इस्तेमाल अधिकांशतः दक्षिणपंथियों द्वारा 'सामाजिक और राजनैतिक अन्यायों के प्रति संवेदनशील रवैया रखने वाले लोगों को अपमानित करने के लिए किया जाता है।' यह भागवत के भाषण का केन्द्रीय मुद्दा था। इस समय हिंदू दक्षिणपंथी देश के सामाजिक-राजनैतिक परिदृश्य पर हावी है। 

आरएसएस का इतिहास देशप्रेम का नहीं है सभापति महोदय..

राज्यसभा संसद में सभापति जगदीप धनखड़ ने सांसद रामजीलाल सुमन द्वारा आरएसएस का नाम लेने पर आपत्ति दर्ज कराते हुए आरएसएस को देशसेवा करने वाली ईकाई कहा। चूंकि धनखड़ महोदय खुद आरएसएस से तैयार हुए हैं, ऐसे में उसकी तारीफ करना उनका फर्ज बनता है जबकि महात्मा गांधी की हत्या से लेकर देश में हुए अनेक दंगों में उसकी क्या भूमिका रही है सभी जानते हैं।

पिता, पुत्र और हिंदुत्व के एजेंडे की ओर ठेलमठेल

आरएसएस के एक शीर्ष पदाधिकारी इंद्रेश कुमार ने भी कहा कि अहंकार के कारण भाजपा की सीटों में गिरावट आई है। आरएसएस ने तुरंत इस बयान से पल्ला झाड़ लिया और इंद्रेश कुमार ने इसे वापस लेते हुए प्रमाणित किया कि केवल मोदी के नेतृत्व में ही भारत प्रगति कर सकता है। कई टिप्पणीकारों ने डॉ. भागवत के बयान को आरएसएस और भाजपा के बीच दरार के संकेत के रूप में लिया है।

एक वर्ष बाद मणिपुर पर दिए बयान से संघ और संघ प्रमुख मोहन भागवत का पाखंड सामने आया

18वीं लोकसभा में 400 पार का दावा करने वाली भाजपा 240 सीट पर ही सिमट गई। मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने लेकिन 32 सीटें गठबंधन से उधार लेकर। ऐसे में भाजपा के मातृ दल राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत को एक वर्ष बाद मणिपुर हिंसा की याद आई और एक कार्यक्रम में बयान दिया 'मणिपुर में पिछले एक वर्ष से अधिक समय से  शांति की राह देख रहा है। इस पर प्राथमिकता से विचार करना चाहिए।' इस बयान से संघ, संघ प्रमुख और संघ से जुड़े सभी संगठनों की मानसिकता एक बार फिर सामने आई।

आरएसएस प्रमुख और भाजपा, आरक्षण समीक्षा की आड़ में पिछड़ों को उचित प्रतिनिधित्व से दूर रखने की मंशा रखते हैं

कुछ समय पहले तक आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ओबीसी आरक्षण के सख्त खिलाफ थे और आरक्षण को लेकर लगातार विरोध में बयान दिया करते थे लेकिन चुनाव आते ही उनके सुर बदल गए क्योंकि देश में ओबीसी का बड़ा वोट बैंक हैं।

धुर विरोधी होने के बावजूद सिर्फ वोट के लिए आंबेडकर का गुणगान कर रहा है आरएसएस

आरएसएस और अम्बेडकर की विचारधाराएं भारतीय राजनीति के दो विपरीत ध्रुव हैं। जहाँ अम्बेडकर जाति के विनाश, प्रजातान्त्रिक मूल्यों की स्थापना और सामाजिक न्याय...

एक लोकतांत्रिक देश में मोदी सरकार की तानाशाही

बीबीसी हिन्दी (9 फ़रवरी 2021) के हवाले से, क्या ये बेहतर नहीं होगा कि चुनाव के माध्यम से नेता तय करने की जगह राज्य...

कभी भी सामाजिक न्याय के पक्षधर नहीं कहे जा सकते धर्माश्रित राजनैतिक दल

बात पुरानी है, किंतु आज भी प्रासंगिक है। 12.06.2017 को नरेन्द्र तोमर ने यह टिप्पणी की थी, ‘वे (आरएसएस और भाजपा) भारत को 2023...

पूर्ण बहुमत की सरकार को संविधान बदलने का अधिकार नहीं मिल जाता

जब से केंद्र में बीजेपी सरकार सत्तारूढ़ हुई है, उसके मंत्री, जनप्रतिनिधि और नेता समय-समय पर अजीबोगरीब बातें करते रहते हैं। कभी कोई देश...

इतिहास बदलने के बाद अब धर्म बदलेगा आरएसएस!

भागवत यदि अपनी बात के प्रति संजीदा हैं, तो कायदे से उन्हें मनुस्मृति सहित उन सारे ग्रंथों की निंदा और भर्त्सना करना चाहिये, जिनके नाम पर, जिनके लिखे के आधार पर सदियों तक इस जम्बूद्वीपे भारतखंडे की जनता के 90 फीसद हिस्से को सताया गया। देश, उसकी सभ्यता, उसकी मनुष्यता को बेड़ियों में बांधकर कर करीब डेढ़ हजार वर्ष तक उसकी प्रगति को अवरुद्ध करके रखा।

मोहन भागवत साम्प्रदायिक एजेंडे की खातिर इतिहास को विकृत करने की कोशिश कर रहे हैं

मुसलमानों के खिलाफ गौरक्षा और गौमांस के बहाने जो हिंसा हो रही है, लव जिहाद के नाम पर उन्हें जिस तरह से डराया-धमकाया जा रहा है, उसका उनमें व्याप्त श्रेष्ठताभाव से कोई लेना-देना नहीं है। यह केवल हिन्दू बहुसंख्यकवादियों द्वारा बोई गई नफरत के बीज की फसल है।

तुलसी पर कोहराम तो बहाना है, मकसद मनु और गोलवलकर को बचाना है

जैसे इधर मदारी का इशारा होता है और उधर जमूरे का काम शुरू होता है, ठीक उसी तरह इधर संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत...

अतीत की मनमानी और खतरनाक व्याख्या

आरएसएस की 100 से अधिक अनुषांगिक संस्थाएं हैं और इस सूची में नित नए नाम जुड़ते जा रहे हैं। संघ की अनुषांगिक संस्थाओं में...

पाकिस्तान के नाम से आरएसएस के भड़कने का निहितार्थ (डायरी 27 अक्टूबर, 2021)

सियासत की एक खासियत रही है कि इसने अपने मकसद में कभी बदलाव नहीं किया है। हालांकि सियासत ने अपने रूप जरूर बदले हैं।...

सरकार जनता से डरी हुई है इसलिए आंदोलनों को बेरहमी से कुचल देना चाहती है

बनारस में जातिगत जनगणना और किसान आन्दोलन जैसे विभिन्न मुद्दों को लेकर जाने-माने अधिवक्ता और सामाजिक चिंतक प्रेम प्रकाश सिंह यादव बहुत दिनों से...

उत्तर प्रदेश चुनाव और जम्मू कश्मीर में बढ़ता आतंकवाद (डायरी 16 अक्टूबर, 2021)

बचपन में शब्दों को लेकर तरह-तरह के सवाल होते थे। मैं कोई अजूबा बच्चा नहीं था। ये सवाल मेरे मित्रों के मन में भी...

आधुनिक भारत में ब्राह्मणों और राजपूतों के बीच ऐसे हो रही लड़ाई  (डायरी 14 अक्टूबर, 2021)  

भारत के शासकों ने देश के अखबारों के जैसे अपनी परिभाषा बदल ली है। यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे इस देश के पुलिस...

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