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पटना के हवाई अड्डे की बघेरा बस्ती का हाल, मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे स्थानीय लोग

हमारे देश की एक बड़ी आबादी आज भी ऐसी है जो शहरों और महानगरों में आबाद है। लेकिन वहां शहर के अन्य इलाकों की तरह सुविधाओं का अभाव होता है। सरकार की ओर से इन बस्तियों में रहने वाले लोगों को पीने का साफ पानी और स्वास्थ्य सुविधाओं का भी लाभ नहीं मिल पा रहा है।

बिहार में राज्यसभा सीट पर हमारा दावा वैध था : दीपांकर भट्टाचार्य

उन्होंने कहा, “महागठबंधन से नीतीश कुमार के बाहर निकलने के बाद भाकपा माले निश्चित रूप से आगामी लोकसभा चुनाव में बड़ी हिस्सेदारी मांगेगी। एक-दो दिन में आरजेडी समेत महागठबंधन के नेताओं से इस मामले पर चर्चा की जाएगी।’’

बिहार में राजनीति का ऊंट किस करवट बैठेगा, अभी अंदाज नहीं है 

पटना/नयी दिल्ली। बिहार में पिछले दो दिनों से चल रही राजनैतिक गर्मी में यह चर्चा जोरों पर है कि यहाँ के मुख्यमंत्री एवं जनता...

सब कुछ तराजू पर नहीं तौला जा सकता (डायरी 7 अगस्त, 2022)  

आजकल पारंपरिक तराजू नजर नहीं आते। लोग वजन तौलने की मशीन रखने लगे हैं। यह अच्छा भी है और बुरा भी। अच्छा इस मायने...

सवर्ण बनाम दलित-बहुजन (डायरी 2 अगस्त, 2022)  

बदलाव संसार का नियम है और यह बदलाव हर क्षेत्र में होता है फिर चाहे वह सामाजिक क्षेत्र में बदलाव हो, आर्थिक क्षेत्र में...

असुरक्षित घर और बेटियों की चुनौती (डायरी 7 जुलाई, 2022) 

बदलाव प्रकृति का नियम है और इस लिहाज से भी सोचें तो हम बदलावों को रोक नहीं सकते। समाज में भी तमाम तरह के...

सभ्यता के पीछे ज्ञान या ज्ञान के पीछे सभ्यता? (डायरी 5 जुलाई, 2022) 

मेरी बेटी साक्षी के सवाल ऐसे ही होते हैं। उसकी तरह ही चुलबुली और थोड़ी-सी नुकीली। कल उसने यह खास सवाल किया कि पापा,...

पटना के राजीव नगर के उन लोगों के नाम, जिनके घर जिला प्रशासन ने ढाह दिये (डायरी, 4 जुलाई, 2022) 

कल का दिन भी बुखार के साथ ही बीता। हालांकि सुबह में इसका असर कम था। ऐसा शायद इस वजह से कि सुबह में...

हमारे यहाँ लड़कियां बारात में नहीं जाती हैं..

अपवाद छोड़ दें तो स्त्रियों को यदि जिम्मेदारीपूर्ण काम दिए जाएँ और किसी निर्णय लेने में शामिल किया जाए तो वे उस काम को बहुत ही बेहतर तरीके से ख़ुशी-ख़ुशी पूरा करती हैं। लेकिन अक्सर घर-परिवार-समाज में उन्हें इंसान का नहीं, बल्कि एक स्त्री का दर्जा दिया जाता है।  हमेशा उन्हें घर के अंदर शारीरिक मेहनत वाले काम ही सौंपे जाते हैं।  बात-बेबात कमअक्ल और बाहर की दुनिया से अनभिज्ञ समझा ही नहीं जाता, बल्कि इस बात का गाहे-बगाहे ताना भी दिया जाता है।

एक बुरी रात का सुखद अंत (डायरी 3 जुलाई, 2022) 

मेरी शिक्षा नियतिवाद को खारिज करती है और इस कारण मेरी अपनी जिंदगी आडंबरों से मुक्त है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मेरे...

अपने शहर पटना में (डायरी, 1 जुलाई, 2022)  

वक्त की गति बहुत तेज होती है। लेकिन यह भी सापेक्षवाद के सिद्धांत का अनुसरण करता है। मतलब यह कि आदमी की गति जितनी...

माया-मोह और मेेरी भाभी (डायरी, 27 जून, 2022) 

जीवन में मोह का महत्व होता ही है। मोह न हो तो जीवन का कोई उद्देश्य भी नहीं होता। बिन माया-मोह जीवन की बातें...

मुफ्त की चाय कभी पी है आपने? (डायरी 16 जून, 2022)

लोकोक्तियों और मुहावरों का अपना ही महत्व होता है। फिर चाहे वह किसी भी भाषा या बोली के क्यों ना हों। बाजदफा तो ये...

नीतीश कुमार की ‘पालिटिकल स्लेवरी’ (डायरी 3 मई, 2022) 

कल मनाली के आगे गया। दरअसल, मैं और मेरी पत्नी की इच्छा रही कि हिमालय की उन चोटियों पर जाया जाय, जहां बर्फ अभी...

 पत्रकारिता, देश और नौजवान (डायरी 28 जनवरी, 2022) 

आज का दिन भी बहुत खास है। दिल्ली से प्रकाशित जनसत्ता के पहले पृष्ठ पर एक तस्वीर है। इस तस्वीर में वैसे तो देश...

रेणु के अलक्षित सहयोगी प्रकाशक रजनीकांत सिन्हा

हीरा अपनी आभा से सभी को मोहित करता है, चकित, विस्मित भी करता है। मगर जानने वाले यह भी जानते हैं कि हीरा अपने...

जम्मू के मंदिर में भगदड़ और पाखंड का लब्बोलुआब(डायरी, 3 जनवरी 2022)  

आज दो महान लोगों को याद करने का दिन है। एक क्रांति ज्योति सावित्रीबाई फुले और दूसरे मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा। दोनों का...

अलविदा 2021! (डायरी 31 दिसंबर, 2021)

मैं तो अरुणाचल प्रदेश को देख रहा हूं, जिसके ऊपर चीन की निगाह है। इसी तरह मेघालय और मिजोरम भी है। नगालैंड भी इन्हीं राज्यों में से एक है। तो मामला यह है कि पूर्वोत्तर के प्रांत चीन के निशाने पर हैं और भारतीय हुकूमतों को उन इलाकाें में अपनी फौज को बनाए रखने के लिए बाध्य रहना पड़ा है। परंतु, इस परिस्थिति के बीचों-बीच पूर्वोत्तर के आम अवाम हैं जो अमन चाहते हैं।

आदमी अब सामाजिक नहीं, आर्थिक प्राणी है(डायरी, 24 दिसंबर 2021) 

अक्सर यह सवाल खुद से पूछता हूं कि मुझे कैसा समाज चाहिए और जैसा समाज चाहिए उसके लिए मैं क्या कर रहा हूं। कई...

यह किसी यक्ष का प्रश्न नहीं है (डायरी, 22 दिसंबर 2021)

समय चक्र एक खूबसूरत शब्द है। समय को एक चक्र के रूप में देखने का विचार निश्चित तौर पर इस कारण से लोगों के...

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