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करसड़ा से उजाड़े गये बाशिंदो ने सामाजिक संगठनों को सुनाया अपना दुःख

31 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बीते शुक्रवार को करसड़ा मुसहर बस्ती से उजाड़े गये बाशिंदो से विभिन्न सामाजिक...

ग्लोबल हंगर इंडेक्स को लेकर भी असहिष्णु सरकार

कुपोषण और भुखमरी के यह हालात तब हैं जब राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून(2013) का कवच हमारे पास है जिसके जरिए हम 75 प्रतिशत ग्रामीण आबादी और 50 प्रतिशत शहरी आबादी को खाद्य और पोषण की सुरक्षा दे रहे हैं। इसके अतिरिक्त फरवरी 2006 से अस्तित्व में आई मनरेगा जिसका प्रारंभिक उद्देश्य कृषि क्षेत्र की बेरोजगारी से मुकाबला करना था, आज कोविड-19 के कारण शहरों से वापस लौटे प्रवासी मजदूरों को भी रोजगार मुहैया करा रही है।

पीएस-4 ने पीएम मोदी के कार्यक्रम के विरोध में मनाया काला दिवस

 25 अक्टूबर को वाराणसी प्रजापति शोषित समाज संघर्ष समिति (पीएस4) ने मेंहदीगंज में आयोजित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा का विरोध करते हुए आज...

किसान आंदोलन के परिप्रेक्ष्य में विगत दशकों में चल रहे आंदोलन का एक सिलसिला

यह समय का पहिया घूमने जैसी बात है। दस साल हो रहे हैं जब 2009 में आई ग्रामीण विकास मंत्रालय एक मसविदा रिपोर्ट के 160 वें पन्‍ने पर भारत के आदिवासी इलाकों में कब्जाई जा रही ज़मीनों को धरती के इतिहास में 'कोलंबस के बाद की सबसे बड़ी लूट' बताया गया था। कमिटी ऑनस्‍टेट अग्रेरियन रिलेशंस एंड अनफिनिश्‍ड टास्‍क ऑफ लैंडरिफॉर्म्‍स शीर्षक से यह रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक विमर्श का हिस्‍सा नहीं बन पाई है, जिसने छत्‍तीसगढ़ और झारखण्‍ड के कुछ इलाकों में सरकारों और निजी कंपनियों (नाम समेत) की मिली भगत से हो रही ज़मीन की लूट से पैदा हो रहे गृहयुद्ध जैसे हालात की ओर इशारा किया था।

संघ की राजनीतिक पिच पर खेल रही कांग्रेस

किसान न्याय रैली में दिखा प्रियंका गांधी का हिंदुत्व प्रेम 'आज नवरात्रि का चौथा दिन है। मैं व्रत हूं तो मैं मां की स्तुति से...

लगता है मेरा लिखा ग़लत साबित हो रहा है …

कई वर्ष पूर्व यह टिप्पणी लिखी थी: 2019 तक उत्तरप्रदेश को लूट कर चोखा बना दिया जाएगा। जनता त्राहिमाम करने लगेगी कि अबकी सबक सिखाना...

फासिस्ट सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए छालों की परवाह नहीं

दोलन कई सरकारी षडयंत्रों का निशाना बनाया गया है। लखीमपुर खीरी में निर्दोष किसानों पर गाड़ी चढ़ा दिया गया जिसमें चार किसान शहीद हुये। लेकिन लगता है आंदोलन की आंच अब पूरे देश में फैल रही है। ये लोग जो चंपारण से पदयात्रा करके यहाँ तक आए हैं वे अपने हिस्से का संघर्ष उन तमाम लोगों के बीच ले जाना चाहते हैं जिनके भीतर किसानों के लिए संवेदना है।

साजिश की थ्योरी (डायरी 11 अक्टूबर 2021)

सियासत में और सियासत को समझने में आवश्यक अध्ययन में एक थ्योरी होती है। इसे मैं षडयंत्र की थ्योरी मानता हूं। इसमें होता यह...

राज्य पोषित हिंसा का सबसे खतरानाक नमूना है लखीमपुर खीरी की घटना

लखीमपुर खीरी की घटना एक चेतावनी है- हमारे लोकतंत्र का स्वास्थ्य अच्छा नहीं है। अजय कुमार मिश्र जिनके हिंसा भड़काने वाले बयान एवं गतिविधियां...

गांव के लोग न्यूज अपडेट

चन्दौली के चहनियां ब्लाक परिसर में 25 सितंबर को होगा गरीब कल्याण दिवस का आयोजन, जिसमें सरकारी विभागों द्वारा संचालित योजनाओं का किया...

प्रजातान्त्रिक प्रक्रियाएं और कश्मीर की गुत्थी

सन 2019 के पांच अगस्त को राष्ट्रपति ने एक अध्यादेश जारी कर कश्मीर को स्वायत्तता प्रदान करनी वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द...

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