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Uttar Pradesh
क्या उत्तर प्रदेश चुनाव में चौंकाने वाला परिणाम आएगा
उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर देश के राजनीतिक पंडित और विश्लेषक भले ही, भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच कांटे की टक्कर बता रहे...
पूर्वी उत्तर प्रदेश के गांवों में दलित-पिछड़े वर्ग में उभरता नया नेतृत्व
1990 के दशक में सत्ता का विकेंद्रीकरण किया गया। तब से हाशियाकृत दलित-पिछड़ा समाज भी लोकतंत्र के महापर्व में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेना शुरू...
कांग्रेस की नई लिस्ट में महिलाओं और युवाओं की दिखी अधिक भागेदारी
कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए अपने 125 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका...
‘उत्तर’ देता प्रदेश(डायरी, 15 जनवरी 2022)
सियासत में मोमेंटम का असर बहुत होता है। जीत उसी को मिलती है जो मोमेंटम बनाता है और जीत मुकम्मल होने तक बनाए रखता...
कांग्रेस को हल्के में लेना भाजपा को भारी पड़ सकता है
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए, कांग्रेस और कांग्रेस की राष्ट्रीय महामंत्री उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी की चुनावी रणनीति, क्या अब भाजपा के...
जाति तोड़ने के लिए जरूरी है सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक बराबरी (डायरी, 2 दिसंबर, 2021)
विविधता और भेदभाव में एक बुनियादी फर्क है। जहां एक ओर विविधता का संबंध रहन-सहन, क्षेत्रीय परिस्थितियां एवं संस्कृति व परंपराओं से है, वहीं...
कृषि कानूनों का निरस्तीकरण
प्रधानमंत्री द्वारा संसद में पारित तीन कुख्यात कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा निश्चित रूप से किसान आंदोलन और पिछले एक साल से...
जीना इसी का नाम है…..
'भाई साहब, नमस्कार। मैं जयशंकर बोल रहा हूँ और इस समय आपके शहर में हूँ। क्या कल शनिवार दोपहर को आपसे भेंट हो सकेगी?...
आखिर कौन करता है मुसहरों के साथ भेदभाव
मुसहर अपने को अन्य दलित जातियों से ऊंचा मानते हैं और मौक़ा मिले तो वैसा ही करने से नहीं चूकते जैसे तथाकथित बड़ी जातियां उनके साथ करती हैं। इन्हीं गाँवों में घूमते समय मैंने मुसहरों को डोम लोगों के साथ भेदभाव करते देखा और अपने नल से पानी भरने से साफ़ तौर पर मना करते हुए देखा।
किसान आंदोलन के परिप्रेक्ष्य में विगत दशकों में चल रहे आंदोलन का एक सिलसिला
यह समय का पहिया घूमने जैसी बात है। दस साल हो रहे हैं जब 2009 में आई ग्रामीण विकास मंत्रालय एक मसविदा रिपोर्ट के 160 वें पन्ने पर भारत के आदिवासी इलाकों में कब्जाई जा रही ज़मीनों को धरती के इतिहास में 'कोलंबस के बाद की सबसे बड़ी लूट' बताया गया था। कमिटी ऑनस्टेट अग्रेरियन रिलेशंस एंड अनफिनिश्ड टास्क ऑफ लैंडरिफॉर्म्स शीर्षक से यह रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक विमर्श का हिस्सा नहीं बन पाई है, जिसने छत्तीसगढ़ और झारखण्ड के कुछ इलाकों में सरकारों और निजी कंपनियों (नाम समेत) की मिली भगत से हो रही ज़मीन की लूट से पैदा हो रहे गृहयुद्ध जैसे हालात की ओर इशारा किया था।
आंकड़ों की कारीगरी और नरेंद्र मोदी का झूठ (डायरी 23 अक्टूबर, 2021)
देश में राजनीति करने के तरीके बदल गए हैं। आजकल तो लोग सोशल मीडिया पर अपने संदेशों आदि के जरिए राजनीति करने लगे हैं।...
राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की जरूरत
हाल ही में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा में महिलाओं को 40% टिकट देने की बात कहकर एक नई बहस...
अयोध्या में नौ लाख दीये जलने से प्रजापति समाज को क्या मिलेगा?
आने वाले कुछ महीनों में विधान सभा चुनाव होने को हैं, जिसको लेकर राजनीतिक पार्टियां बड़ी-बड़ी जनसभाएं कर जनता को लुभाने के प्रयास में...
उत्तर प्रदेश चुनाव और जम्मू कश्मीर में बढ़ता आतंकवाद (डायरी 16 अक्टूबर, 2021)
बचपन में शब्दों को लेकर तरह-तरह के सवाल होते थे। मैं कोई अजूबा बच्चा नहीं था। ये सवाल मेरे मित्रों के मन में भी...
‘स्वर्णिम युग’ और ‘महानायक’ तलाशती जातियां
बचपन में कहानियों में पढ़ा था कि कबीर के मरने पर हिन्दू और मुसलमानों के बीच उनके धर्म को लेकर झगड़ा हो गया और...
सदियों में पैदा होते हैं हीरालाल
बहुत दिनों तक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझते हुए अंततः चच्चा चले गए। चच्चा माने भोजपुरी के महान बिरहिया हीरालाल यादव। मुझे उनके नजदीक...
भारत के ब्राह्मणों से कम नहीं हैं पश्चिम के श्वेत (डायरी 5 अक्टूबर, 2021)
बीता हुआ कल सिर्फ मेरे लिए ही नहीं, दुनिया भर के लोगों के लिए महत्वपूर्ण रहा। देर शाम करीब सवा नौ बजे सोशल मीडिया...

