पंजाब विधानसभा का चुनाव यूं तो भाजपा के लिए किसान आंदोलन से ही मुश्किल भरा चुनाव नजर आ रहा था, और कांग्रेस के लिए आसान। मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक के सवाल ने भाजपा के लिए यह चुनाव और मुश्किल भरा कर दिया है। जब भाजपा के नेता कांग्रेस और मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी पर प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े करने लगे, कांग्रेस और मुख्यमंत्री चन्नी ने इस मुद्दे को पंजाब की पंजाबियत से जोड़ा, और कांग्रेस की तरफ से भाजपा पर आरोप लगने लगे कि भाजपा पंजाबियत को बदनाम कर रही है। धीरे-धीरे पंजाब में कांग्रेस का पंजाबियत वाला मुद्दा भाजपा और आम आदमी पार्टी पर भारी पड़ता हुआ दिखाई दिया।
मंगलवार 18 जनवरी को पंजाब के चुनावी राजनीति में दो घटनाएं ऐसी घटी जिसने देश की राजनीति को गरमा दिया। एक पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के परिवार वालों पर ईडी का छापा और दूसरा आम आदमी पार्टी द्वारा पंजाब चुनाव में पंजाब से दो बार के लोकसभा सांसद भगवान सिंह मान को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करना। आम आदमी पार्टी ने भगवंत मान को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर पंजाबियत के सवाल पर विराम लगाया, लेकिन कांग्रेस ने ईडी की छापेमारी को गंभीरता से लिया और भाजपा सहित आम आदमी पार्टी पर जबरदस्त राजनीतिक हमला किया। कांग्रेस ने इस छापेमारी को दलित अस्मिता से जोड़कर भाजपा पर आरोप लगाया कि वह एक दलित मुख्यमंत्री को नहीं पचा पा रहे हैं। कांग्रेस ने पंजाबियत के बाद अब पंजाब में दलित कार्ड भी गंभीरता से उठा दिया है। कांग्रेस के इस दलित कार्ड का असर पंजाब में हो या ना हो लेकिन कांग्रेस इसे उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड में भुनाने का पूरा प्रयास करेगी।
[bs-quote quote=”सवाल यह भी उठ रहा है कि पंजाब चुनाव में कांग्रेस के पंजाबियत और दलित कार्ड के दोनों अटैक एक साथ काम करेंगे या फिर दोनों में से कोई एक अटैक काम करेगा? शायद कांग्रेस दलित कार्ड को ज्यादा तवज्जो देगी, क्योंकि दलित कार्ड को कांग्रेस उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड चुनाव में भी भुनाने का प्रयास करेगी। यदि कांग्रेस ऐसा करती है तो भाजपा और आम आदमी पार्टी जो अभी तक पंजाबियत मुद्दे को लेकर परेशान दिखाई दे रही थी उसकी परेशानी कुछ हद तक कम हो जाएगी?” style=”style-2″ align=”center” color=”” author_name=”” author_job=”” author_avatar=”” author_link=””][/bs-quote]
18 जनवरी मंगलवार को पंजाब में ईडी का छापा और भगवान सिंह मान को आम आदमी पार्टी के द्वारा मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करना और ईडी के छापेमारी पर कांग्रेस की प्रेस कॉन्फ्रेंस करना, सवाल खड़ा करती है कि क्या पंजाब में भाजपा बाजीगर की भूमिका में चुनाव लड़ने जा रही है? पंजाब में भले ही भाजपा की सरकार नहीं बने लेकिन दिल्ली और पश्चिम बंगाल की तरह पंजाब में भी कांग्रेस का सफाया हो जाए?
शायद कांग्रेस भाजपा के इस मंसूबे को समझ गई है इसीलिए कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी पर भाजपा से मिलीभगत का आरोप लगा रही है।
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सवाल यह भी उठ रहा है कि पंजाब चुनाव में कांग्रेस के पंजाबियत और दलित कार्ड के दोनों अटैक एक साथ काम करेंगे या फिर दोनों में से कोई एक अटैक काम करेगा? शायद कांग्रेस दलित कार्ड को ज्यादा तवज्जो देगी, क्योंकि दलित कार्ड को कांग्रेस उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड चुनाव में भी भुनाने का प्रयास करेगी। यदि कांग्रेस ऐसा करती है तो भाजपा और आम आदमी पार्टी जो अभी तक पंजाबियत मुद्दे को लेकर परेशान दिखाई दे रही थी उसकी परेशानी कुछ हद तक कम हो जाएगी?
क्योंकि अब तो आम आदमी पार्टी ने मुख्यमंत्री का चेहरा पंजाब के भगवंत सिंह मान को बना दिया है जो लगातार दूसरी बार पंजाब से लोकसभा सांसद भी हैं।
देवेंद्र यादव कोटा स्थित वरिष्ठ पत्रकार हैं।