ब्राह्मण धर्म के जैसे ही लेखन धर्म भी विशुद्ध रूप से धंधा है। धंधा का मतलब व्यापार है। कुछ लोगों के लिए यह रोजगार भी है। और जैसा कि हर धंधे… Read More...
बचपन में यह नाटक पढ़ा था– अंधेर नगरी, चौपट राजा। यह कमाल का नाटक है। कमाल इसलिए कि यह हर समय प्रासंगिक है। आज के दौर में भी जबकि बिहार सहित… Read More...
समाज को देखने-समझने के दो नजरिए हो सकते हैं। फिर चाहे वह दाता और याचक के नजरिए से देखें या फिर श्रमजीवी और परजीवी के नजरिए से। संसाधन रहित… Read More...
भारत के शासकों ने देश के अखबारों के जैसे अपनी परिभाषा बदल ली है। यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे इस देश के पुलिस थाने करते हैं। मतलब यह कि सीमा… Read More...
जीवन को लेकर मेरी एक मान्यता है। यह मान्यता विज्ञान पर आधारित है। मेरी मान्यता है कि ब्रह्मांड में कुछ भी स्वतंत्र नहीं है। इसे दूसरे रूप… Read More...