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समाज की पिछड़ी सोच के चलते लड़कियों को खेल में आगे बढ़ने के लिए बहुत स्ट्रगल करना पड़ता है
बनारस की तमाम सामाजिक-राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय अनिता जूडो की नेशनल लेवल की खिलाड़ी रही हैं। पाँच बहनों में सबसे बड़ी अनिता एक साधारण परिवार...
मां की कविताएं उन किताबों में से गुम होती चली गईं जिन्हें छिपाकर दहेज के साथ ले आई थीं-1
पहला हिस्सा
मैं जब भी यहां, अपने मायके कलकत्ता आती हूं, इस कमरे के बिस्तर के इस किनारे पर जरूर लेटती हूं- जहां मां लेटा...
मेरा प्रयास था कि बदलाव मौलिक हो और ऊपर से थोपा हुआ न हो
जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक और चिंतक विद्या भूषण रावत का जीवन विविध अनुभवों का खज़ाना है। उन्होंने समाज के हाशिये पर रहनेवाले लोगों के...
कृषि बिल वापसी अगर जुमला साबित हुई तो चली जाएगी सरकार
आज सुबह देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संदेश देते हुये तीनों कृषि बिलों की वापसी की घोषणा की लेकिन अपने...
वायरस हमारे पूर्वज हैं, क्योंकि सबका जन्म वायरस से ही हुआ है
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ गोपालनाथ का एक खेतिहर परिवार से निकलकर देश के जाने-माने चिकित्सा-विज्ञानी बनने तक का सफ़र...
कृषि बिल वापसी के पीछे सरकार के निहितार्थ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक साल की हठधर्मिता के बाद अचानक गुरु पूर्णिमा के दिन तीनों कृषि बिल वापस लेने की घोषणा से सबको...
अलोकतांत्रिक नरेंद्र मोदी का ‘मोदीयापा’ (डायरी, 20 नवंबर, 2021)
अहा! कल का दिन बहुत खूबसूरत था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल सुबह नौ बजे देश को संबोधित करते हुए घोषणा की कि वे...
देव दीपावली में दीये जलाने हेतु शिक्षक से चपरासी बने यूपी प्राइमरी स्कूल के अध्यापक
कहा जाता है कि शिक्षक राष्ट्र निर्माता होता है। वह ईश्वर का रूप भी होता है क्योंकि ईश्वर पूरे ब्रह्माण्ड का निर्माता होता है,...
मृत्युंजय के लिए मेरे मन में आजीवन गिल्ट रहा क्योंकि मेरे लिए बच्चे से भी बढ़कर था -2
जी करता है घर छोड़कर भाग जाऊं लेकिन मैंने दो बच्चे पाले हैं। उनका ख्याल आते ही रुक जाता हूँ।’ मैंने पूछा कौन बच्चे? वे दोनों कुत्ते? उन्होंने तुरंत बात काटते हुए कहा – कुत्ते न कहो,उनका नाम चेरी और फेथ है। मृत्युंजय और टफी भी था अब दोनों नहीं हैं। इस बातचीत से मूलचन्दजी के कुत्तों से विशेष प्रेम का पता चलता है। मृत्युंजय …मूलचन्दजी का एक पालतू कुत्ता था, जिसके बारे में बहुत ही मार्मिक लेख उन्होंने उसके मृत्यु के बाद लिखा। कोई भी इंसान अपने पाले हुए जानवर के साथ रहते हुए कैसे उससे जुड़ जाता और उसे परिवार का एक सदस्य जैसा मानने लगते हैं। दो भागों में प्रकाशित इस लेख में मृत्युंजय के जीवन से लेकर मृत्यु तक की कहानी जो एक रूखे दिखने वाले व्यक्ति के मन की अंदरूनी परतों को खोलती है। वैसे बता दूँ कि हर किसी से दो-दो हाथ करने को तत्पर मूलचन्द सोनकर वास्तव में बहुत दोस्तना, सहयोगी और संवेदनशील इंसान थे।
नए दौर का नया सिनेमा
पहले के मुकाबले सिनेमा बहुत बदल गया है। कथ्य, शिल्प और कैमरे की कारीगरी के साथ ही गीत-संगीत को भी नए ढब में ढाल...
जीना इसी का नाम है…..
'भाई साहब, नमस्कार। मैं जयशंकर बोल रहा हूँ और इस समय आपके शहर में हूँ। क्या कल शनिवार दोपहर को आपसे भेंट हो सकेगी?...
मंदी के कारण बंदी के कगार पहुंचते बुनकर
हथकरघे पर आधारित बनारसी साड़ी कारोबार के चौपट होने के बाद बनारस और आसपास की बुनकर बस्तियों में अब पॉवरलूम की खटर-पटर सुनाई पड़ती...
अपनों से लुट जाने के बावजूद जगा रही हैं दूसरों के जीवन में उम्मीद
आज देखिये एक ऐसी स्त्री के जज़्बे की कहानी जिसका विश्वास जीतकर उसके ससुरालवालों ने उसका सबकुछ हड़पकर बेसहारा छोड़ दिया लेकिन उस स्त्री...
शहीद शब्द का खेल (डायरी 9 नवंबर 2021)
शब्द महत्वपूर्ण होते हैं। कई बार सामान तरह की घटनाओं के लिए अलग-अलग शब्द होते हैं। उदाहरण के लिए एक घटना है। मैं इसे...
सभी जाति धर्म की स्त्रियों की तकलीफें एक जैसी हैं- सुगंधि फ्रांसिस (भाग -तीन)
तीसरा और अंतिम हिस्सा
विवेक ने समाज को बदलने का जो बीड़ा उठाया था उसका एक रंग यह भी था कि स्वयं भी झोपड़पट्टी में...
गरीबों-मज़लूमों के लिए जिनका घर कभी बंद नहीं होता (भाग – एक)
हाल ही में देखी एक फिल्म का दृश्य है - एक छोटे से कमरे में दो दोस्त दाखिल होते हैं। घुसते ही एक कह...
वाराणसी के करसड़ा गांव की घटना पहुंची हाईकोर्ट
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने यह भी मांग की है कि पीड़ित 13 परिवारों को तत्काल इनकी जमीन पर बसाये जाने का आदेश पारित करते हुए सभी मूलभूत सुविधाएँ जैसे- आवास, राशन कार्ड, जॉब कार्ड आदि अविलंब बनवाने की भी व्यवस्था किया जाय। उधर समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व दर्जा प्राप्त मंत्री मनोज राय 'धूपचंडी' ने उक्त मामले में लेखपाल नीलम प्रकाश के निलंबित हो जाने के बाद पीएमओ को ट्वीट करके यह मांग रखी है कि तहसीलदार, एसडीएम और डीएम को भी दोषी ठहराते हुए इनके ख़िलाफ़ भी उचित कार्रवाई की जाए।
सात समंदर पार ले जाइके, गठरी में बांध के आशा….
वर्तमान पीढ़ी का एक गंभीर संकट जड़हीनता है। ऐसा इसलिए कि अधिकांश 'राजपत्र' और 'कनेक्टिविटी' से घिरी हुई जीवन शैली का आनंद लेते हैं,...
जोतिबा फुले 19वीं सदी में ज्ञान की आंधी थे
जोतिबा फुले पर लिखते हुए अपने अंदर उल्लास और गर्व महसूस हो रहा है वो इसलिए की भारत को इस विभूति ने अपना सर्वस्व...
मूर्तियों से किसका भला होगा
मूर्तियां लोगों को मूर्ख बनाकर उनके अधिकारों को छीनने का तरीका है जबकि सरकार में उनकी जनसंख्या के हिसाब से उनका प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने...