काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ गोपालनाथ का एक खेतिहर परिवार से निकलकर देश के जाने-माने चिकित्सा-विज्ञानी बनने तक का सफ़र...
जी करता है घर छोड़कर भाग जाऊं लेकिन मैंने दो बच्चे पाले हैं। उनका ख्याल आते ही रुक जाता हूँ।’ मैंने पूछा कौन बच्चे? वे दोनों कुत्ते? उन्होंने तुरंत बात काटते हुए कहा – कुत्ते न कहो,उनका नाम चेरी और फेथ है। मृत्युंजय और टफी भी था अब दोनों नहीं हैं। इस बातचीत से मूलचन्दजी के कुत्तों से विशेष प्रेम का पता चलता है। मृत्युंजय …मूलचन्दजी का एक पालतू कुत्ता था, जिसके बारे में बहुत ही मार्मिक लेख उन्होंने उसके मृत्यु के बाद लिखा। कोई भी इंसान अपने पाले हुए जानवर के साथ रहते हुए कैसे उससे जुड़ जाता और उसे परिवार का एक सदस्य जैसा मानने लगते हैं। दो भागों में प्रकाशित इस लेख में मृत्युंजय के जीवन से लेकर मृत्यु तक की कहानी जो एक रूखे दिखने वाले व्यक्ति के मन की अंदरूनी परतों को खोलती है। वैसे बता दूँ कि हर किसी से दो-दो हाथ करने को तत्पर मूलचन्द सोनकर वास्तव में बहुत दोस्तना, सहयोगी और संवेदनशील इंसान थे।
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने यह भी मांग की है कि पीड़ित 13 परिवारों को तत्काल इनकी जमीन पर बसाये जाने का आदेश पारित करते हुए सभी मूलभूत सुविधाएँ जैसे- आवास, राशन कार्ड, जॉब कार्ड आदि अविलंब बनवाने की भी व्यवस्था किया जाय। उधर समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व दर्जा प्राप्त मंत्री मनोज राय 'धूपचंडी' ने उक्त मामले में लेखपाल नीलम प्रकाश के निलंबित हो जाने के बाद पीएमओ को ट्वीट करके यह मांग रखी है कि तहसीलदार, एसडीएम और डीएम को भी दोषी ठहराते हुए इनके ख़िलाफ़ भी उचित कार्रवाई की जाए।