Sunday, July 7, 2024
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Ground Report

रोज़मर्रा का संघर्ष करता गोंडा का बेहना समाज

बेहना जाति पसमांदा मुसलमानों में गिनी जाती है और पारंपरिक रूप से रुई धुनने का काम करती रही है लेकिन अब कोई भी यह काम नहीं करता। मशीनें आ जाने से उनको काम मिलना धीरे-धीरे बंद होता गया। जाड़ा शुरू होते ही अपनी धुनकी कंधे पर लिए वे दूर-दराज के इलाकों में निकल जाते और बसंत आते-आते अच्छी-ख़ासी कमाई करके वे वापस आते। बाकी के दिनों में मेहनत-मजदूरी के दूसरे काम भी करते। लेकिन बनी-बनाई रजाइयाँ आने और मशीनों की बढ़ती संख्या ने उन्हें खदेड़ दिया।

Lok Sabha Election : क्या राम की सवारी कर बुद्ध की नगरी जीतेंगे मांझी?

बिहार में सालों से राम, रामायण, रावण, सत्यनारायण की पूजा जैसे अलग-अलग जरियों से राष्ट्रवाद की आंच में पकी हिंदुत्व की जिस पॉलिटिक्स को जीतन राम मांझी वैचारिक तौर पर चुनौती दे रहे थे, वो उम्र के 80वें बसंत पर आते-आते फुस्स हो गई। आखिर ऐसा क्यों हुआ कि चुनाव से पहले जीतन राम को अयोध्या के राम मन्दिर में जाना पड़ गया? पढ़ें बिहार से सीटू तिवारी की चुनावी ग्राउंड रिपोर्ट...

वाराणसी : PM मोदी ने जिस गांव को गोद लिया, उस ‘जयापुर’ में एक अदद छत के लिए तरस रहे ग्रामीण

जहां एक तरफ केंद्र की मोदी सरकार पीएम आवास योजना के तहत 3 करोड़ आवास बनाने का दावा ठोंक रही है वहीं प्रधानमंत्री मोदी द्वारा गोद लिए गांव 'जयापुर' में अभी भी कई परिवार झोंपड़पट्टी में रहने को मजबूर हैं।

बलिया में घाघरा ने दो हजार एकड़ खेत निगल लिया, चुप्पा प्रशासन चाहता है कि गाँव डूबें तो हम तीसरी फसल काटें

बलिया जिले में बलिया-सिवान को जोड़ने के लिए घाघरा नदी पर बनने वाले दरौली पुल के कारण बलिया जिले के दर्जनों गाँवों की ज़मीन घाघरा में समाती जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि पुल के निर्माण की जो गाइडलाइन है उसका पालन नहीं किया गया। नदी के ऊपर इसकी अनुमानित लंबाई 1542 मीटर तय थी। इसके अलावा दोनों किनारों को एप्रोच मार्ग से जोड़ा जाना था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अभी तक 1542 मीटर का काम भी अधूरा है।

बड़ी संख्या के बावजूद श्रम अधिकारों का हिस्सा नहीं बन पा रहे गिग वर्कर

वाराणसी। ‘कड़ी धूप, बारिश और कड़ाके की ठंड में सामान पहुँचाने के बावजूद प्राइवेट कम्पनियाँ छोटी-छोटी गलतियों पर हमारा आईडी ब्लॉक कर देती हैं,...

मिट्टी और चाक ने कुम्हारों के जीवन को जहाँ का तहाँ रोक दिया है

वाराणसी। समय के साथ काफी चीजें बदली हैं, लेकिन मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हारों की ज़िंदगी जस की तस है। इनकी आर्थिक स्थित...

वाराणसी : ग्राउंड रिपोर्ट का असर, बंजर होने से बच गई उपजाऊ जमीन

गाँव के लोग पर खबर प्रकाशित होने के बाद प्रभावित किसानों को अपने संघर्ष को आगे बढ़ाने की हिम्मत मिली। उन्होंने न्यायिक व्यवस्था में सरकार के प्रयास पर मजबूती से आपत्ति जताई और परिणाम यह हुआ कि किसानों की जमीन को जबरन अधिग्रहित करने की  इस खबर के असर ने वाराणसी के पूर्वी छोर पर स्थित जाल्हूपुर परगना के चार गाँवों तोफापुर, मिल्कोपुर, कोची और सरइयाँ की जमीन को बंजर होने से बचा लिया है।

वाराणसी के बजरडीहा वॉर्ड में ‘उपेक्षा’ का शिकार हो रहा मुस्लिम समुदाय

वाराणसी। बनारस के बजरडीहा में मुस्लिम आबादी ज्यादा है। यहाँ गलियों की अधिकता होने के नाते समस्याएँ भी काफी हैं। स्मार्ट सिटी का नाम...

कूड़े के ढेर तले सिसकती जिंदगी और समय से पहले कब्रगाह की ओर जाती उम्र

वाराणसी। जिला मुख्यालय से लगभग 8 से 10 किमी दूर धूल-धूसरित सड़कों पर चलकर डेढ़ घंटे की यात्रा के बाद मैं सीधे करसड़ा गाँव...

गंदगी के ढेर पर बजबजाता एक ऐतिहासिक शहर जौनपुर

जौनपुर। गोमती नदी, किला, शाही पुल और अनेक मध्यकालीन स्मारकों को अपने में समेटे जौनपुर की एक पहचान वहाँ की बजबजाती गंदगी भी है।...

वंचना और गरीबी के दुष्चक्र में जी रहे दस्तकार बेलवंशी समाज के लोग

भदोही। भदोही जिला ग्राम मजारपट्टी के निवासी हैं रतन बेलवंशी। वे ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित हैं। उन्होंने अपना इलाज भदोही, जौनपुर और वाराणसी से...

पर्याप्त कर्मचारियों के अभाव में हाँफती भदोही की सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था

भदोही। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र में छिटपुट बारिश और गर्मी के चलते संचारी (संक्रामक) रोगों का प्रकोप तेजी से फैला हुआ है। लोग-बाग...

मीरजापुर- सरकारी विज्ञापन में बेमिसाल पर सच्चाई में बदहाल

मीरजापुर। विकास के तमाम दावों के बीच मीरजापुर की जनता मूलभूत सुविधाओं के लिए आज भी परेशान है। ऊबड़-खाबड़ सड़क, बजबजाती नालियां, जल निकासी...

बाढ़ की विभीषिका से खानाबदोश हो जाती है जिंदगी, थम जाता है गाँव का विकास

मुजफ्फरपुर जिले में बाढ़ से तबाही के आंकड़े को देखें तो साहेबगंज प्रखण्ड में लगभग 10 पंचायत हैं, जो नदी के किनारे आबाद हैं। उसमें हुस्सेपुर रत्ती में लगभग 4000 हजार मवेशियों को बाढ़ आने के बाद काफी परेशानी होती है। इन पंचायतों में एक बड़ी आबादी नदी किनारे जीवन यापन करती है।

आधार कार्ड नहीं होने से वंचित रह जाते हैं सरकारी योजनाओं के लाभ से, बच्चों को नहीं मिलता स्कूल में दाखिला

बिना आधार कार्ड के सरकारी अस्पतालों के ओपीडी जांच और गंभीर स्थिति में भर्ती करने जैसी ज़रुरी प्रक्रिया से इन्कार कर दिया जाता है। देश में ऐसे कई केस सामने आये हैं जब गर्भवती महिला का आधारकार्ड न होने की स्थिति में भर्ती करने से मना कर दिया गया और महिला ने अस्पताल के बाहर खुले में बच्चे को जन्म दिया। आखिर ऐसी आधार(UIDAI ) व्यवस्था किस काम की जो ग़रीब बच्चे को शिक्षा और किसी मरीज को इलाज देने में बाधक बने।

जाने कब से जमीन तलाश रही है बांस की खपच्चियों में उलझी हुई ज़िंदगी

यही झोंपड़ा उसका घर है, पर इसे घर भी भला कैसे कहा जा सकता है? बस पन्नियों का एक पर्दा भर है, इंसानों से भी और आसमान से भी। पन्नियों को ही पर्दे सा घेर लिया गया है और फिलहाल यही इनका घर है।

ठीक नहीं है पहाड़ों के पर्यावरण की उपेक्षा

कपकोट (उत्तराखंड)। समय पूर्व तैयारियों ने हमें चक्रवाती तूफ़ान बिपरजॉय से होने वाले नुकसान से तो बचा लिया लेकिन यह अपने पीछे कई सवाल...

कुप्रथा डायन की सूली पर एक और औरत का क़त्ल, क्रूरता ऐसी की ऑंखें भी निकाल ली

बिहार। अरवल में कुछ दबंगों द्वारा एक दलित महिला को पहले लाठी-डंडे से पीटा गया। दबंगों का मन मारने पीटने से नहीं भरा तब...

बिन बिजली सब सून, छोटे उद्यमी और किसान ‘कटौती’ से परेशान

प्रयागराज। प्रदेश में बिजली की अघोषित कटौती चल रही है। नहरें सूखी पड़ी हैं। डीजल 90 रुपये लीटर बिक रहा है। बिजाई (नर्सरी) डालने...

कैनवास पर जीवन के रंग बिखेरती दलित किशोरियां

बात जब बिहार में चित्रकला की आती है, तो मिथिला चित्रकला शैली के भित्ति चित्र व अरिपन का नाम जरूर आता है। मिथिला या...

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