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पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़
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Nawal kishor kumar
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Nawal kishor kumar
विचार
जगदेव प्रसाद की हत्या से जुड़ा एक दस्तावेज, जिसे गायब कर दिया गया डायरी (5 सितम्बर,2021)
गाँव के लोग
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September 5, 2021
कल फिर एक तथाकथित महान पुरूष ने मीडिया और जाति का सवाल छेड़ दिया। खुद को दलित वैचारिकी का स्तंभ माननेवाले इस महान पुरूष...
विचार
नाम, समाज और महिलाओं के सवाल(डायरी 4 सितम्बर,2021)
गाँव के लोग
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September 4, 2021
बचपन से ही नामों को लेकर बड़ा कंफ्यूजन रहा है। मेरे जेहन में अक्सर यह बात रहती रही है कि नामों का निर्धारण कैसे...
विचार
भावनाएं केवल ताकतवालों की आहत होती हैं जज साहब! डायरी (3 सितंबर, 2021)
गाँव के लोग
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September 3, 2021
कल का दिन बेहद खास रहा। खास कहने के पीछे कोई व्यक्तिगत कारण नहीं है। वैसे भी जब आदमी तन्हा हो तो व्यक्तिगत कारणों...
विचार
यह महज अफगानिस्तान का मसला नहीं है, डायरी (1 सितंबर, 2021)
गाँव के लोग
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September 1, 2021
मुझे सपनों को दर्ज करने की आदत रही है। वैसे तो रात में अनेक सपने आते हैं (कभी कभी नहीं भी आते हैं)। अधिकांश...
विचार
विकलांगों के प्रति नजरिया बदलने की जरूरत डायरी (31 अगस्त, 2021)
गाँव के लोग
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August 31, 2021
करीब 19 वर्ष की अवनि लेखरा ने एयर राइफल प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता है। वर्ष 2015 में एक सड़क दुर्घटना में उनकी रीढ़ की हड्डी क्षतिग्रस्त हो गयी थी और वे व्हील चेयर के आसरे रहने को मजबूर हो गयीं। परंतु अवनि ने अपने सपनों को जिंदा रखा।
विचार
शब्द, सत्ता, सरोकार और राजेंद्र यादव डायरी (30 अगस्त, 2021)
गाँव के लोग
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August 30, 2021
शब्द और सत्ता के बीच प्रत्यक्ष संबंध होता है। यह मेरी अवधारणा है। शब्द होते भी दो तरह के हैं। एक वे शब्द जो...
विचार
जो बाजी ओहि बाची डायरी (28 अगस्त, 2021)
गाँव के लोग
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August 28, 2021
कोई भी बदलाव एकवचन में नहीं होता। जब कुछ बदलता है तो उसके साथ बहुत कुछ बदल जाते हैं। ऐसा कभी नहीं होता कि...
विचार
गंदे नालों में होनेवाली मौतें इतिहास का हिस्सा नहीं डायरी (27 अगस्त, 2021)
गाँव के लोग
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August 27, 2021
देश में सरकारों का स्वरूप बदल रहा है। स्वरूप बदलने का मतलब यह कि अब इस देश में सरकारें लोककल्याण को तिलांजलि देने लगी...
विचार
दलित लेखकों-विचारकों की वैचारिक दरिद्रता डायरी (26 अगस्त, 2021)
गाँव के लोग
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August 26, 2021
बचपन वाकई अलहदा था। अहसास ही नहीं होता था कि इंसान-इंसान के बीच कोई भेद होता है। भेद के नाम पर केवल इतना ही...
विचार
‘पाक्सो’ का ‘पास्को’ बन जाना डायरी (25 अगस्त, 2021)
गाँव के लोग
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August 25, 2021
भाषा की परिभाषा क्या है अथवा क्या होनी चाहिए!? यह सवाल लंबे समय से जेहन में है। हालांकि भाषा की अनेक परिभाषाएं देखने और...
विचार
सभ्य होने की पहली शर्त डायरी (20 अगस्त, 2021)
गाँव के लोग
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August 20, 2021
बात बहुत पुरानी है। शायद उस वक्त की जब मैं पहली बार दिल्ली आया था। वर्ष था 2002। इरादा दिल्ली में कमाना और पढ़ना...
विचार
ब्राह्मणवाद पर अदालती प्रहार डायरी (19 अगस्त, 2021)
गाँव के लोग
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August 19, 2021
परिस्थितियां एक जैसी कभी नहीं रहतीं। बदलती रहती हैं। यह मनुष्य पर निर्भर करता है कि वह बदल रही परिस्थितियों के अनुरूप खुद को...
विचार
दुनिया में बेनजीर अफगानिस्तान की ये पांच-छह महिलाएं डायरी (18 अगस्त, 2021)
गाँव के लोग
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August 18, 2021
मैं बेहद रोमांचित हूं और एक हद तक खुश भी। मुझे ये अहसास बहुत कम ही मिलते हैं। कई बार तो लंबे समय तक...
विचार
बात, जो पूंजीवाद और नवउदारवाद के विमर्श के परे भी है डायरी (17 अगस्त, 2021)
गाँव के लोग
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August 17, 2021
पूंजीवाद मेरे जीवन में पहली बार तब आया जब मैं पत्रकार बना ही था। पटना से प्रकाशित दैनिक आज में मुझे जो बीट दिया...
विचार
दलित-बहुजनों के साथ जातिगत भेदभाव के लिए राष्ट्रीय शर्म दिवस की घोषणा कब? डायरी (15 अगस्त, 2021)
गाँव के लोग
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August 15, 2021
साहित्य और साजिश! क्या यह संभव है कि साहित्य का सृजन साजिश के तहत किया जा सकता है? यह सवाल मेरी जेहन में अनायास...
विचार
ओम बिरला, वेंकयानायडू और हरिवंश की रीढ़ डायरी (13 अगस्त, 2021)
गाँव के लोग
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August 13, 2021
भारत में लोकतंत्र बड़ी तेजी से पतन की ओर अग्रसर है। जिस तरह से भारत में सत्तासीन नरेंद्र मोदी सरकार लोकतांत्रिम परंपराओं का अवमूल्यन...
विचार
विमल, कंवल और उर्मिलेश (तीसरा भाग) डायरी (12 अगस्त, 2021)
गाँव के लोग
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August 12, 2021
संस्कृतियां आसमानी नहीं होतीं। संस्कृतियों का निर्माण किया जाता है। और फिर ऐसा भी नहीं कि संस्कृति का निर्माण कोई एक दिन में हो...
विचार
विमल, कंवल और उर्मिलेश डायरी (11 अगस्त, 2021) (दूसरा भाग)
गाँव के लोग
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August 11, 2021
कल का दिन एक खास वजह से महत्वपूर्ण रहा। लोकसभा में केंद्र सरकार द्वारा लाया गया अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित 127वां संविधान...
विचार
विमल, कंवल और उर्मिलेश (पहला भाग) डायरी (10 अगस्त, 2021)
गाँव के लोग
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August 10, 2021
साहित्य और समाज के बीच अंतर्संबंध रहा है। दोनों को हवा-पानी-मिट्टी सब प्रभावित करते हैं। वैसे भी जिस समाज और जिस साहित्य पर हवा-पानी-मिट्टी...
विचार
‘शाश्वत सत्य’ और राज्य डायरी (9 अगस्त, 2021)
गाँव के लोग
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August 9, 2021
भारतीय सामाजिक व्यवस्था का केंद्रीय चरित्र पूंजीवादी है और यह कोई नयी बात नहीं है। चार वर्णों की व्यवस्था इसलिए ही बनायी गयी है।...
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नेताजी सुभाष चंद्र बोस से तत्कालीन आरएसएस प्रमुख बीमारी का बहाना बनाकर क्यों नहीं मिले
January 23, 2025
चुनार पॉटरी उद्योग : कभी चमचमाता कारोबार अब एक भट्ठी की आस लिए बरबादी के कगार पर
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आजमगढ़ पूर्वांचल एक्सप्रेस वे : सरकारी पट्टा प्राप्त भूमिहीनों को ज़मीन के बदले नहीं दिया गया मुआवज़ा
January 22, 2025