Thursday, March 28, 2024
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Nawal kishor kumar

जगदेव प्रसाद की हत्या से जुड़ा एक दस्तावेज, जिसे गायब कर दिया गया डायरी (5 सितम्बर,2021)

कल फिर एक तथाकथित महान पुरूष ने मीडिया और जाति का सवाल छेड़ दिया। खुद को दलित वैचारिकी का स्तंभ माननेवाले इस महान पुरूष...

नाम, समाज और महिलाओं के सवाल(डायरी 4 सितम्बर,2021)

बचपन से ही नामों को लेकर बड़ा कंफ्यूजन रहा है। मेरे जेहन में अक्सर यह बात रहती रही है कि नामों का निर्धारण कैसे...

भावनाएं केवल ताकतवालों की आहत होती हैं जज साहब! डायरी (3 सितंबर, 2021)

कल का दिन बेहद खास रहा। खास कहने के पीछे कोई व्यक्तिगत कारण नहीं है। वैसे भी जब आदमी तन्हा हो तो व्यक्तिगत कारणों...

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज साहब, मेरी भैंसों ने आपका क्या बिगाड़ा है? डायरी (2 सितंबर, 2021)

आप इलाहाबाद हाईकोर्ट के सम्मानित जज हैं। आपका नाम शेखर कुमार यादव है। संयोग ही कहिए कि मेरी जाति भी वही है जो आपकी...

यह महज अफगानिस्तान का मसला नहीं है, डायरी (1 सितंबर, 2021)

मुझे सपनों को दर्ज करने की आदत रही है। वैसे तो रात में अनेक सपने आते हैं (कभी कभी नहीं भी आते हैं)। अधिकांश...

विकलांगों के प्रति नजरिया बदलने की जरूरत डायरी (31 अगस्त, 2021)

करीब 19 वर्ष की अवनि लेखरा ने एयर राइफल प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता है। वर्ष 2015 में एक सड़क दुर्घटना में उनकी रीढ़ की हड्डी क्षतिग्रस्त हो गयी थी और वे व्हील चेयर के आसरे रहने को मजबूर हो गयीं। परंतु अवनि ने अपने सपनों को जिंदा रखा।

शब्द, सत्ता, सरोकार और राजेंद्र यादव डायरी (30 अगस्त, 2021)

शब्द और सत्ता के बीच प्रत्यक्ष संबंध होता है। यह मेरी अवधारणा है। शब्द होते भी दो तरह के हैं। एक वे शब्द जो...

जो बाजी ओहि बाची डायरी (28 अगस्त, 2021) 

कोई भी बदलाव एकवचन में नहीं होता। जब कुछ बदलता है तो उसके साथ बहुत कुछ बदल जाते हैं। ऐसा कभी नहीं होता कि...

गंदे नालों में होनेवाली मौतें इतिहास का हिस्सा नहीं डायरी (27 अगस्त, 2021)

देश में सरकारों का स्वरूप बदल रहा है। स्वरूप बदलने का मतलब यह कि अब इस देश में सरकारें लोककल्याण को तिलांजलि देने लगी...

दलित लेखकों-विचारकों की वैचारिक दरिद्रता डायरी (26 अगस्त, 2021) 

बचपन वाकई अलहदा था। अहसास ही नहीं होता था कि इंसान-इंसान के बीच कोई भेद होता है। भेद के नाम पर केवल इतना ही...

‘पाक्सो’ का ‘पास्को’ बन जाना डायरी (25 अगस्त, 2021)

भाषा की परिभाषा क्या है अथवा क्या होनी चाहिए!? यह सवाल लंबे समय से जेहन में है। हालांकि भाषा की अनेक परिभाषाएं देखने और...

सभ्य होने की पहली शर्त डायरी (20 अगस्त, 2021)

बात बहुत पुरानी है। शायद उस वक्त की जब मैं पहली बार दिल्ली आया था। वर्ष था 2002। इरादा दिल्ली में कमाना और पढ़ना...

ब्राह्मणवाद पर अदालती प्रहार डायरी (19 अगस्त, 2021)

परिस्थितियां एक जैसी कभी नहीं रहतीं। बदलती रहती हैं। यह मनुष्य पर निर्भर करता है कि वह बदल रही परिस्थितियों के अनुरूप खुद को...

दुनिया में बेनजीर अफगानिस्तान की ये पांच-छह महिलाएं डायरी (18 अगस्त, 2021)

 मैं बेहद रोमांचित हूं और एक हद तक खुश भी। मुझे ये अहसास बहुत कम ही मिलते हैं। कई बार तो लंबे समय तक...

बात, जो पूंजीवाद और नवउदारवाद के विमर्श के परे भी है डायरी (17 अगस्त, 2021)

पूंजीवाद मेरे जीवन में पहली बार तब आया जब मैं पत्रकार बना ही था। पटना से प्रकाशित दैनिक आज में मुझे जो बीट दिया...

दलित-बहुजनों के साथ जातिगत भेदभाव के लिए राष्ट्रीय शर्म दिवस की घोषणा कब? डायरी (15 अगस्त, 2021) 

साहित्य और साजिश! क्या यह संभव है कि साहित्य का सृजन साजिश के तहत किया जा सकता है? यह सवाल मेरी जेहन में अनायास...

ओम बिरला, वेंकयानायडू और हरिवंश की रीढ़  डायरी (13 अगस्त, 2021)

भारत में लोकतंत्र बड़ी तेजी से पतन की ओर अग्रसर है। जिस तरह से भारत में सत्तासीन नरेंद्र मोदी सरकार लोकतांत्रिम परंपराओं का अवमूल्यन...

 विमल, कंवल और उर्मिलेश (तीसरा भाग) डायरी (12 अगस्त, 2021) 

संस्कृतियां आसमानी नहीं होतीं। संस्कृतियों का निर्माण किया जाता है। और फिर ऐसा भी नहीं कि संस्कृति का निर्माण कोई एक दिन में हो...

विमल, कंवल और उर्मिलेश डायरी (11 अगस्त, 2021) (दूसरा भाग)

कल का दिन एक खास वजह से महत्वपूर्ण रहा। लोकसभा में केंद्र सरकार द्वारा लाया गया अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित 127वां संविधान...

 विमल, कंवल और उर्मिलेश (पहला भाग) डायरी (10 अगस्त, 2021) 

साहित्य और समाज के बीच अंतर्संबंध रहा है। दोनों को हवा-पानी-मिट्टी सब प्रभावित करते हैं। वैसे भी जिस समाज और जिस साहित्य पर हवा-पानी-मिट्टी...

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