Wednesday, September 17, 2025
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पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

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Varanasi

पीढ़ियों से चली आ रही पितृसत्तात्मक सोच को बदलना पड़ेगा

घरेलू महिला उत्पीड़न व लैंगिक भेदभाव के मुद्दों पर जागरुकता एवं संवेदनशीलता प्रसार हेतु बसंता महिला महाविद्यालय, राजघाट की छात्राओं के बीच दख़ल संगठन और...

मेहनत और कारीगरी का काम करने वालों को कभी इज्जत नहीं मिली

नन्दा भैया बनारस के एक मोची हैं। पहले वह बनारसी साड़ी की बुनाई करते थे लेकिन अब कई वर्षों से मोची का काम कर रहे हैं। वह कहते हैं कि हमारा समाज उंच-नीच की भावना से इतना ग्रस्त है कि वह मेहनत करनेवालों को कभी भी इज्जत नहीं देता।

संविधान आधारित सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन किया गया

संविधान दिवस के अवसर पर हो रहे विभिन्न कार्यक्रमों के बीच सामाजिक संस्था आशा ट्रस्ट ने एक अलग तरीके के अभियान की शुरुआत की...

 लिंग आधारित हिंसा को ख़त्म कर के ही देश का विकास संभव है

दिनांक 25 नवम्बर को 16 दिवसीय महिला हिंसा विरोधी पखवाड़े की शुरुआत 25 नवम्बर को भारतीय शिक्षा निकेतन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, मुबारकपुर, बेनीपुर वाराणसी...

पीड़ित का एफआईआर नहीं दर्ज़ करके उत्पीड़क के घर बाटी-चोखा खाती है रामराज्य की पुलिस

किसी भी समाज में पुलिस की भूमिका रक्षक की ही होती है लेकिन इधर बुलडोजरवादी सरकार में पुलिस ने न केवल उत्पीड़ितों का मुकदमा...

बुनकरी के काम में महिलाओं को न्यूनतम मजदूरी भी नहीं मिल पाती

बुनकर को जो मजदूरी मिलती है उसी में घर की स्त्री की मेहनत का मूल्य भी होता है लेकिन वह उसे कभी अलग से नहीं मिलता। अमूर्त रूप से उसका मूल्य उसके भोजन में मिला होता है। अगर बुनकर के जीवन में परिश्रम और गरीबी को देखें तो यह निस्संदेह सहानुभूति पैदा करने वाला काम है जो अर्थव्यवस्था के नकारात्मक विस्तार के कारण दयनीयता और लाचारी के चरम पर है लेकिन स्त्री इस हालत में भी पुरुषसत्ता का शिकार है।

क्या आपको पियाला के मेले की याद है?

क्या आपको याद है कि पियाला का मेला भी कभी एक जलवेदार मेला होता था? यह प्रश्न जब मैंने अपने एक सहकर्मी से किया...

मौलिक समस्याओं के बजाय गैरजरूरी बहसों में उलझने से बचना होगा

शांति सद्भाव यात्रा का सेवापुरी विकास खंड के गाँवों में हुआ शानदार स्वागत सद्भावना के रास्ते शांति के वास्ते आयोजित 9 दिवसीय शांति सद्भावना यात्रा...

‘राजनीति में प्रतिरोध का धर्म’ के बहाने समाजवादी सोमनाथ त्रिपाठी को याद किया गया

आज दिनांक 09 अक्टूबर 2022 को नदेसर स्थित विश्व ज्योति जनसंचार केंद्र स्थित साझा संस्कृति मंच कार्यालय में सम्पूर्णानन्द संस्कृत विवि के प्रोफेसर प्रख्यात...

भविष्य के अंदेशों के बीच बम्बइया मिठाई

सामान्य शहर में रहने वाले व्यक्ति का मुंबई जाकर सरवाइव करना मुश्किल होता है। एक तो वहाँ की भागती-दौड़ती ज़िंदगी, लोकल ट्रेन का सफर और बेतहाशा भीड़, जहां स्वयं को देख पाने की याद और फुरसत दोनों नहीं मिलती। ऐसे में घर से गया अकेला आदमी अक्सर घबरा जाता है और जल्द ही वापस अपने घर आने की सोचता है।

पानी उतरने के बाद कूड़ा-कचरा, गंदगी, बदबू और मच्छरों ने किया जीना मुहाल

इलाहाबाद शहर के मोहल्लों और कछार के गंगा, यमुना, टोस नदी के तट पर गाँवों में भरा बाढ़ का पानी धीरे-धीरे उतर गया है।...

लोग भी चाहते हैं कि वरुणा फिर से लहलहाती हुई बहती रहे

24 जुलाई रविवार को गांव के लोग सोशल एंड एजुकेशनल ट्रस्ट द्वारा नदी एवं पर्यावरण संचेतना यात्रा का सातवां आयोजन हुआ। इस आयोजन के प्रथम चरण में गांव के लोग टीम द्वारा करोमा से रामेश्वर घाट तक की पैदल नदी यात्रा निर्धारित की गई थी। दूसरे चरण में करोमा गाँव के निवासियों के साथ एक संगोष्ठी हुई जिसमें नदी के महत्व और उसकी सफाई को लेकर दोनों किनारे के लोगों की भागीदारी पर चर्चा हुई। यात्रा के एक सहभागी दीपक शर्मा की रिपोर्ट।

छोटी-छोटी नदियां विलुप्त होने की कगार पर हैं

नदी एवं पर्यावरण संचेतना के लिए छठवीं नदी यात्रा अपनी प्रकृति और पर्यावरण की कविताओं के लिए प्रसिद्ध युवा कवि राकेश कबीर अपनी एक कविता...

नदी से परिचय बढ़ाने की तीसरी यात्रा

बातचीत में माओ नाम के एक व्यक्ति ने अपने स्मृतियों को विस्तार से साझा किया। उन्होंने कहा कि नदी हम लोगों के लिए प्राणदायिनी थी। इसके बिना हमारे जीवन का कोई अस्तित्व न था। आज से 25 बरस पहले हम लोग न सिर्फ इसमें नहाते थे बल्कि कहीं से थके-हारे हुए आते थे तो इसमें का पानी भी पी लेते थे। हमारे दादा-परदादा का जीवन-बसर नदी के सहारे हुआ। किंतु आज यह पानी जानवर भी नहीं पीते, नदी के ऐसी हालत देखकर हम लोग बहुत दुखी हैं।

हमें पानी की एक-एक बूँद की कीमत का अहसास है लेकिन प्रकृति के कोप से सबक नहीं लेते

नदी में सीवर और ड्रेनेज खुलेआम बहते देखा जा सकता है। लोहता, कोटवा क्षेत्र से मल और घातक रसायन सीधे नदी में बहाये जा रहे हैं। नदी यात्रा के दौरान ही लगभग छह नाले सीधे नदी में गिर रहे थे। वही शहरी क्षेत्र में लगभग 137 नाले प्रत्यक्षत: वरुणा में मल और गंदगी गिराते देखे जा सकते है।

आराधना स्थल : शांति और मेलमिलाप की दरकार

ज्ञानवापी मस्जिद में पूजा करने के अधिकार की मांग करते हुए पांच महिलाओं द्वारा अदालत में प्रकरण दायर करने के बाद से पूरे देश...

ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण के इस पहलू पर भी विचार करिए (डायरी 17 मई, 2022) 

 मैं कोई अपवाद नहीं हूं जिसके जेहन में यह बात चल रही है कि कल बनारस के ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण में जो कुछ हुआ,...

माननीय न्यायाधीश महोदय को डर (डायरी 14 मई, 2022) 

डर सभी को लगता है। यह एक ऐसी बात है, जिसके लिए किसी की आलोचना नहीं की जानी चाहिए। लेकिन इस पर विचार जरूर...

साधु-संत हिन्दुओं का सबसे बड़ा बहुजन विरोधी तबका !

 यदि कोई अपने विवेक को ठीक से सक्रिय रखते हुए यह जानने का प्रयास करे कि हिदुओं का सबसे बड़ा बहुजन विरोधी तबका कौन...

ललई सिंह यादव को याद करने की वजहें

https://www.youtube.com/watch?v=rP0pWT21TSs   ललई सिंह यादव को याद करने की वजहें जयप्रकाश कर्दम डॉ. सिद्धार्थ रामू रामजी यादव

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