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कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण खत्म करने का भाजपा का नया खेल
इस समय पूरे देश की निगाहें कनार्टक विधानसभा चुनाव प्रचार पर लगी हैं, जहाँ 10 मई को 224 सीटों के लिए वोट पड़ने हैं।वोटों...
जुगनुओं का साथ लेकर रात रोशन कीजिये…
15 अप्रैल की रात करीब साढ़े दस बजे जिसे इन दिनों प्रयागराज कहा जाता है, उस इलाहाबाद में तड़-तड़ चली गोलियों की गूँज सहज...
‘एक देश-एक चुनाव’ का प्रस्ताव लोकतंत्र की हत्या तो नहीं?
बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री तरुण चुघ ने लिखा है कि 'भारत में हर साल कोई न कोई चुनावी प्रक्रिया चलती रहती है। विभिन्न राज्यों...
एकात्म मानववाद से एकात्म महामानववाद तक भाजपा
जंगल सफारी में फोटो और उनके लिए बनाई गयी मुद्राओं पर चुटकी लेने वाले, स्थापना दिवस के समारोह में अपने अध्यक्ष के भाषण में भी बिना पलक झपकाए लगातार कैमरे में बने रहने के लिए उनका मखौल बनाने वाले भूल जाते हैं कि यह सिर्फ आत्ममुग्धता की पराकाष्ठा बताया जाने वाला, सभ्य समाज में नार्सिसिज्म के रूप में परिभाषित किये जाने वाला मनोरोग नहीं है। यह एक बड़े, बहुत बड़े देश के सबसे प्रमुख पद पर बैठे व्यक्ति का सोच-समझ कर किया जाना वाला आचरण है।
सबसे आसान पॉलिटिकल टास्क है भाजपा को शिकस्त देना!
मंडल के बाद वर्ग शत्रु बहुजनों को शेष करने के मकसद से मोदी राज में जो बहुजन विरोधी नीतियां ग्रहण की गईं, उसके फलस्वरूप आज अंतर्राष्ट्रीय जगत में भी भारत की स्थिति निहायत ही शर्मनाक हो गयी है। विश्व असमानता रिपोर्ट, ऑक्सफाम रिपोर्ट, ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट और हंगर ग्लोबल इंडेक्स, वर्ल्ड पावर्टी क्लॉक इत्यादि से पता चलता है कि भारत के नीचे की 50-60 प्रतिशत आबादी महज 5-6 प्रतिशत नेशनल वेल्थ पर जीवन निर्वाह करने के लिए अभिशप्त है, जबकि देश की आधी आबादी अर्थात 65 करोड़ महिलाओं को आर्थिक रूप से पुरुषों के बराबर आने में 257 साल लगेंगे।
वह भीड़ जो जलूस नहीं बन पाई, इनको कोसें नहीं, इनसे बात करे!
सीहोर के पास कथावाचक प्रदीप मिश्रा के कुबेरेश्वर धाम में इकट्ठा हुए 10 लाख लोगों ने जो पीड़ा, यंत्रणा और त्रासदी झेली उसकी खबर...
उत्तर-पूर्व में भाजपा के ‘विजय रथ’ में ‘जीत’ के पांव कहां हैं!
त्रिपुरा में वामपंथविरोधी हिंसा का सिलसिला तो 2018 के चुनाव में जीत के बाद ही शुरू हो गया था। भाजपा के राज के पांच साल में राज्य में एक भी चुनाव स्वतंत्र व निष्पक्ष तरीके से नहीं होने दिया गया था। इसी के चलते, आम लोगों के बीच इसकी भारी आशंकाएं थीं कि क्या इस बार उन्हें मर्जी से अपना वोट डालने दिया जाएगा? इन्हीं आशंकाओं के दबाव में, चुनाव आयोग के कुछ कदमों से किसी हद तक लोगों का विश्वास जमा और धीरे-धीरे लोग वोट करने के लिए बाहर भी निकले।
कांग्रेस के इतिहास में पहली बार सोशल जस्टिस का पिटारा
तृणमूल 2024 का लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेगी और उनकी पार्टी किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगी। कहने की जरूरत नहीं कि एक बच्चा भी बता देगा कि 2 मार्च को आये तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणामों ने मोदी को इतना ताकतवर बना दिया है कि उनके खिलाफ लगातार ताल ठोकने वाली ममता सरेंडर की मुद्रा में आ गयी हैं और उनके रास्ते का अनुसरण अन्य कई आग मार्का विपक्षी नेता भी कर सकते हैं,यह सोचकर ही 2024 में मोदी-मुक्त भारत का सपना देखने वाले सदमे में आ गए हैं।
56 यादव एसडीएम की सूची पेश कर देंगे तो मुख्यमंत्री आवास पर स्वीपर का काम करूँगा
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग भर्ती परीक्षा-2011 के तहत 14 अगस्त, 2013 को उत्तर प्रदेश संयुक्त राज्य/ अधीनस्थ सेवा (मुख्य) परीक्षा-2011 का परिणाम घोषित किया गया। जिसके तहत कुल 389 पदों में सिर्फ 30 पद एसडीएम व 26 पद पीपीएस/ डीएसपी के थे।उन्होंने कहा कि एसडीएम पद के 86 स्थान ही विज्ञापित नहीं थे तो 86 में 56 यादव एसडीएम कहाँ से हो गए? उन्होंने कहा कि 1951 से 2017 तक कभी एसडीएम के 86 पदों की भर्ती ही नहीं हुई तो 86 में 56 यादव कैसे? उन्होंने कहा कि यदि मुख्यमंत्री 86 में 56 यादव एसडीएम की सूची सार्वजनिक कर देंगे तो हम 5 कालिदास मार्ग स्थित मुख्यमंत्री आवास पर स्वीपर का काम करूँगा।
वैलेंटाइन डे मनाएं या न मनाएं
भारतीय संस्कृति विविधवर्णी एवं बहुवादी है और धर्मों व भौगोलिक सीमाओं से ऊपर उठकर विविधता को मान्यता और स्वीकार्यता देकर स्वयं को समृद्ध करती...
ईसाइयों पर हमला संस्कृति की रक्षा नहीं संघी षड्यन्त्र है
बड़ी भूरी आंखों वाली वह महिला कमजोर-सी लग रही है। अपनी बाहों पर चोटों को छुपाने के लिए उसने एक शॉल लपेट रखा है।...
रौद्र और कोमल की जुगलबंदी की जुगत के पीछे क्या है?
संगीत, भारतीय शास्त्रीय संगीत में स्वर और रागों का एक ख़ास विधान है। स्वर की नियमित आवाज को उसकी निर्धारित तीव्रता से नीचा उतारने...
आखिर कब तक बुनकर सामान्य नागरिक सुविधाओं से वंचित किए जाते रहेंगे?
बजरडीहा बनारस का एक बड़ा मुहल्ला है, जहाँ बुनकरों की बड़ी आबादी बसती है लेकिन जितना बड़ा यह मुहल्ला है उतनी ही बड़ी इसकी...
सांप्रदायिकता और तानाशाही का जहरीला कॉकटेल है भागवत का साक्षात्कार
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने आरएसएस प्रकाशन के के संपादकों को दिए एक साक्षात्कार में कई सवालों का जवाब दिया है। भागवत की टिप्पणियों...
चुनावी मौसम में कैसे बना रहे सद्भाव
जैसे-जैसे कर्नाटक विधानसभा चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं वैसे-वैसे लोगों को बांटने वाले वक्तव्यों और भाषणों की संख्या भी बढ़ रही है। भोपाल...
आजमगढ़ : पूर्वांचल में विस्थापन के प्रतिरोध की नई कहानी है खिरिया बाग़
अपर्णा -
गाँव उजाड़े जाने पर चालीस हज़ार की आबादी किस घाट लगेगी इसका कोई खाका अब तक नहीं बना है क्योंकि इसमें सरकार और प्रशासन डंडे के बल पर अब निपटा लेना चाहते हैं। जबकि जनता चाहती है कि बातें आमने-सामने और संविधान के दायरे में हो। इस आन्दोलन ने प्रभावित होने वाली जनता को न केवल जागरूक बनाया है बल्कि प्रशिक्षित भी किया है।
मैं नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोलने के लिए निकला हूं
सोमवार यानी 19 दिसंबर को राजस्थान के अलवर में एक विशाल जनसभा को संबोधित करने के लिए जब राहुल गांधी मंच पर आए, तब...
गुजरात चुनाव में भाजपा की जीत में ध्रुवीकरण की भूमिका
हाल में गुजरात एवं हिमाचल प्रदेश विधानसभा एवं दिल्ली नगर निगम के चुनावों के परिणाम घोषित हुए। जहां गुजरात में भाजपा ने शानदार जीत...
अनुसूचित जनजातियां आदिवासी हैं या वनवासी?
आदिवासी इलाके देश के सबसे गरीब क्षेत्रों में शामिल हैं और पिछले दो दशकों में वहां आदिवासियों के विरुद्ध हिंसा में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। आंकड़ों से पता चलता है कि यह हिंसा बड़े पैमाने पर नहीं हो रही है परंतु यह लगातार जारी है
भाजपा के ‘पसमांदा’ पहल की मंशा और इरादा क्या है
हिंदुत्व को केंद्र में रखकर राजनीति करने वाली भारतीय जनता पार्टी अब पसमांदा मुसलमानों को अपने साथ जोड़ना चाहती है। भाजपा की छवि हमेशा...

