Sunday, September 8, 2024
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पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

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क्या मायने हो सकते हैं मायावती की असंभव शर्त के

भतीजे आनंद का रुतबा उत्तर प्रदेश की राजनीति में तभी बढ़ सकता है जब विपक्ष के सबसे मजबूत नेता का तमगा अखिलेश यादव से छिन जाये और चंद्रशेखर रावण जैसे युवा दलित स्वर कमजोर हो जाएँ। कहावत है कि कबूतर की कलाबाजी उसी आसमान में होती है जिसमें बाज के झपट्टा मारने का डर नहीं होता है।

नहीं रुक रहा है किशोरियों के साथ भेदभाव, आज भी समझा जाता है बोझ

भारत में हर बच्चे का अधिकार है कि उसे, उसकी क्षमता के विकास का पूरा मौका मिले। लेकिन आज़ादी के सात दशक बाद भी...

सिनेमा में भारत-पकिस्तान विभाजन की त्रासदी

भारत-पाकिस्तान विभाजन को कई बार और कई-कई तरह से हिन्दी सिनेमा के साथ पाकिस्तानी सिनेमा ने भी पर्दे पर उतारा है।  इतिहास यात्रा की इस परिघटना ने हिन्दी सिनेमा को कुछ महत्वपूर्ण फिल्में दी हैं। जिनमें विस्थापन की व्यथा-कथा बहुत ही मार्मिक तरीके से दर्ज है।

सत्ता पक्ष ही संभाल रहा है संसद को ठप्प करने का जिम्मा

सुप्रीम कोर्ट के मानहानि के मामले में सजा पर रोक लगाने के बाद, राहुल गांधी की लोकसभा में वापसी के लिए, अविश्वास प्रस्ताव पर...

सरकार पर हमलावर हुए राहुल गांधी, कहा- आप भारत माता के हत्यारे हो

मैं आपका धन्यवाद करना चाहता हूं कि आपने मेरी सांसदी बहाल की। पिछली बार जब मैं बोला तो थोड़ा कष्ट भी पहुंचाया। इतनी जोर से अडाणीजी पर फोकस किया कि जो आपके सीनियर नेता हैं, उन्हें थोड़ा कष्ट हुआ। जो कष्ट हुआ, उसका असर आप पर भी हुआ। इसके लिए मैं माफी मांगता हूं। मैंने सिर्फ सच्चाई रखी थी।

बेसिक आय के माध्यम से भ्रष्टाचार से निपटा जा सकता है?

इस बात की गंभीर चिंता है कि बेसिक आय श्रम बाजारों को विकृत कर देगा, क्योंकि श्रमिकों को नियमित रूप से प्राप्त होने वाली आसान आय, उन्हें काम करने से हतोत्साहित करेगी। इस नकद हस्तांतरण से श्रम आपूर्ति की मात्रा में कमी आएगी, क्योंकि श्रमिक घरेलू आय को प्रभावित किए बिना अपनी नौकरी छोड़ने का विकल्प चुन सकते हैं।

इंडिया बनाम भारत या इंडिया जो भारत है?

पिछले नौ सालों से भाजपा हमारे देश पर शासन कर रही है। विपक्षी पार्टियों को धीरे-धीरे यह समझ में आया कि भाजपा सरकार न...

‘चक दे इंडिया’ के जोश में खड़ा विपक्ष और संकट में पड़ा भगवा राष्ट्रवाद

भाजपा जिस तरह अब से पूर्व अपनी विपक्षी पार्टियों का मज़ाक उड़ाती रही है पर इस बार मज़ाक उड़ाने की सोच पर भी उसे अनचाहे अंकुश लगाना पड़ेगा। इंडिया पर हमला करना भाजपा के लिए कठिन काम होगा। संगठन के रूप में इंडिया भले ही भारत का प्रतीक नहीं हो पर उसका ध्वन्यात्मक भाव देश से ज्यादा देश की जनता का प्रतीक बनता दिख रहा है।

हिन्दू राष्ट्रवाद की खंडित आस्था से उपजे उन्माद का स्वप्न है अखंड भारत

क्या देशों के बीच की सीमाएं हमेशा एक-सी बनी रहती हैं? या फिर समय के साथ बदलती रहती हैं? कई मौकों पर साम्राज्यों-सम्राटों और आधुनिक...

राष्ट्रीय विमर्श का बिगड़ता स्वास्थ्य और ORS का घोल पिलाता देश 

एक राष्ट्र सेवक हैं। वे देश को विश्वगुरु बनाना चाहते हैं। इसके लिए वे विमर्श की जुगाली करते हैं। जुगाली उनके स्वास्थ्य का पैमाना...

नई संसद के उद्घाटन का विपक्ष द्वारा बहिष्कार लोकतांत्रिक विरोध का एक रूप है

सार्वजनिक जीवन में प्रतीकों का बहुत महत्व होता है। प्रतीकों का चुनाव और प्रक्षेपण विचारधारा, संस्कृति, इतिहास, विश्वदृष्टि आदि-इत्यादि को दर्शाता है। 75 साल...

क्या सामाजिक लोकतंत्र लाए बगैर राजनैतिक लोकतंत्र बच सकता है

25 नवंबर, 1949 को भारत की संविधान सभा में संविधान का मसौदा पूरे होने पर उसको प्रस्तुत करते हुए बाबासाहब अंबेडकर ने बेहद महत्वपूर्ण...

क्या श्रीलंका में फिर से राजपक्षे की वापसी हो रही है?

श्रीलंका में भगोड़े राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे की वापसी हो गई है लेकिन इन्होंने देश में हुए पूरे राजनीतिक घटनाक्रम का मज़ाक बनाकर रख दिया...

धरी की धरी रह गई नरेंद्र मोदी की अंतरिक्ष में अमर होने की तमन्ना (डायरी, 8 अगस्त, 2022) 

अंतरिक्ष में कचरा सुनकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। हालांकि मैं कोई वैज्ञानिक नहीं हूं जो इससे जुड़े अन्य वैज्ञानिक सवालों के बारे...

क्या भारत संविधान की बजाय सभ्यता की संकीर्ण व्याख्या पर चलेगा?

कुछ वर्ष पहले संविधान से अनुच्छेद 370 हटाया गया था। हमारे उच्चतम न्यायालय को अभी यह फैसला देना बाकी है कि यह निर्णय संवैधानिक...

भारत के नाम पर बाइडेन की हंसी का निहितार्थ (डायरी 27 फरवरी, 2022)  

अकबर और बीरबल की कहानियां मैं तो बचपन में खूब पढ़ता था। मैं अपने बच्चों को देखता हूं तो उनमें अकबर-बीरबल को पढ़ने का...

अगर रामनाथ कोविंद दलित के बजाय ब्राह्मण होते! डायरी (26 जनवरी, 2022)

जाति कभी नहीं जाती। अक्सर यह बात सुनता हूं और कभी--कभार तो मैं भी लिख देता हूं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि...

‘बांग्लादेश’ दक्षिण एशिया का नया सितारा

हाल ही में बांग्लादेश ने अपनी आजादी के 50 साल पूरे किये हैं जिसे 'मुक्ति संग्राम' भी कहा जाता है। यह मुक्ति संग्राम किसी...

मुझे निजी ग्लैमर से ज्यादा सांस्कृतिक सामूहिकता पसंद है – राकेश

https://www.youtube.com/watch?v=9JvxqcU3s8o&t=1281s भारत में आंदोलनधर्मी अभिनेता-नाटककार और निर्देशक के रूप में राकेश का नाम बहुत आदर से लिया जाता है। उनके अनौपचारिक और मिलनसार व्यक्तित्व के...

वैचारिकी तिरोहित होती गई और प्रतिनिधित्व का सवाल प्रमुख बनता गया — वीरेंद्र यादव

https://www.youtube.com/watch?v=0e7bZiyCTDE&t=502s सुप्रसिद्ध आलोचक वीरेंद्र यादव समाज में होनेवाली घटनाओं-परिघटनाओं पर अपनी पैनी नज़र रखते हैं। वर्तमान भारत के संक्रमणकालीन और परिवर्तनकामी राजनीति के बदलते केन्द्रकों...

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