भतीजे आनंद का रुतबा उत्तर प्रदेश की राजनीति में तभी बढ़ सकता है जब विपक्ष के सबसे मजबूत नेता का तमगा अखिलेश यादव से छिन जाये और चंद्रशेखर रावण जैसे युवा दलित स्वर कमजोर हो जाएँ। कहावत है कि कबूतर की कलाबाजी उसी आसमान में होती है जिसमें बाज के झपट्टा मारने का डर नहीं होता है।
भारत-पाकिस्तान विभाजन को कई बार और कई-कई तरह से हिन्दी सिनेमा के साथ पाकिस्तानी सिनेमा ने भी पर्दे पर उतारा है। इतिहास यात्रा की इस परिघटना ने हिन्दी सिनेमा को कुछ महत्वपूर्ण फिल्में दी हैं। जिनमें विस्थापन की व्यथा-कथा बहुत ही मार्मिक तरीके से दर्ज है।
मैं आपका धन्यवाद करना चाहता हूं कि आपने मेरी सांसदी बहाल की। पिछली बार जब मैं बोला तो थोड़ा कष्ट भी पहुंचाया। इतनी जोर से अडाणीजी पर फोकस किया कि जो आपके सीनियर नेता हैं, उन्हें थोड़ा कष्ट हुआ। जो कष्ट हुआ, उसका असर आप पर भी हुआ। इसके लिए मैं माफी मांगता हूं। मैंने सिर्फ सच्चाई रखी थी।
इस बात की गंभीर चिंता है कि बेसिक आय श्रम बाजारों को विकृत कर देगा, क्योंकि श्रमिकों को नियमित रूप से प्राप्त होने वाली आसान आय, उन्हें काम करने से हतोत्साहित करेगी। इस नकद हस्तांतरण से श्रम आपूर्ति की मात्रा में कमी आएगी, क्योंकि श्रमिक घरेलू आय को प्रभावित किए बिना अपनी नौकरी छोड़ने का विकल्प चुन सकते हैं।
भाजपा जिस तरह अब से पूर्व अपनी विपक्षी पार्टियों का मज़ाक उड़ाती रही है पर इस बार मज़ाक उड़ाने की सोच पर भी उसे अनचाहे अंकुश लगाना पड़ेगा। इंडिया पर हमला करना भाजपा के लिए कठिन काम होगा। संगठन के रूप में इंडिया भले ही भारत का प्रतीक नहीं हो पर उसका ध्वन्यात्मक भाव देश से ज्यादा देश की जनता का प्रतीक बनता दिख रहा है।
सार्वजनिक जीवन में प्रतीकों का बहुत महत्व होता है। प्रतीकों का चुनाव और प्रक्षेपण विचारधारा, संस्कृति, इतिहास, विश्वदृष्टि आदि-इत्यादि को दर्शाता है। 75 साल...
https://www.youtube.com/watch?v=9JvxqcU3s8o&t=1281s
भारत में आंदोलनधर्मी अभिनेता-नाटककार और निर्देशक के रूप में राकेश का नाम बहुत आदर से लिया जाता है। उनके अनौपचारिक और मिलनसार व्यक्तित्व के...
https://www.youtube.com/watch?v=0e7bZiyCTDE&t=502s
सुप्रसिद्ध आलोचक वीरेंद्र यादव समाज में होनेवाली घटनाओं-परिघटनाओं पर अपनी पैनी नज़र रखते हैं। वर्तमान भारत के संक्रमणकालीन और परिवर्तनकामी राजनीति के बदलते केन्द्रकों...