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सरकार को अपना काम करने दो

हमारी समझ में नहीं आता है कि ये विपक्ष वाले जब देखो तब 'जासूसी करा ली, हमारी जासूसी हो गयी' का शोर क्यों मचाते...

देश को आर्थिक संकट से उबारने की योजना प्रस्तुत करेंगे नवाज शरीफ

लाहौर(भाषा)।  पाकिस्तान के स्व-निर्वासित पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ 21 अक्टूबर को पंजाब प्रांत की राजधानी में अपनी सभा के दौरान नकदी संकट से जूझ...

सिनेमा में भारत-पकिस्तान विभाजन की त्रासदी

भारत-पाकिस्तान विभाजन को कई बार और कई-कई तरह से हिन्दी सिनेमा के साथ पाकिस्तानी सिनेमा ने भी पर्दे पर उतारा है।  इतिहास यात्रा की इस परिघटना ने हिन्दी सिनेमा को कुछ महत्वपूर्ण फिल्में दी हैं। जिनमें विस्थापन की व्यथा-कथा बहुत ही मार्मिक तरीके से दर्ज है।

कट्टरता विनाश की जननी है

प्रजातंत्र उन्हीं देशों में मजबूत रहता है जिनमें सभी धर्मों के अनुयायियों को बराबरी के अधिकार प्राप्त रहते हैं। हमारे देश के शासकों को सबक लेना चाहिए और ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहिए जिससे धर्मनिरपेक्षता की जड़ें कमजोर हों और पाकिस्तान की एक शायरा (फहमीदा रियाज) का भारत के बारे में लिखी गई कविता गलत साबित हो कि तुम बिलकुल हम जैसे निकले।

दक्षिण एशियाई देशों में क्यों बढ़ती जा रही आर्थिक बदहाली

इन दिनों पाकिस्तान भयावह आर्थिक संकट से गुजर रहा है। गेहूं का आटा 150 पाकिस्तानी रुपये (पीकेआर) प्रति किलो है। एक रोटी की कीमत...

पाकिस्तान की वर्तमान बदहाली से भारतवासियों को कितना खुश हो लेना चाहिए?

सन् 1980 के दशक के बाद से साम्प्रदायिक ताकतों ने सिर उठाना शुरू किया और इस समय वे भारत के राजनीतिक परिदृश्य पर पूरी तरह हावी हैं। अच्छे दिन तो नहीं आए लेकिन बुरे दिन जरूर आ गए हैं। पिछले 8 वर्षों में जीडीपी की वृद्धि दर 7.29 प्रतिशत से घटकर 4.72 प्रतिशत रह गई है, बेरोजगारी की औसत दर 5.5 प्रतिशत से बढ़कर 7.1 प्रतिशत हो गई है, सकल एनपीए 5 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 18.2 लाख करोड़ रुपये हो गया है, निर्यात की वृद्धि दर 69 प्रतिशत से घटकर 6.4 प्रतिशत रह गई है और डालर की कीमत 59 रुपये से बढ़कर 83 रूपये हो गई है।

दो मुल्काें का साझा अतीत, साझा वर्तमान  (डायरी 15 अगस्त, 2022) 

स्वतंत्रता किसे अच्छी नहीं लगती है? इस सवाल को दूसरी तरह से भी देखें कि आखिर वे कौन लोग हैं, जो स्वतंत्रता का मतलब...

युद्धवीर की‌ अगली यात्रा किधर

केन्द्र की मोदी सरकार ने अपने इस दूसरे कार्यकाल में कुछ ऐसे चौंकाने वाले फैसले लिए, जो सर्वत्र आश्चर्य तथा जनाक्रोश के कारण बने।...

सुप्रीम कोर्ट की नीयत में खोट- संदर्भ : बथानी टोला नरसंहार (डायरी 23 मई, 2022)

निस्संदेह देश जब विभाजत हुआ था तब बहुत कुछ हुआ। इस संबंध में खूब सारा साहित्य उपलब्ध है। दोनों तरफ के लोगों को परेशानियां...

शिक्षा और हमारे हुक्मरान (डायरी 2 मई, 2022)

कल शाम से पहाड़ पर हूं। यह हिमाचल प्रदेश का मनाली है। यहां के समाज और संस्कृति के बारे में कुछ जानकारियां गूगल पर...

दिल्ली विश्वविद्यालय में गाय (डायरी 1 फरवरी, 2022)

ब्राह्मण धर्म सचमुच नायाब धर्म है। इतना नायाब कि यह इंसान-इंसान में भेद तो करता ही है, जानवरों में भी भेद करता है। अब...

‘बांग्लादेश’ दक्षिण एशिया का नया सितारा

हाल ही में बांग्लादेश ने अपनी आजादी के 50 साल पूरे किये हैं जिसे 'मुक्ति संग्राम' भी कहा जाता है। यह मुक्ति संग्राम किसी...

भारत-पाकिस्तान संबंध और बॉलीवुड की फिल्में

भारत में दो चीजें क्रिकेट और बॉलीवुड बहुत लोकप्रिय है और बात जब भारत पाकिस्तान के बीच आ जाये तो क्लाइमेक्स नये आयाम स्थापित...

बेअदबी और ईशनिंदा की आड़ में दलितों के खिलाफ जातिगत पूर्वाग्रहों को छिपाने की गंदी कोशिश

मूलतः पाकिस्तान में दलितों में चूड़ा समुदाय से सम्बंधित है जो सफाई पेशे से जुड़े हुए है और सामंती जातिवादी समाज के अपमान का शिकार है। उन्होंने पाकिस्तान में ईसाई धर्म अपनाया था ताकि जाति के अपमान से बच सके और भारत में इसी कारणवश आर्य समाज के प्रचारक अमीचंद शर्मा द्वारा १९२५  स्वच्छता और हाथ से मैला ढोने में लगे समुदायों के लिए 'बाल्मीकि' नाम लगा दिया गया था ताकेि उन्हें ईसाई होने से बचाया जा सके।

‘गैंगस्टर’ पूंजीपतियों के देश में भुखमरी का सवाल  

यह भी समझाना जरूरी है कि भारत में भूख और कुपोषण की समस्या को देखते हुये खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 एक सीमित हल पेश करता ही है, उपरोक्त चारों हकदारियां खाद्य असुरक्षा की व्यापकता को पूरी तरह से संबोधित करने के लिये नाकाफी हैं और ये भूख और कुपोषण के मूल कारणों का हल पेश नही करती हैं।

पाकिस्तान के नाम से आरएसएस के भड़कने का निहितार्थ (डायरी 27 अक्टूबर, 2021)

सियासत की एक खासियत रही है कि इसने अपने मकसद में कभी बदलाव नहीं किया है। हालांकि सियासत ने अपने रूप जरूर बदले हैं।...

जितनी घातक है हिंसा की राजनीति उतनी ही घातक है हिंसा पर राजनीति

जम्मू कश्मीर में हिंसा का तांडव जारी है। बावजूद इस आंकिक सत्य के कि मारे गए लोगों में अधिकतर स्थानीय मुसलमान हैं मीडिया में...

मैं कभी किसी कहानी आंदोलन का हिस्सा नहीं रही

बातचीत का पहला हिस्सा आप अपने बचपन के बारे में कुछ बताएं! पुराने घर की कुछ स्मृतियां? कलकत्ता में बीते बचपन की पुरानी स्मृतियों में एक...

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