मैं तो अनुमान से कह रहा हूं कि प्रधानमंत्री के विशेष वाहन की कीमत कम से कम 22 करोड़ होगी। वजह यह कि इसमें सुरक्षा उपकरण लगाए गए होंगे। इसे मिसाइल रोधी बनाया गया होगा। बुलेटप्रुफ तो खैर होगी ही। अब इस बात की चर्चा का कोई मतलब नहीं है कि देश का प्रधानमंत्री कितने करोड़ की गाड़ी में चढ़ता है। भाई, वह देश का केवल प्रधानमंत्री थोड़े ना है। वह तो इस देश रूपी कंपनी का सीईओ है। उसे बेशकीमती सूट पहनने का हक है और बेशकीमती गाड़ियों पर चढ़ने का भी। लोग हैं कि खामख्वाह सवाल उठाते रहते हैं।
जानकारी मिलने पर सामाजिक कार्यकर्ता ने पीड़ितों को लेकर सामाजिक संगठनों और अधिवक्ता समाज के साथ एसडीएम से राजातालाब तहसील दफ़्तर में मुलाक़ात कर बिना पुनर्वास पीड़ितों को पुनः उजाड़ने की कार्यवाही पर रोक लगाने की ज़ोरदार माँग रखी तत्पश्चात् एसडीएम ने अगले दिन शनिवार शाम को पीड़ित 13 मुसहर भूमिहीन परिवारों को 13 बिस्वा बंजर भूमि का पट्टा आवंटित किया। आजादी के बाद से ही सरकारों ने मुसहर व गरीबों के विकास के लिए कुछ भी नहीं किया। लगातार शोषण करती रही। यही कारण है कि गरीबों का विकास नहीं हुआ।' लेकिन अब हम ऐसा नहीं होने देंगे।
किसान आंदोलन ने मोदी-शाह की जोड़ी को झुका कर यह उम्मीद फिर जिंदा कर दी हैं कि जनता लड़ेगी, जनता जीतेगी। किसानों के आंदोलन वैश्विक वित्तीय पूंजी और कारपोरेट घरानों के पुरजोर समर्थन के साथ लाए गए कृषि काले कानूनों को रद्द कराने सहित कई किसानों के मांगे पर सरकार को झुकने पर मोदी-शाह की जोड़ी को विवश किया।
देश में जहां किसान अपनी कई मांगों को लेकर पिछले साल भर से आन्दोलन कर रहे हैं। सरकार द्वारा कुछ मांग पूरी होने के बाद भी किसान अपने खेत-खलिहान लौटने को तैयार नहीं हैं; वहीं प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के मेंहदीगंज में बीते 25 अक्टूबर को मोदी की सभा के लिए काटी गयी कच्ची फसलों का मुआवजा किसानों को न मिलने की वजह से जिला प्रशासन और सरकार दोनों की किरकिरी हो रही है।
इस पूरे प्रकरण में केंद्र में राजू भाई सरदार नाम के जो शख्स हैं, उनका एक और अहम परिचय यह है कि वे लखपत में उदासी पंथ के ऐतिहासिक गुरुद्वारे के अध्यक्ष भी हैं। इसके अलावा वे प्रधानमंत्री के अल्पसंख्यक 15 सूत्री कार्यक्रम के सदस्य हैं और सिख बहुल नरा गांव के सरपंच रह चुके हैं। उनके बाकी परिचय उन्हीं के नाम की निजी वेबसाइट पर देखे जा सकते हैं। इनमें सबसे गैर-ज़रूरी परिचय यह है कि वे लखपत के दयापर स्थित सरदार होटल और दीप्स रेस्त्रां के मालिक हैं।
किसान जिस एमएसपी गारंटी के कानून की बात कर रहे हैं, उसे लेकर देश का कारपोरेट जगत सदमे में है। दरअसल, यदि यह कानून बन गया तब किसानों को हर हाल में न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राप्त होगा। ऐसे में वे खुले बाजार में न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम मूल्य में किसानों की उपज नहीं खरीद सकेंगे।
पेयजल आपूर्ति बंद होने की वजह से नाराज ग्रामीणों ने गाँव में शनिवार को नारेबाजी करते हुए विरोध प्रदर्शन किया। ग्रामीणों ने जलकल विभाग को हिदायत देते हुए चेताया कि यदि जल्द ही आपरेटर को बकाया वेतन देकर पेयजल आपूर्ति बहाल नहीं की गयी, तो ग्रामीण व्यापक आंदोलन के लिए बाध्य होंगे; जिसकी सारी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।
जैसे-जैसे संकीर्ण राष्ट्रवाद और मुखर, और आक्रामक होता जा रहा है वैसे-वैसे हमारे स्वाधीनता संग्राम के इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही...
26 नवंबर को घर-घर लोग दीप जलाकर पढ़ेंगे संविधान की प्रस्तावना और लेंगे शपथ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र के गाँव-मुहल्ले और बस्तियों में...