पिछले 70 वर्षों तक हिन्दू कभी खतरे में नहीं थे, न ही उन्हें कभी मारे जाने का डर था लेकिन जैसे ही केंद्र में भाजपा का शासन आया, वैसे ही बहुसंख्यक हिन्दू के लिए अल्पसंख्यक मुस्लिम खतरा बन गए और उनकी जान पर बन आई। असल में असली खतरा उन्हें आरएसएस से है, हिंदुतव के नाम पर वही ऐसा माहौल तैयार कर रहे हैं, वही घिनौनी सोच लोगों के दिमाग में घुसा रहे हैं और सबसे ज्यादा बेवकूफ हिंदुत्व के पीछे भागने वाले अंधभक्त है। योगी आदित्यनाथ, जो बुलडोजर (अ)न्याय के प्रणेता ने भी ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का नारा बुलंद किया है, वहीं आरएसएस ने इस नारे का खुलकर समर्थन किया। धर्म के मुखौटा पहने राष्ट्रवादी होने का दावा करने वाली शक्तियां न केवल उपनिवेश विरोधी संघर्ष में शामिल नहीं हुईं वरन् उन्होंने घृणा और विभाजन के बीज बोए और उन्हें खाद-पानी दिया। आने वाला समय सांप्रदायिकता के लिए चुनौती भरा रहेगा।
राहुल गांधी के सामाजिक न्याय के बड़े दावों के बावजूद, हरियाणा में दलितों तक पहुंचने के लिए कोई सामूहिक प्रयास नहीं किया गया। ऐन वक्त पर अशोक तंवर की एंट्री पार्टी में दलित वोट वापस नहीं ला सकी और वजह साफ है। कांग्रेस को समझना होगा कि राजनीतिक दल सामाजिक न्याय का आंदोलन नहीं हैं। एक आंदोलन एक विशेष एजेंडे पर एक वर्ग को लक्षित करके चल सकता है लेकिन राजनीति को समावेशी होना चाहिए और सभी समुदायों के साथ जुड़ाव सुनिश्चित करना चाहिए।
राहुल गांधी पिछले कुछ वर्षों से एक परिपक्व सोच वाले जनता के प्रिय नेता बनकर सामने आए हैं। उन्होंने तीन दिवसीय अमेरिका प्रवास के दौरान भाजपा पर सीधे-सीधे निशाना साधा, जिस पर भाजपा नेताओं ने पलटकर जवाब दिया। यह घमासान अभी चल ही रहा है। जैसा कि भाजपा की पुरानी और घिसी-पिटी रणनीति है वैसा ही उसने इस बार भी किया है। राहुल गाँधी ने भाजपा के सांप्रदायिक एजेंडे की आलोचना की। भाजपा ने सिख विरोधी दंगे की बात शुरू कर दी।
डॉ. अंबेडकर ने कब कहा कि हम ऐसा समाज बनेंगे जो आरक्षण देगा, लेगा नहीं? क्या आपने कभी पढ़ा है? आज के सामाजिक ठेकेदार और रलित समाज से आने वाले राजनेता बाबा साहेब से भी बड़े विद्वान हैं। वे उससे भी बड़े नेता हैं। यह दुनिया का सबसे बड़ा झूठ है कि हम देने वाला समाज बन जाएंगे। यह बिलकुल गलत है। जो हमें मिला है वह भी खत्म हो रहा है। हम उसे भी नहीं बचा पा रहे हैं। आपके बच्चे आत्महत्या कर रहे हैं। अगर हम शासक बन गए तो एक दिन में सब कुछ ठीक कर देंगे, यह सोचना मतिभ्रम नहीं तो और क्या है?
7 राज्यों में 13 सीटों पर हुए उपचुनाव में इंडिया गठबंधन ने 10 सीटों पर चुनाव जीत लिया। भाजपा को कुल 2 सीटों पर जीत हासिल हुई। इससे एक बात स्पष्ट हो गई कि जनता भी अब जायज़ मुद्दे पर ही चुनाव में प्रतिनिधि का चुनाव करेगी। जनता हिंदुतव और धर्म के मुद्दे से ऊब चुकी है। लोकसभा चुनाव में भी जनता की मंशा सामने आई थी और विधानसभा उपचुनाव के ये नतीजे भी संकेत कर रहे हैं कि राजनैतिक दल यदि ऐसे ही रहे तो उनका चुनाव जीतना मुश्किल होगा।
अनंत अंबानी की शादी में राजनेताओं के शामिल होने को लेकर भारत में भीषण मॉरल पुलिसिंग जारी है। जनवादी सोच का कोई भी व्यक्ति इसे धनबल का नंगा और अश्लील प्रदर्शन ही कहेगा। लेकिन शादी में विपक्ष के अनेक नेताओं के शामिल होने और राहुल गांधी के न शामिल होने को लेकर जिस तरह की बहसें चल रही हैं उससे अंदाज़ा होता है कि देश की जनता अभी भी हर मुद्दा ज़मीन पर नहीं इमोशनल संसार में सुलझाने में अधिक रुचि लेती है। लोकतंत्र के सबसे कठिन दौर में जब सघन राजनीतिक बहसों, आंदोलनों और संघर्षों के जरिये नेताओं को परखने की जरूरत है तब एक शादी के बहाने खड़ी की गई बहसों के जलजले ने बता दिया कि अभी यह दौर कुछ और चलेगा। इन स्थितियों का विश्लेषण कर रहे हैं युवा लेखक मुलायम सिंह।
केंद्र की मोदी सरकार के पिछले दो कार्यकाल संसद में विपक्ष के नेता के बिना ही चला और बीजेपी सरकार ने खूब मनमानी की। लेकिन अठारहवीं लोकसभा के चुनाव के बाद इस बार संसद में विपक्ष के नेता की बागडोर राहुल गांधी के जिम्मे है, और वे इस ज़िम्मेदारी को अच्छी तरह निभा रहे हैं। इसे उन्होंने संसद के पहले सत्र में ही दिखा दिया। इस बार सत्ता पक्ष को संसद में उन सवालों से दो-चार होना ही पड़ेगा, जिनसे वह बचता आया था।
आरएसएस के एक शीर्ष पदाधिकारी इंद्रेश कुमार ने भी कहा कि अहंकार के कारण भाजपा की सीटों में गिरावट आई है। आरएसएस ने तुरंत इस बयान से पल्ला झाड़ लिया और इंद्रेश कुमार ने इसे वापस लेते हुए प्रमाणित किया कि केवल मोदी के नेतृत्व में ही भारत प्रगति कर सकता है। कई टिप्पणीकारों ने डॉ. भागवत के बयान को आरएसएस और भाजपा के बीच दरार के संकेत के रूप में लिया है।
लोकसभा चुनाव 2024 में 400 के पार का नारा देने वाली भाजपा बहुमत भी नहीं ला सकी। इसके विपरीत कांग्रेस ने भारत जोड़ो न्याय यात्रा कर जनता से सीधे जुड़ते हुए सामाजिक न्याय व समान भागीदारी पर सवाल खड़ा किया। कांग्रेस के घोषणा पत्र में वे सभी बिन्दु शामिल किए गए, जो पिछ्ले दस वर्षों में जनता की जरूरत थे। सवाल यह उठता है कि आने वाले दिनों में कांग्रेस किस तरह अपना वर्चस्व हासिल कर पाएगी।
एनडीए के शपथ ग्रहण के बाद मंत्रालय का विभाजन होगा, जिसमें भाजपा ने अपने मंत्रियों के लिए मंत्रालय की घोषणा भले न की हो लेकिन मंत्रालय तय कर दिए हैं। सवाल यह उठ रहा है कि लोकसभा स्पीकर किसे बनाया जाएगा? साथ ही क्या लोकसभा उपाध्यक्ष के लिए विपक्ष को मौका मिलेगा?
चौथे चरण का वोट खत्म होते-होते राहुल गांधी एक आंधी में तब्दील हो गए। भीषण गर्मी की उपेक्षा कर इंडिया की सभाओं में जो भीड़ उमड़ी, वह अभूतपूर्व है। कई लोगों को संदेह है कि यह भीड़ शायद वोट में तब्दील न हो। लेकिन भीड़ के अन्दर जो जुनून देखा जा रहा है वह इंडिया गठबंधन की कामयाबी की पटकथा को व्यक्त कर रहा है।
राहुल गांधी की तारीफ में भाजपा के नेता भारतरत्न लालकृष्ण आडवाणी का यह कहना कि इस व्यक्ति में निर्णय लेने की गजब की क्षमता तो है ही साथ ही इस देश को आगे ले जाने की भी अपार क्षमता है, इससे भाजपा के लोग ही नहीं बल्कि इंडिया गठबंधन के भी कई नेता सकते में आ गए हैं।
आज हमारे देश के मंदिरों में अकूत संपत्ति पड़ी हुई। इस संपत्ति का भोग एक खास वर्ग ब्राम्हण ही कर रहा है। यदि धार्मिक सेक्टर में जितनी आबादी-उतना हक का सिद्धांत लागू हो जाता है तो मंदिरों के ट्रस्टी बोर्ड से लेकर पुजारियों की नियुक्ति में अब्राह्मणों का वर्चस्व हो जाएगा और वे मठों–मंदिरों की बेहिसाब संपदा के भोग का अवसर भी पा जाएंगे और आर्थिक रूप से मजबूत भी होंगे।
पांचवें चरण के नामांकन के आखिरी दिन आज अमेठी और रायबरेली से कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर अपने पत्ते खोल दिये। उत्तर प्रदेश के हॉट सीटों में रायबरेली और अमेठी का नाम आता है। लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में इन दोनों सीटों पर राहुल गांधी और किशोरीलाल शर्मा ने अपना नामांकन भर दिया है।
कांग्रेस की सबसे मजबूत मानी जाने वाली दोनों सीटों अमेठी और रायबरेली को लेकर कांग्रेस की राह काफी मुश्किल है लेकिन सवाल यह है कि क्या गाँधी परिवार अपने गढ़ को बचा पायेगा?
राहुल गाँधी ने तेलंगाना में रैली को संबोधित करते हुए कहा कि मोदी ने अमीरों का 16 लाख करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया है जबकि किसानों के कर्ज का एक रुपया तक माफ नहीं किया गया।
भारत जोड़ो यात्रा और भारत न्याय यात्रा के बाद चुनाव यात्रा पर निकले राहुल गांधी ने आज वायनाड में नामांकन दाखिल करने से पहले बहन प्रियंका गांधी के साथ रोड शो भी किया।
महारैली में राहुल गांधी ने कहा कि हिंदुस्तान का संविधान देश के गरीबों को भविष्य दिया, सपने देखने का हक दिया उस संविधान को गरीब जनता के हाथ से छीनने के लिए यह मैच फिक्सिंग की जा रही है।
इंडिया गठबंधन एकजुट होकर चाहे तो बीजेपी को पस्त कर सकता है लेकिन वह असली मुद्दों से भटका हुआ नजर आ रहा है। बीजेपी की पोल खोलने के लिए उसके पास बहुत सारे मुद्दे पड़े हुए है।
कांग्रेस नेतृत्व को आनंद शर्मा का आभारी होना चाहिए कि उन्होंने पार्टी नेतृत्व को पत्र लिखकर संगठन पर हावी प्रभुवर्ग के नेताओं के मंसूबों से आगाह कर दिया। आनंद शर्मा के पत्र के बाद राहुल गांधी को इस बात को अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए कि कांग्रेस में छाए आनंद शर्मा जाति जनगणना और पाँच न्याय से खौफ़जदा होकर, इसे फेल करने में जुट गए हैं।