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क्या हिमांशु कुमार ने कोई कानून तोड़ा है?

14 जुलाई, 2022 को सर्वोच्च न्यायालय ने हिमांशु कुमार द्वारा दायर याचिका पर फैसला सुनाया। उनके द्वारा दिए तथ्यों और प्रत्यक्षदर्शियों द्वारा देखे हत्याकांड...

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मनुवादी व्यवस्था पर करारी चोट

ब्राह्मणी नूपुर शर्मा को पूरे देश से मांफी मांगने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश से भारतीय संविधान की अवहेलना नहीं, बल्कि मनुवादियों के मनुस्मृति...

जो गुजरात दंगे के अपराधियों को नहीं जानते, वे इसे नहीं पढ़ें (डायरी, 26 जून, 2022) 

हर दिन मैं इस देश के करोड़ों लोगों में से एक ही होता हूं। अलग तरीके से दिन की शुरुआत कभी-कभार ही होती है...

ताकि जकिया जाफरी को मिले ‘न्याय’ (डायरी, 25 जून, 2022)

तानाशाह... तानाशाह ही होता है। हालांकि उसके भी दो हाथ, दो पैर, दो आंखें और बाकी सब अंग भी अन्य इंसानों के जैसे ही...

सुप्रीम कोर्ट की नीयत में खोट- संदर्भ : बथानी टोला नरसंहार (डायरी 23 मई, 2022)

निस्संदेह देश जब विभाजत हुआ था तब बहुत कुछ हुआ। इस संबंध में खूब सारा साहित्य उपलब्ध है। दोनों तरफ के लोगों को परेशानियां...

सुप्रीम कोर्ट लिंग का मतलब समझती होगी, यह अपेक्षित है (डायरी 18 मई, 2022) 

धर्म का जीवन में अहम स्थान है। इससे मैं भी इंकार नहीं करता। लेकिन मेरे लिए धर्म का कोई महत्व नहीं है। फिर चाहे...

बोलो हुक्मरान– जमीन किसकी? (डायरी 19 फरवरी, 2022)

जमीन बहुत महत्वपूर्ण संसाधन है। यह बात वही समझ सकता है जिसके पास जमीन नहीं है। भारत में अभी भी बड़ी आबादी है जिसके...

ओबीसी के साथ सुप्रीम कोर्ट की ‘साजिश’(डायरी, 21 जनवरी 2022)

साजिशें कैसे रची जाती हैं? यह एक बड़ा अजीबोगरीब सवाल है। लेकिन बेहद दिलचस्प। मतलब यह कि साजिशें भी कई तरह की होती हैं।...

साहसी प्रेमकुमार मणि का यथार्थपूर्ण इतिहास लेखन (डायरी, 11जनवरी 2022)

मामला इतिहास का है। असल में इतिहास को लेकर हम कभी भी निरपेक्ष नहीं रह सकते। जब मैं हम शब्द का उपयोग कर रहा...

जाम से निकले, केंद्र और राज्य के विवाद में फंसे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में  चूक के मुद्दे ने, डेल्टा प्लस वेरिएंट की याद ताजा कर दी है। कोरोना महामारी की दूसरी लहर...

अपना ही दुश्मन है ओबीसी (डायरी, 15 दिसंबर 2021)

अच्छे शासक की परिभाषा क्या हो सकती है? यही सोच रहा हूं बीते दो दिनों से। ऐसा सोचने के पीछे की वजह यह कि...

कचरा जलाने पर नुकसान होगा

दलित फ़ाउंडेशन से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता ने सभी से अपील की है कि किसी भी प्रकार के कूड़ा का निस्तारण तरीके से करें, कूड़े को जलाकर इसका निस्तारण न करें। क्षेत्र में वायु प्रदूषण की समस्या बढ़ रही है जो कि विभिन्न तरीके के रोगों को जन्म देती है। प्रदूषण पर सरकारो के साथ आमजन भी बढ़ते प्रदूषण को लेकर चिंतित हैं। कूड़ा, कचरा अथवा उसमें सार्वजनिक स्थान पर आग लगाने पर जुर्माने का प्रावधान है, लेकिन इसके प्रति जागरूकता का कम होना अथवा इसकी अनदेखी प्रदूषण को बढ़ाएगी।

हंसी सबसे अच्छी दवा है: मुनव्वर फारूकी

स्टेंडअप कामेडियन मुनव्वर फारूकी बंगलौर में एक परोपकारी संस्था के लिए अपना शो करने वाले थे। पूरे टिकट बिक चुके थे। फिर आयोजकों को...

जाति तोड़ने के लिए जरूरी है सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक बराबरी (डायरी, 2 दिसंबर, 2021) 

विविधता और भेदभाव में एक बुनियादी फर्क है। जहां एक ओर विविधता का संबंध रहन-सहन, क्षेत्रीय परिस्थितियां एवं संस्कृति व परंपराओं से है, वहीं...

देश के लिए जरूरी हैं शरद यादव, लालू यादव और मुलायम सिंह यादव का पराक्रम(डायरी, 27 नवंबर 2021) 

संविधान दिवस का फेसबुकिया सेलिब्रेशन कल देर रात चलता रहा। कल ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी संविधान को लेकर अपना ज्ञान बांटा। सुप्रीम...

देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री कठपुतली हैं और इन्हें नचानेवाले अंबानी-अदानी हैं

बातचीत का अंतिम हिस्सा माओवादियों के वार्ताकार होने के आधार पर आप तब कैसा महसूस करते हैं जब मीडिया माओवाद को ‘आंतरिक आतंकवाद’ और...

बातें कहानियों की, खिस्से भारत के मोदी की (डायरी 29 अक्टूबर, 2021)  

कहानी शब्द अपने आप में बहुत खास है। इस शब्द का निर्माण ‘कहना’ से हुआ है। मुझे लगता है कि इसका विकास नवपाषाण युग...

सुप्रीम कोर्ट का साहस, नरेंद्र मोदी की नैतिकता (डायरी 28 अक्टूबर, 2021)  

कल से एक शब्द दिमाग में धमाचौकड़ी मचा रहा है। यह शब्द है– नैतिकता। इसकी परिभाषा क्या हो सकती है? मुझे लगता है कि...

वह दिन कब आएगा जब महिलाओं को बर्दाश्त करने से आजादी मिलेगी? (डायरी 24 अक्टूबर, 2021)

एक पिता होने के कारण मैं यह महसूस करता हूं कि मुझे सबसे अधिक खुशी तब मिलती है जब मैं अपने बच्चों को खाते-खेलते-पढ़ते...

फासिस्ट सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए छालों की परवाह नहीं

दोलन कई सरकारी षडयंत्रों का निशाना बनाया गया है। लखीमपुर खीरी में निर्दोष किसानों पर गाड़ी चढ़ा दिया गया जिसमें चार किसान शहीद हुये। लेकिन लगता है आंदोलन की आंच अब पूरे देश में फैल रही है। ये लोग जो चंपारण से पदयात्रा करके यहाँ तक आए हैं वे अपने हिस्से का संघर्ष उन तमाम लोगों के बीच ले जाना चाहते हैं जिनके भीतर किसानों के लिए संवेदना है।

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