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जूम करके देखिए सियासती पैंतरेबाजी (डायरी 12 जनवरी, 2022)
सियासत वाकई कमाल की चीज है। यह बात मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि इसके पैंतरे बड़े कमाल के होते हैं। और आप यदि...
गांजा पीने वाले की कमाल की सादगी (डायरी 2 जनवरी, 2022)
हिंसक लड़ाइयों के बूते किसी भी मुल्क व समुदाय को अपने अधीन नहीं रखा जा सकता है। विश्व भर का इतिहास हमारे सामने है।...
आदमी अब सामाजिक नहीं, आर्थिक प्राणी है(डायरी, 24 दिसंबर 2021)
अक्सर यह सवाल खुद से पूछता हूं कि मुझे कैसा समाज चाहिए और जैसा समाज चाहिए उसके लिए मैं क्या कर रहा हूं। कई...
यह किसी यक्ष का प्रश्न नहीं है (डायरी, 22 दिसंबर 2021)
समय चक्र एक खूबसूरत शब्द है। समय को एक चक्र के रूप में देखने का विचार निश्चित तौर पर इस कारण से लोगों के...
जनसत्ता ने जीतनराम मांझी की खबर क्यों छापी? (डायरी, 20 दिसंबर 2021)
मामला पत्रकारिता का है। पत्रकारिता का एक दूसरा पक्ष भी है। यह पक्ष भी कोई आज का नहीं है। मेरा अपना मत है कि...
एक सपना मेरा भी (डायरी 18 दिसंबर, 2021)
बात करीब दो दिन पुरानी है। पटना से एक साथी ने भारत सरकार के एक बड़े नौकरशाह की जाति पूछी। जिस नौकरशाह के बारे...
गंगा में लाशों का मंजर और हुकूमत का सच (डायरी 17 दिसंबर, 2021)
नदियां और समंदर शायद ही किसी को प्रिय न हों। मैं तो गंगा किनारे वाला हूं तो मुझे नदी से बहुत प्यार भी है।...
इस देश काे ऐसे बनाया जा रहा है कंगाल (डायरी 13 दिसंबर, 2021)
कभी-कभी बचपन बहुत याद आता है। वजह यह कि रुपये-पैसे की कोई चिंता नहीं होती थी। आज के जैसे नहीं कि जितना भी अर्जन...
नीतीश कुमार की मजबूरी और निर्दोषों को जेल (डायरी 12 दिसंबर, 2021)
मनुष्य की सोच पर परिवेश का असर पड़ता ही है। मेरे मामले में यह शतप्रतिशत सत्य है। दरअसल, मैं हमेशा इसका प्रयास करता हूं...
रचेल-तेजस्वी और बिहार की सियासत (डायरी,11 दिसंबर 2021)
सियासत सचमुच बहुत खास है। खासकर वह जो कुर्सी पर विराजमान होता है, उसके लिए सियासत का मतलब ही अलहदा होता है। यदि इसे...
भैया और मैं (डायरी 4 दिसंबर, 2021)
लंबे समय के बाद घर में समारोह का आयोजन हो रहा है। रिश्तेदारों का आना शुरू हो गया है। इसके साथ ही हर रिश्तेदार...
दलित की झोपड़ी बनाम बिहार विधानसभा का महल (डायरी, 1 दिसंबर 2021)
इन दिनों मैं पटना अपने गांव ब्रह्मपुर में अपने घर पर हूं। यह मौका बहुत खास है। मेरी बड़ी भतीजी निधि और बड़े भतीजे...
नवउदारवादी युग में महिलाएं और सियासत (डायरी, 25 नवंबर 2021)
हिसाब से मानव समाज के दो ही आधार हैं। एक स्त्री और दूसरा पुरुष। बाकी तो जो है, वह रिश्ता है। रिश्ते के हिसाब...
जवन कर दिही अन्हार, उ अंजोर का करी…(डायरी 24 नवंबर, 2021)
आज मेरी जेहन में एक बात चल रही है। मैं यह सोच रहा हूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना सांड़ कहे जानेवाले पशु...
शराबबंदी से अधिक जरूरी है दहेजबंदी (डायरी 17 नवंबर, 2021)
बचपन अलहदा था। अनेकानेक विचार उमड़ते-घुमड़ते रहते थे। हिंदी से बहुत अधिक लगाव नहीं था। लेकिन बिहार के मगध के पटना के एक गांव...
दो मित्रों का जंगलराज (डायरी 16 नवंबर, 2021)
सरकारें जब कुछ नहीं करती हैं तो ढोल बजाती हैं। कल केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने भी एक बार फिर ढोल बजाया। ट्वीटर...
बधाई हो दीपा, तुम रोहित बेमूला जैसी नहीं (डायरी 7 नवंबर, 2021)
प्रसिद्ध समाजशास्त्री प्रो. कांचा इलैया शेपर्ड इन दिनों एक अभियान चला रहे हैं। उनका कहना है कि आजकल के उच्च शिक्षण संस्थानों में दोहरा...
कफनचोर (डायरी 6 नवंबर, 2021)
साहित्य को लेकर एक सवाल मेरी जेहन में हमेशा बना रहता है। सवाल यही कि उस साहित्य को क्या कहा जाय, जिसके पात्र और...
सोहराई पोरोब और हम आदिवासी (डायरी 5 नवंबर, 2021)
धर्म और मनुष्य के बीच का संबंध जड़ नहीं होता। धर्म भी बदलता है और मनुष्य भी बदलते हैं। इसे ऐसे भी कहा जा...
बिहार में नकारात्मकता और सुशासन के हवा-हवाई दावे (डायरी 30 अक्टूबर, 2021)
आदर्श राज्य की परिभाषा को लेकर मन में हमेशा सवाल रहा है। हालांकि इस मामले में मैं खुद को अल्पज्ञ मानता हूं। वजह यह...