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पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

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क्या किसान आंदोलन स्थगित हुआ है, खत्म नहीं हुआ?

मेघालय के राज्यपाल सतपाल मलिक और किसान नेता राकेश टिकैत के अलग-अलग दिए गए बयान कि, किसान आंदोलन स्थगित हुआ है, आंदोलन अभी खत्म...

जम्मू के मंदिर में भगदड़ और पाखंड का लब्बोलुआब(डायरी, 3 जनवरी 2022)  

आज दो महान लोगों को याद करने का दिन है। एक क्रांति ज्योति सावित्रीबाई फुले और दूसरे मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा। दोनों का...

कागजी है पैरहन, हर पैकर-ए-तस्वीर का (डायरी, 25 दिसंबर 2021) 

पूरे साल का यह एकमात्र दिन होता है जब मैं खुद को गम के अंधेरे में पाता हूं। लगता ही नहीं है कि मेरे...

एक सपना मेरा भी (डायरी 18 दिसंबर, 2021) 

बात करीब दो दिन पुरानी है। पटना से एक साथी ने भारत सरकार के एक बड़े नौकरशाह की जाति पूछी। जिस नौकरशाह के बारे...

धकिआया गरियाया जा रहा बिकाऊ मीडिया 

मज़हब का अंधियारा चुन यानी उन्हें दुबारा चुन मज़हब के पीछे का अंधियारा सरकार जनित मीडिया का अंधियारा है। इस अंधेरे को नया चमकता हुआ नाम...

‘कोई भी अंत अंतिम नहीं’ जीवन का सबसे करीबी और जरूरी काव्य आख्यान है

कोई भी अंत अंतिम नहीं जब कविता संग्रह का ये शीर्षक पढ़ा तो मन आशा और उम्मीद के एक ख़ूबसूरत एहसास से सराबोर हो...

गरीबी और जाति दोनों के परिचालन एवं प्रभाव की तीक्ष्णता तथा मारकता में ज़मीन-आसमान का अंतर होता है

तीसरा और आखिरी भाग क्या ग़रीबी और जाति-भेद व्यक्ति को समान रूप से रोकते हैं या कोई अधिक घातक है? ग़रीबी और जाति-भेद व्यक्ति के जीवन...

इस देश काे ऐसे बनाया जा रहा है कंगाल (डायरी 13 दिसंबर, 2021) 

कभी-कभी बचपन बहुत याद आता है। वजह यह कि रुपये-पैसे की कोई चिंता नहीं होती थी। आज के जैसे नहीं कि जितना भी अर्जन...

रचेल-तेजस्वी और बिहार की सियासत (डायरी,11 दिसंबर 2021)

सियासत सचमुच बहुत खास है। खासकर वह जो कुर्सी पर विराजमान होता है, उसके लिए सियासत का मतलब ही अलहदा होता है। यदि इसे...

कचरा जलाने पर नुकसान होगा

दलित फ़ाउंडेशन से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता ने सभी से अपील की है कि किसी भी प्रकार के कूड़ा का निस्तारण तरीके से करें, कूड़े को जलाकर इसका निस्तारण न करें। क्षेत्र में वायु प्रदूषण की समस्या बढ़ रही है जो कि विभिन्न तरीके के रोगों को जन्म देती है। प्रदूषण पर सरकारो के साथ आमजन भी बढ़ते प्रदूषण को लेकर चिंतित हैं। कूड़ा, कचरा अथवा उसमें सार्वजनिक स्थान पर आग लगाने पर जुर्माने का प्रावधान है, लेकिन इसके प्रति जागरूकता का कम होना अथवा इसकी अनदेखी प्रदूषण को बढ़ाएगी।

सीडीएस बिपिन रावत की मौत (डायरी, 9 दिसंबर 2021) 

सैन्य सेवा प्रमुख बिपिन रावत समेत 13 लोगों की मौत कल तमिलनाडु में हेलीकॉप्टर हादसे में हो गई। इस हादसे के बाद कई तरह...

मेरा हमदम मेरा यार विद्रोही

जो लोग विद्रोही को केवल एक कवि के रूप में जानते हैं मैं उन्हें विद्रोही की एक दूसरी झलक दिखाना चाहता हूँ। जब वे...

जब हम कहते थे कि हम आज़मगढ़ से हैं तो लोग ऐसे भागते थे जैसे हम ही आतंकवादी हैं

आज हम गाँव के लोग के कार्यक्रम आमने-सामने में उत्तर प्रदेश में सक्रिय संगठन रिहाई मंच के प्रमुख चेहरे और संगठन के महासचिव राजीव...

भैया और मैं (डायरी 4 दिसंबर, 2021)

लंबे समय के बाद घर में समारोह का आयोजन हो रहा है। रिश्तेदारों का आना शुरू हो गया है। इसके साथ ही हर रिश्तेदार...

जाति तोड़ने के लिए जरूरी है सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक बराबरी (डायरी, 2 दिसंबर, 2021) 

विविधता और भेदभाव में एक बुनियादी फर्क है। जहां एक ओर विविधता का संबंध रहन-सहन, क्षेत्रीय परिस्थितियां एवं संस्कृति व परंपराओं से है, वहीं...

मेरी मदर-इन-लॉ जकिया जाफरी का न्याय के लिए 20 साल का इंतजार

हिंदुत्व के जमीनी सैनिकों- जैसे जयदीप पटेल और बाबू बजरंगी- ने तहलका टेप पर स्वीकार किया था कि मोदी ने उन्हें मुसलमानों पर हमला करने और मारने व उनके घरों और व्यवसायों को नष्ट करने के लिए 72 घंटे दिए थे। इसके बावजूद एसआईटी और अन्य जांच आयोगों ने परवाह नहीं की कि मोदी की संलिप्तता की सच्चाई जानने के लिए उनसे गंभीरता से पूछताछ करें।

नज़ीर बनारसी सामाजिक सद्भाव के लिए कोई भी क़ीमत चुका सकते थे

गर स्वर्ग में जाना हो तो जी खोल के ख़रचो मुक्ति का है व्योपार बनारस की गली में ऐसी चुटीली और मारक शायरी के...

भील विद्रोह की ऐतिहासिक घटनाओं की बिखरी कड़ियों को जोड़ता महत्वपूर्ण दस्तावेज़

क्सर हमें 'बताया' जाता था कि स्वतंत्रता आंदोलन के कुछ 'नायक' और कुछ 'खलनायक' थे और फिर 'इतिहास' की 'राजनीतिक लड़ाई' लड़ने वाले इतिहासकार थे जो अपने-अपने तरीकों से इसकी व्याख्या कर रहे थे और दिलचस्प बात यह है कि वे सभी एक ही खित्ते के हैं। दोनों में से किसी ने भी वास्तव में इस बात की परवाह नहीं की कि भारत जैसे विशाल देश का इतिहास या ऐतिहासिक आंकड़ों को प्रस्तुत करने का अलग-अलग दृष्टिकोण हो सकता है। इतिहास दरअसल घटनाओं के बारे में जानकारी देता है न कि हम व्यक्तिगत रूप से क्या पसंद  या नापसंद करते हैं। तथ्य यह है कि इतिहास वर्तमान में हमारे 'भविष्य' को तय करने के लिए सबसे शक्तिशाली हथियार बन गया है। 

संगीत जितना चित्त में उतरेगा उतना वजनदार होता जायेगा

बनारस की सुप्रसिद्ध गायिका सरोज वर्मा अब किसी परिचय का मुहताज नहीं हैं। उन्होंने लोक और उपशास्त्रीय दोनों में उल्लेखनीय प्रस्तुतियाँ दी हैं। देश...

छोटे अंतर्विरोधों को बड़ा और बड़े अंतर्विरोधों को छोटा बना दिया गया

प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक विद्या भूषण रावत के साथ रामजी यादव के संवाद की इस आखिरी कड़ी में भारत में अस्मितावादी संकीर्णता के...

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